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सिनेमा के गोल्डन एरा के दौर में ऐसे अनेक गीत बने जो भारतीयता और राष्ट्रीयता के प्रतीक बन गए। इन गीतों ने देशवासियों के मन में देशभक्ति की भावना भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यही नहीं‚ इन गीतों ने विभिन्न समुदाय के लोगों को एक सूत्र में बांधा। वर्षों बाद भी ये गीत देश में होने वाले हर राष्ट्रीय समारोह में गूंजते हैं। यही नहीं‚ ये गीत विदेशों में भी भारतीयता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ऐसा ही एक गीत है जिसे पिछले दिनों व्हाइट हाउस में बजाया गया। यही नहीं‚ अमरीका में रहने वाले भारतीयों के अनुरोध पर वह धुन दोबारा बजाई गई। व्हाइट हाउस के मरीन बैंड ने पिछले दिनों अनेक एशियाई अमेरिकियों के समक्ष इस गीत की धुन बजाई। व्हाइट हाउस में ‘एशियन अमेरिकन, नेटिव हवाई एंड पेसिफिक आइलेंडर’ यानी एएएनएचपीआई के ‘विरासत माह’ का जश्न मनाने के लिए यह आयोजन हुआ था जिसमें राष्ट्रपति बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी उपस्थित हुए थे। देशभक्ति गीत की धुन को भारतीय अमेरिकियों के अनुरोध पर मरीन बैंड ने दो बार बजाया। अमरीकी राष्ट्रपति की ओर से इस वार्षिक कार्यक्रम के लिए भारतीय अमेरिकियों को आमंत्रित किया गया था।
Thrilled to hear Saare Jahan Se accha Hindustan Hamara played at WHite House AANHPI heritage celebration hosted by President @JoeBiden with VP Harris @VP . Paanipuri and Khoya dish was also served .stronger US India relationship . @PMOIndia@narendramodi@DrSJaishankar@AmitShahpic.twitter.com/1M5lViwbF2
— Ajay Jain (@ajainb) May 14, 2024
एक साल से भी कम समय में यह दूसरी बार है जब व्हाइट हाउस में भारत का लोकप्रिय देशभक्ति गीत बजाया गया। आखिरी बार पिछले साल जून में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजकीय यात्रा के दौरान ऐसा किया गया था। मरीन बैंड ने बताया कि उसने राजकीय दौरे से पहले इसका अभ्यास किया था।
इस गीत को भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मोहम्मद इकबाल ने लिखा था। इस गीत को तराना -ए- हिंदी के रूप में जाना जाता है। अल्लामा मुहम्मद इक़बाल ने इसे ग़ज़ल शैली में लिखा जो सबसे पहले सोलह अगस्त उन्नीस सौ चार को साप्ताहिक पत्रिका इत्तेहाद में प्रकाशित हुई थी।
इसके अगले वर्ष इकबाल ने गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर में इसे सार्वजनिक रूप से सुनाई और यह गीत अंग्रेजों के विरोध का एक गीत बन गया। बाद में उन्नीस सौ चौबीस में उर्दू पुस्तक बंग-ए-दारा में प्रकाशित हुआ था।
इसमें हिन्दोस्तान का जिक्र उस भूमि के लिए किया गया है जिसमें भारत‚ बांग्लादेश और पाकिस्तान शामिल हैं।
भारत में यह गीत बहुत लोकप्रिय रहा है। इसके छोटे हिस्से को देशभक्ति गीत और भारतीय सशस्त्र बलों के मार्चिंग गीत के रूप में अक्सर गाया और बजाया जाता है।
इस गीत के लिए सबसे लोकप्रिय संगीत रचना सितार वादक रविशंकर ने की थी। रविशंकर द्वारा बनाई गई धुन को ही भारतीय सशस्त्र बलों के मार्चिंग गीत के रूप में अपनाया गया।
पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने उन्नीस सौ चौरासी में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी को यह बताने के लिए गीत की पहली पंक्ति का उपयोग किया था कि भारत बाहरी अंतरिक्ष से कैसा दिखाई देता है।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने उद्घाटन भाषण में इस कविता को उद्धृत किया था। स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने भी इस गीत को संसद में गाया था।
यह गीत लगभग एक शताब्दी तक भारत में लोकप्रिय रहा है। कहा जाता है कि जब महात्मा गांधी उन्नीस सौ तीस के दशक में पुणे की यरवदा जेल में कैद थे तो उन्होंने इसे सौ से अधिक बार गाया था।
उन्नीस सौ तीस और उन्नीस सौ चालीस के दशक में इसे धीमी धुन पर गाया जाता था। साल उन्नीस सौ पैतालिस में, इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन यानी इप्टा के साथ मुंबई में काम करते समय, सितारवादक पंडित रविशंकर को के ए अब्बास की फिल्म धरती के लाल और चेतन आनंद की फिल्म नीचा नगर के लिए संगीत तैयार करने के लिए कहा गया था।
साल 2009 में शेखर गुप्ता के साथ एक साक्षात्कार में, रविशंकर ने बताया कि उन्हें लगा कि मौजूदा धुन बहुत धीमी और ट्रैजिक थी। इसे और अधिक प्रेरक प्रभाव देने के लिए, उन्होंने इसे एक मजबूत धुन में सेट किया जो आज इस गीत की लोकप्रिय धुन है, जिसे बाद में उन्होंने समूह गीत के रूप में आज़माया।
बाद में इस गीत को मोहम्मद रफी‚ लता मंगेशकर‚ आशा भोसले और महेन्द्र कपूर ने अलग–अलग फिल्मों के लिए अलग–अलग धुनों पर गाया।
आशा भोसले ने इसे साल उन्नीस सौ उनसठ में रिलीज हुई फिल्म भाई बहन के लिए गाया था। डेजी इरानी‚ बेबी नाज और जॉनी वाकर की मुख्य भुमिकाओं वाली इस फिल्म का निर्देशन जी पी सिप्पी ने किया था। इस गीत का संगीत एन दत्ता ने दिया था।
इसके बाद साल उन्नीस सौ इकसठ में रिलीज हुई फिल्म धर्मपुत्र में भी इस गीत को रखा गया था जिसे मोहम्मद रफी ने आशा भोसले के साथ गाया था। अशोक कुमार, माला सिन्हा और शशि कपूर की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फिल्म का निर्देशन यश चौपड़ा ने किया था।
धर्मपुत्र का निर्माण बी आर चोपड़ा ने किया था और इसका निर्देशन बी आर चोपड़ा के छोटे भाई यश चोपड़ा ने किया था। यश चोपड़ा के निर्देशन में बनने वाली यह दूसरी फिल्म थी। यह फिल्म ब्रिटिश राज के दौरान भारत के विभाजन से पैदा हुए साम्प्रदायिक घटनाओं पर आधारित है। इस फिल्म में शशि कपूर ने वयस्क होकर पहली बार काम किया था।
साम्प्रदायिक एकता और भाईचारे का संदेश देने वाली इस फिल्म के गाने लिखे थे शायर साहिर लुधियानवी ने और इसमें संगीत दिया था एन दत्ता ने।
हालांकि यह फिल्म नहीं चली लेकिन इसमें मोहम्मद रफी का एक गाना था जो खूब चला था – वो दिलवर मुझ पर खफा न हो‚ कहीं तेरी भी कुछ खता न हो। ये दिल दीवाना मचल गया।
इस फिल्म के रिलीज होने से दो साल पहले बी आर चौपड़ा ने इंसानियत और भाईचारे का संदेश देने वाली एक और फिल्म बनाई थी – धूल का फूल। इस फिल्म को डायरेक्ट करने की जिम्मेदारी दी थी यश चोपड़ा को। धूल का फूल फिल्म में थे राजेंद्र कुमार, माला सिन्हा, नंदा, अशोक कुमार और मनमोहन कृष्ण। फिल्म का संगीत दिया था संगीतकार एन दत्ता ने और इसके गाने लिखे थे शायर साहिर लुधियानवी ने।
इस फिल्म में भाइचारे का संदेश देने वाला गाना है – इंसान की औलाद है इंसान बनेगा। इस गाने को आवाज दी थी मोहम्मद रफी ने। हालांकि फिल्म में तो यह गाना महज़ एक गाना था लेकिन फिल्म के बाहर यह गाना आपसी भाईचारे का एक प्रतीक बन गया था।
इंसान की औलाद है इंसान बनेगा गीत की तरह ही सारे जहां से अच्छा गीत भाईचारे की भावना को भरता है। सारे जहां से अच्छा गीत भारत में स्कूलों में देशभक्ति गीत के रूप में लोकप्रिय है, जिसे सुबह की सभाओं के दौरान गाया जाता है। इसके अलावा सार्वजनिक कार्यक्रमों और परेडों के दौरान बजाया जाता है। हर साल भारतीय स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और बीटिंग द रिट्रीट के समापन के मौके पर सशस्त्र बलों के सामूहिक बैंड द्वारा इस गीत की धुन बजाई जाती है। आज जब भी कहीं यह गीत बजता है तो हर देशवासी का सिर गर्व से उपर उठ जाता है।
लेखक के बारे में :
विनोद कुमार मशहूर फिल्म लेखक और पत्रकार हैं जिन्होंने सिनेमा जगत की कई हस्तियों पर कई पुस्तकें लिखी हैं। इन पुस्तकों में ʺमेरी आवाज सुनोʺ‚ ʺसिनेमा के 150 सितारेʺ‚ ʺरफी की दुनियाʺ के अलावा देवानंद‚ दिलीप कुमार और राज कपूर की जीवनी आदि शामिल हैं।
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