Birthday Special Rakesh Roshan: अगर ये फिल्म नहीं चली तो सब गड़बड़ हो जायेगा

author-image
By Siddharth Arora
New Update
Birthday Special Rakesh Roshan: अगर ये फिल्म नहीं चली तो सब गड़बड़ हो जायेगा

संगीतकार रोशन एक ऐसे शख्स का नाम है जो किसी पहचान के मोहताज नहीं है. फिल्म अनहोनी, बरसात की रात, ताज महल, चित्रलेखा, अनोखी रात आदि ऐसी दर्जनों फ़िल्में हैं जिनमें रोशन का संगीत बहुत लोकप्रिय हुआ है. संगीतकार रोशन के दो बेटे हुए, राकेश और राजेश. उनके बड़े बेटे राकेश का जन्म 6 सितम्बर को 1949 में जब हुआ तब रोशन की माली हालत ज़्यादा अच्छी नहीं थी. लेकिन राकेश के होने के बाद उनके हालात धीरे-धीरे सुधरने लगे. कुछ फ़िल्में चलने लगीं.

राकेश रोशन जब पुणे कॉलेज में थे, तब उन्हें ख़बर मिली की उनके पिता नहीं रहे. ये समय राकेश रोशन के लिए बहुत मुश्किल था. उनके पास उनके छोटे भाई की ज़िम्मेदारी भी थी और आँखों में सपने भी बहुत बड़े थे. उन्होंने पहला निर्णय लिया कि अपनी पढ़ाई छोड़ दी और फिल्मकार एचएस रवैल के चैथे असिस्टंट के रूप में काम करना शुरु कर दिया. समय बीता और कुछ ही महीनों में राकेश रोशन चैथे नंबर से चीफ असिस्टंट तक पहुँच गये. हालाँकि वह अपने इस काम से कोई ख़ास ख़ुश नहीं थे. एक रोज़ जुबिली कुमार के नाम से मशहूर राजेंद्र कुमार ने राकेश रोशन की जाने कौन सी बात नोट की और पूछ बैठे “तुम सच सच बताओ तुम डायरेक्शन करना चाहते हो या एकिं्टग? क्योंकि तुम्हारा चेहरा और हाव भाव तो बिल्कुल एक्टर्स वाले हैं”

ऐसे डायरेक्ट हुए सवाल से राकेश रोशन ख़ुद को रोक न पाए और बोल बैठे कि वह तो एकिं्टग ही करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें कोई रास्ता नहीं मिल रहा.

तब राजेंद्र कुमार ने अपने बूते उन्हें फिल्म ‘घर घर की कहानी’ में बलराज साहनी के साथ सपोर्टिंग रोल दिलवा दिया. यहाँ से राकेश रोशन के सपोर्टिंग रोल्स की शुरूआत हो गयी. इसके बाद मन मंदिर, बुनियाद, त्रिमूर्ति, ज़ख़्मी, प्रियतमा आदि फिल्मों में राकेश रोशन सपोर्टिंग कास्ट के रूप में आते रहे और दर्शकों द्वारा पसंद भी किए जाते रहे लेकिन राकेश ख़ुद अपनी इस सपोर्टिंग एक्टर वाली इमेज से ख़ुश नहीं थे.
फिल्म आँखों-आँखों में और आँख मिचोली जैसी फिल्मों में राकेश रोशन ने लीड रोल भी किया लेकिन बात नहीं बनी.

फिल्म आंगन की कली (1979) में राकेश रोशन की तारीफ तो हुई, पर फिल्म ज़्यादा न चल सकी सो राकेश रोशन फिल्म प्रोडक्शन में उतर आए. उनको लगा कि फिल्मों में प्रोडूसर से ज़्यादा दबदबा तो किसी का नहीं होता है, सो यहाँ उन्हें अपनी मर्ज़ी से कुछ करने का बेहतर मौक़ा मिल सकता है.

1980 में उनकी पहली प्रोडूस की हुई फिल्म रिलीज़ हुई ‘आप के दीवाने’, इस फिल्म में उनके दोस्त ऋषि कपूर भी थे. लेकिन ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुँह गिरी. इसके बाद राकेश रोशन ने दो साल के बाद 1982 में एक फिल्म प्रोडूस की - कामचोर. यह फिल्म फ्लॉप तो नहीं हुई, पैसा भी ठीक ठाक कमाने में कामयाब हो गयी लेकिन राकेश रोशन अपनी एकिं्टग स्किल से संतुष्ट न हुए. 1987 में उन्होंने पहली बार फिल्म खुदगर्ज़ से डायरेक्शन में हाथ आजमाया. तब वह शादी कर चुके थे. फिल्म की रिलीज़ से पहले अपनी पत्नी पिंकी से बोले “अगर ये फिल्म नहीं चली तो बहुत गड़बड़ हो जायेगी”

पर कहते हैं न कि जब इरादे पक्के हों और सोच बुलंदी छूने के लिए आतुर हो तो भला किस्मत कबतक तंग कर सकती है. यही राकेश रोशन के साथ भी हुआ. ख़ुदगर्ज़ अच्छी हिट हुई और राकेश रोशन अभिनेता और निर्माता की इमेज से इतर, एक बेहतरीन डायरेक्टर के रूप में पहली बार जाने गये. इसके बाद उन्होंने अपनी दोस्त ‘रेखा’ के साथ एक ऐसी वीमेन सेंट्रिक फिल्म बनाई, जो उस दौर में अजूबा थी. फिल्म का नाम था ‘खून भरी मांग’ और इसमें राकेश रोशन ख़ुद भी एक इम्पोर्टेन्ट रोल कर रहे थे.

यह फिल्म सिल्वर स्क्रीन पर ब्लॉकबस्टर हुई और राकेश रोशन की फिल्मों में उनके भाई राकेश रोशन का म्यूजिक भी सुपर डुपर हिट हुआ. फिर काला बाज़ार, किशन कन्हैया, किंग अंकल, करन अर्जुन, आदि एक से बढ़कर एक ब्लॉकबस्टर फ़िल्में राकेश रोशन ने बनाई और 90 के दशक में स्टार फिल्ममेकर बनकर उभरे. फिल्म करन अर्जुन के लिए उन्हें बेस्ट एक्शन और एडिटिंग का फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला.

सिर्फ ‘क’ से फिल्में बनाने के मशहूर राकेश रोशन जब शाहरुख़ खान को दोबारा लाकर ‘कोयला’ फिल्म में लाये, तो सबकी उम्मीदें इस फिल्म से भी बहुत बढ़ गयीं. लेकिन बाकी फिल्मों की तरह कोयला ऐसा कोई कमाल न कर सकी.

इसके बाद राकेश रोशन पर अपने बेटे रितिक को लॉन्च करने की ज़िम्मेदारी आ पड़ी. राकेश ने पूरे जतन से एक रोमांटिक रिवेंज फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी और उसमें डबल रोल का तड़का डालकर सन 2000 में रिलीज़ किया. यह फिल्म थी ‘कहो न, प्यार है’

अमीषा पटेल और ऋतिक रोशन, दोनों की ही ये पहली फिल्म थी और दोनों ही पहली फिल्म से दर्शकों को अपना दीवाना बना गये. फिल्म सुपर-डुपर हिट हुई और यहीं से राकेश रोशन ने सिर्फ अपने बेटे रितिक के लिए ही फ़िल्में बनाने लगे.

कहो न प्यार है के बाद हॉलीवुड साइंस फिक्शन फिल्म ई.टी. की रीमेक ‘कोई मिल गया’ में भी राकेश रोशन ने अपने बेटे ऋतिक को ही लिया और यहाँ से बॉलीवुड में पहली बार एक सुपर हीरो फिल्म की नींव पड़ी.

कोई मिल गया में, अपने वादे के मुताबिक राकेश रोशन ने अपनी दोस्त रेखा को भी एक अहम रोल दिया. इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड ही नहीं, नेशनल अवार्ड से भी नवाज़ा गया.

राकेश रोशन की बदौलत ऋतिक रोशन ने अपने कैरियर की शुरूआत एक ऐसी ऊँचाई से की कि तबसे लेकर आज तक उंनका ग्राफ बढ़ता ही गया, इसमें कमी न आई. कृष, कृष 2, काबिल आदि जो भी फिल्म उन्होंने अपने बेटे को लेकर बनाई, वो सुपरहिट रही.  

मगर 2018 में राकेश रोशन के डॉक्टर्स ने बताया कि वह थ्रोट कैंसर की फस्र्ट स्टेज पर हैं. उन्होंने इस ख़बर को भी ऐसे लिया जैसे रोज़ मर्रा की बात थी और उन्हें यकीन था कि वह कैंसर को पछाड़ सकते हैं. हुआ भी यही.

राकेश रोशन ने तुरंत सिगरेट छोड़ दी पर शराब के नाम पर बोले कि “शाम को दो पेग लिए बिना नहीं सोता, क्या है कि इससे मैं मेंटली फिट महसूस करता हूँ. फिर कैंसर से जीतने के लिए भी तो यही ज़रूरी है न, दिमागी रूप से सशक्त रहना” उनकी लेटेस्ट पीईटी स्कैन रिपोर्ट में आया था कि वह अब पूरी तरह ठीक है.

अपने 45 साल पुराने दोस्त ऋषि कपूर को भी एक वक़्त उन्होंने सलाह दी थी कि वह जबतक पूरी तरह स्वस्थ न हो जायें, तबतकसेहत को लेकर कोई लापरवाही न करें, पर वो नहीं माने.

वहीँ ऋषि के विपरीत राकेश रोशन ने अपना दिनचर्या बिल्कुल बदल दिया. वह रोज़ कसरत करने लगे, सुबह जल्दी उठने लगे. सारे कामों से तौबा कर सिर्फ और सिर्फ अपनी सेहत पर ध्यान दिया और अब पूरी तरह ठीक होकर, रितिक रोशन के साथ ही कृष्ण 4 बनाने की तैयारी में हैं.

आज 74 वर्ष के हुए ग्रेट फिल्ममेकर राकेश रोशन को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई. हम आशा करते हैं कि वह यूँहीं स्वस्थ रहें और सिनेमा में अपना योगदान देते रहें.  

#Rakesh Roshan #about Rakesh Roshan #story about Rakesh Roshan #birthday rakesh roshan
Latest Stories