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जब Berlin Film Festival में दर्शकों ने Dev Anand को समझा Mohammed Rafi

मोहम्मद रफी वैसे गायक थे अपनी आवाज का तालमेल सिनेमा के पर्दे के अभिनेता के व्यक्तित्व और पर्दे पर चलने वाले दृश्यों के साथ आसानी से बिठा लेते थे. मोहम्मद रफी की आवाज में वह व्यापकता और विविधता थी...

जब Berlin Film Festival में दर्शकों ने Dev Anand को समझा Mohammed Rafi
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मोहम्मद रफी वैसे गायक थे अपनी आवाज का तालमेल सिनेमा के पर्दे के अभिनेता के व्यक्तित्व और पर्दे पर चलने वाले दृश्यों के साथ आसानी से बिठा लेते थे. मोहम्मद रफी की आवाज में वह व्यापकता और विविधता थी जिसके कारण उनकी आवाज उस समय के लगभग सभी छोटे-बड़े अभिनेताओं पर सटीक बैठती थी.

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मोहम्मद रफी के गाने ऐसे होते थे जिनको सुनकर ऐसा लगता था कि उस गाने को पर्दे पर एक्टिंग करने वाले हीरो ने ही गाया है. ऐसे कई गाने हैं जिनको सुनकर लोगों को भ्रम हो जाता था कि उस गाने को मोहम्मद रफी ने नहीं, बल्कि उसी एक्टर ने गाया है जिस पर वह गीत फिल्माया गया है. एक बार बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में फिल्म 'हम दोनों' के प्रदर्शन के बाद दर्शकों ने समझ लिया कि फिल्म के गाने "मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया" को खुद देवानंद ही गाया है. यही नहीं, दर्शक वैसा सुरीला और बेहतरीन गाना गाने के लिए देवानंद की तारीफ करने लगे. 

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देवानंद और साधना स्टारर फिल्म हम दोनों के रंगीन संस्करण का प्रीमियर 3 फरवरी 2011 को हुआ था. उस समारोह के मौके पर देव आनंद ने कहा, "क्या आवाज़ थी! रफी साहब अपनी आवाज़ से पर्दे पर माहौल बना देते थे और एक्टिंग को आसान बना देते थे. उनकी आवाज़ रेशम सी मुलायम थी, सुबह की ओस जैसी भीनी थी और झरने की तरह ऊर्जा से भरपूर थी."

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उसी कार्यक्रम में देवानंद ने बताया था कि साल 1967 में 'हम दोनों' फिल्म बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई थी जहाँ इसके गीतों की बहुत प्रशंसा की गई थी. हम लोगों ने इस फिल्म गीतों के भी सब टाइटल्स लगाए थे और जर्मनी के लोग तो जैसे इस गीत के दीवाने हो गए थे. वहां के लोग सोचते थे कि  'मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया' गीत को मैंने ही गाया है. वे लोग मुझे बधाई देने लगे कि आपने कितनी मधुर आवाज़ में इस गाने को गाया है. जब यह बात मैंने रफी साहब को बताई तो उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, 'अगर बर्लिन में मैंने किसी लाइव शो में यह गीत गाया तो कहीं जर्मन लोग मुझे देव आनंद न समझ लें... इस पर हम दोनों जोर–जोर से हँसने लगे.

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देवानंद ने कहा था कि

"रफ़ी साहब जैसे सुर के अवतार थे. मैं अपनी अनेक फिल्मों की सफलता का श्रेय उनको देता हूँ. साल 1961 की फिल्म जब प्यार किसी से होता है के गीत  'जिया ओ जिया कुछ बोल दो" से लेकर साल 1980 की फिल्म मनपसंद के गीत 'लोगों का दिल अगर हां जीतना तुमको है तो, बस मीठा मीठा बोलो" गाने तक उनकी आवाज़ मेरे साथ बनी रही."

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फिल्म 'हम दोनों' साल उन्नीस सौ इकसठ में रिलीज हुई थी और तब से लेकर अब तक इस फिल्म के गीत लोगों की जुबान पर हैं. फिल्म का निर्माण देव आनन्द ने किया था जबकि उनके भाई विजय आनन्द ने इसका निर्देशन किया था. फिल्म में देव आनन्द दोहरी भूमिका में हैं और इसमें नन्दा, साधना और लीला चिटनिस भी हैं. फिल्म जयदेव के संगीत के लिए भी जानी जाती है और यह बॉक्स ऑफिस पर हिट रही. फिल्म के सभी गीत साहिर लुधियानवी ने लिखे थे. साहिर लुधियानवी के लिखे गीत आज भी बार–बार गाए – गुनगुनाए जाते हैं.

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इस फिल्म के गाने जितने बेहतरीन हैं, उतनी ही बेहतरीन है इस फिल्म की कहानी. देव आनंद के प्रोडक्शन हाउस 'नवकेतन फिल्म्स' के अंडर बनी यह फिल्म दो जुड़वां सैनिकों की कहानी है. जब सरहद की लड़ाई में दोनों में से एक की मौत हो जाती है, तो दूसरा व्यक्ति परिवार को इस बारे में बताने जाता है. फिर यहीं से शुरू होती हैं उलझनें, उस दौर में इस तरह की कहानी पेश करना काफी नया और अनोखा था.

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-विनोद कुमार

विनोद कुमार फिल्म लेखक और पत्रकार हैं. उन्होंने मोहम्मद रफी की पहली जीवनी "मेरी आवाज सुनो" के अलावा सिनेमा पर कई पुस्तकें लिखी हैं. 

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Tags : Dev Anand | Mohammed Rafi | Berlin Film Festival

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