12 जून 1932 को जन्मी पद्मिनी रामचन्द्रन ना सिर्फ एक बेहतरीन अदाकारा थीं बल्कि एक ट्रेनड भरतनाट्यम डांसर थीं. उन्होंने तीन दशकों से भी अधिक समय तक दर्शकों के दिलों पर राज किया.
मात्र 16 साल की उम्र में हिंदी फिल्म "कल्पना" (1948) से अपने अभिनय की शुरुआत करने वाली पद्मिनी ने 250 से भी अधिक फिल्मों में काम किया मिल, हिंदी, मलयालम, तेलुगु और यहां तक कि रूसी फ़िल्में भी शामिल हैं. तीन दशक तक अपने बेहतरीन अभिनय से पद्मिनी ने लोगों का दिल जीता. अपने मंत्रमुग्ध कर देने वाले अभिनय के साथ साथ पद्मिनी की पहचान उनका मनमोहक नृत्य भी बना.
अपने तीन दशक के लंबे करियर में पद्मिनी ने शिवाजी गणेशन, एम. जी. रामचंद्रन, एन. टी. रामा राव और राज कपूर जैसे भारतीय सिनेमा के कुछ बड़े नामों के साथ स्क्रीन शेयर किया था.
"सम्पूर्ण रामायणम" (1958), "अंबू" (1953) और प्रतिष्ठित "थिल्लाना मोहनम्बल" (1968) जैसी क्लासिक फ़िल्मों में अपने मनमोहक अभिनय से पद्मिनी ने तेलुगु दर्शकों का फील जीत लिया था.
"थिल्लाना मोहनम्बल" (1968) एक ऐसी क्लासिकल फिल्म है जिसमें पद्मिनी ने एक डांसर की भूमिका निभाई थी. ये फिल्म एक नर्तकी और संगीतकार के बीच प्रतिस्पर्धा को बेहद खूबसूरती से दर्शाता है. इस फिल्म में "वंजीकोट्टई वलीबन" के गीत "कन्नुम कन्नुम कलंथु" में वैजयंतीमाला के साथ पद्मिनी का नृत्य एक कल्ट क्लासिक है.
अगर पद्मिनी के हिंदी फिल्मों की बात करें तो "मेरा नाम जोकर" (1970) और "जिस देश में गंगा बहती है" (1960) में दर्शकों ने उनके अभिनय को खूब पसंद किया, जहाँ उन्होंने दिग्गज राज कपूर के साथ स्क्रीन शेयर किया था.
सिल्वर स्क्रीन से परे, पद्मिनी को उनकी कलात्मक गुणों के लिए पहचाना जाता था. उन्हें कई पुरस्कार मिले, जिनमें प्रतिष्ठित फ़िल्मफ़ेयर लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवार्ड - साउथ (1990) और तमिलनाडु स्टेट फ़िल्म ऑनरेरी अवार्ड - कलैवनार अवार्ड (2000) शामिल हैं.
1961 में पद्मिनी ने रामचन्द्रन के साथ शादी कर ली और पारिवारिक जीवन को प्राथमिकता देते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका चली गईं. हालांकि, नृत्य के प्रति उनका जुनून जारी रहा. 1977 में, उन्होंने न्यू जर्सी में पद्मिनी स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स की स्थापना की, जिससे आने वाली पीढ़ियाँ भारतीय शास्त्रीय नृत्य की परंपरा का अनुसरण कर सके.
76 साल की उम्र में 26 सितम्बर 2006 को पद्मिनी ने चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में आखिरी साँस ली और दुनिया को अलविदा कहा.
पद्मिनी रामचंद्रन की विरासत उनकी फ़िल्मोग्राफी से कहीं आगे तक फैली हुई है. वह एक प्रतिभाशाली अभिनेत्री, एक प्रतिभाशाली नर्तकी और एक भावुक शिक्षिका थीं, जिन्होंने अनगिनत लोगों को प्रेरित किया.
Ayushi Sinha
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