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कलाकारों ने महात्मा गांधी से सीखे गए जिंदगी के सबक के बारे में बताया..

‘जीवन को इस तरह से जियो जैसे कल ही मौत आने वाली है। ज्ञान इस तरह से अर्जित करो जैसे तुम हमेशा जीने वाले हो।‘ ये अद्भुत बोल मोहनदास करमचंद गांधी के हैं...

एण्डटीवी के कलाकारों ने महात्मा गांधी से सीखे गए जिंदगी के सबक के बारे में बताया
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‘जीवन को इस तरह से जियो जैसे कल ही मौत आने वाली है। ज्ञान इस तरह से अर्जित करो जैसे तुम हमेशा जीने वाले हो।‘ ये अद्भुत बोल मोहनदास करमचंद गांधी के हैं, जिन्हें हम प्यार से बापू कहकर बुलाते हैं। उन्होंने हमें जीवन जीने का एक आदर्श तरीका सिखाया है। दुनिया को बदल देने की अपनी ताकत से हममें से कई लोगों को प्रेरित करने वाले महात्मा गांधी हमेशा सादा जीवन और उच्च विचार को मानते थे।

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‘गांधी जयंती‘ के अवसर पर, एण्डटीवी के ‘मौका-ए-वारदात-ऑपरेशन विजय‘ के एक्टर्स तान्या अबरोल (सब-इंस्पेक्टर सुरभि कौर) और पीयूष सहदेव (पुलिस इंस्पेक्टर राठौर), ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की सपना सिकरवार (बिमलेश), ‘और भई क्या चल रहा है‘ की अकांशा शर्मा (सकीना मिर्जा), ‘घर एक मंदिर-कृपा अग्रसेन महाराज की‘ के साई बल्लाल (कुंदन अग्रवाल) और ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की शुभांगी अत्रे (अंगूरी भाबी) ने राष्ट्रपिता और उनके सबक को याद किया।

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तान्या अबरोल ने कहा,

“स्कूल में हिस्ट्री में हमने सत्याग्रह के संघर्ष और महात्मा गांधी के नेतृत्व के बारे में पढ़ा था। साथ ही उनके लाए गए सुधारों से जिंदगियां बदल गयीं और कई लोगों के लिये बेहद प्रेरणादायक है। तब से ही बापू, मेरे आदर्श हैं और मैं अपने जीवन में उनके मूल्यों व सीख को शामिल करने की कोशिश करती हूं। बापू की तरह ही मेरा मानना है कि प्यार में पर्वत को भी हिला देने की ताकत होती है और मैंने इसे एक बार नहीं, बल्कि कई बार महसूस किया है। साथ ही मैं दूसरों के समय का सम्मान करती हूं क्योंकि मैं खुद भी समय की बेहद पाबंद हूं। जब आप समय की इज्जत करते हैं तो समय भी आपका मान रखता है।”

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सपना सिकरवार का कहना है,

”महात्मा गांधी से सीखने के लिये काफी सारी बातें हैं, लेकिन अहिंसा को लेकर उनके विचार सबसे ज्यादा सीखने वाले हैं। उनके लिये इसका अर्थ है, किसी के लिये भी बुरे विचार को जगह ना देना, अपने दुश्मनों के लिये भी नहीं। मुझे लगता है हिंसा से केवल लड़ाई और बहस ही जन्म लेती है, लेकिन इससे समस्या का हल नहीं निकलता। यदि आप परेशानी को समझ जायें और उसे ठंडे दिमाग से सुलझाने की कोशिश करें, तो आपको हल जरूर मिलेगा। जब मैं मुंबई आई थी तो मुझे एहसास हो गया था कि मैं किस तरह से चीजों का सामना करना चाहती हूं और इससे मुझे मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों से बाहर आने में मदद मिली। गांधी जयंती के मौके पर मैं आप सबसे गुजारिश करूंगी कि अहिंसा को अपने जीवन जीने का तरीका बनायें ताकि आप एक बेहतर इंसान बन सकें। इससे ज्यादा से ज्यादा दयालु बनने में मदद मिल सकती है।”

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अकांशा शर्मा कहती हैं,

“महात्मा गांधी ने हमें एक नहीं, कई तरीकों से प्रेरित किया है। बापू से सीखने लायक काफी सारी चीजें हैं। उनकी बतायी एक सीख को मैंने अपने जीवन में उतारा है, वह है माफ कर देना। सच कहूं तो माफ करना बलवान का गुण है। रिश्तों को बनने में वक्त लगता है और इस तरह के गुण ही रिश्तों को मजबूत बनाते हैं। मैं औरों को माफ कर देने पर भरोसा करती हूं, क्योंकि इससे उन्हें बेहतर होने का मौका मिलता है और हम हल्का महसूस करते हैं। हर किसी को गुस्से और बदले को छोड़़ देने की भावना अपनाने की कोशिश करनी चाहिये। साथ ही दिमाग से सारे नकारात्मक विचार निकाल देने चाहिये।”

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साई बल्लाल का कहना है,

“महात्मा गांधी का कथन ‘सत्यमेव जयते‘ ने हमेशा ही मुझे सच के रास्ते पर चलने के लिये प्रेरित किया है। मेरा मानना है कि ईमानदारी से कुछ भी और सबकुछ जीता जा सकता है। मैं अपने आस-पास के लोगों, अपने काम और खुद से हमेशा ही वफादार रहने की कोशिश करता हूं। यदि ‘सत्य‘ और ‘अहिंसा‘ अंग्रेजों को खदेड़ सकता है तो यह और भी चमत्कार कर सकता है। गांधी जयंती के मौके पर, आइये ईमानदारी और सच्चाई का संकल्प लें और इस दुनिया को बेहतर बनायें।”

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शुभांगी अत्रे का कहना है,

“मैं गांधीजी की स्वदेशी विचारधारा को मानती हूं। आज के समय में, मुझे ऐसा लगता है कि अपनी अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिये अपने लघु उद्योगों को आगे बढ़ाने का समय आ गया है। लोकल स्टोर से खरीदारी करने का आकर्षण ही अलग होता है। आपको ज्यादा विश्वसनीय और हाथ से बनी हुई चीजें मिलती हैं। मैं जब कभी भी देश के किसी कोने में जाती हूं, तो मैं लोकल मार्केट जरूर जाती हूं और वहां से चीजें खरीदती हूं। मेरा यह पक्का विश्वास है कि यदि हम सपोर्ट करें तो भारतीय उद्योग आगे बढ़ सकते हैं और किसी भी ग्लोबल इंडस्ट्री को पीछे छोड़ सकते हैं। गांधी जयंती के मौके पर, मैं सबसे कहना चाहती हूं कि भारतीय उत्पादों को प्रचारित करें और उन्हें सपोर्ट करें और भारतीय उद्योगों को आगे बढ़ने में मदद करें।”

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पीयूष सहदेव का कहना है,

“महात्मा गांधी इस बात का उदाहरण हैं कि लगन और इच्छाशक्ति लक्ष्य को पाने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मैंने अपने जीवन में हर पड़ाव पर काफी आलोचनाएं झेली हैं। लेकिन अपने लक्ष्य पर डटे रहने और एकाग्र रहने की बात ने मुझे आगे बढ़ने और मजबूत बने रहने का साहस दिया। हेल्थ, कॅरियर और रिश्ते मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। मैं इन सबको बराबर वक्त देने की कोशिश करता हूं। इसके अलावा, दिमाग में एक बात हमेशा रखता हूं कि लोगों के साथ सम्मान से पेश आना है, जिस तरह कि मैं उनसे सम्मान पाने की उम्मीद करता हूं। इन सारी सीखों ने मुझे एक बेहतर इंसान बनने में मदद की है।”

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