बर्थडे स्पेशल: विश्व संगीत के पितामह कहे जाते हैं पंडित रविशंकर By Mayapuri Desk 07 Apr 2023 | एडिट 07 Apr 2023 02:30 IST in बीते लम्हें New Update Follow Us शेयर आज महान संगीत विशारद पंडित रविशंकर की जयंती है। 7 अप्रैल 1920 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जन्मे पंडित रविशंकर शुरुआत के दिनों में अपने भाई जाने माने नर्तक उदय शंकर के साथ उनकी नृत्य मंडली में शामिल हुए। सितार के साथ पंडित रविशंकर के जुड़ाव की वजह ये नृत्य-मंडली ही बनी थी। एक बार की बात है, जाने माने सितार वादक उस्ताद अलाउद्दीन खान भी इस मंडली के साथ यूरोप की यात्रा पर गए। इसी दौरान रविशंकर ने उस्ताद से सितार सीखने की इच्छा जताई। 8 वर्षों तक संगीत की विधिवत शिक्षा ग्रहण की लेकिन उस्ताद ने साफ तौर पर उनसे कहा, 'सितार सीखने के लिए तुम्हें नृत्य छोड़ना होगा। संगीत की विधिवत शिक्षा के लिए नृत्य-मंडली त्याग कर तुन्हें मैहर में रहना होगा।’ रविशंकर ने उनकी बात मान ली और संगीत की शिक्षा के लिए मैहर आ गए। उस्ताद की झोपड़ी के पास ही उन्होंने अपना ठिकाना बनाया और अगले 8 वर्षों तक संगीत की विधिवत शिक्षा ग्रहण की। रविशंकर ने 1939 में सार्वजनिक रूप से अपना प्रदर्शन शुरू किया। इसकी शुरुआत उन्होंने सरोद वादक अली अकबर खान के साथ जुगलबंदी के साथ की। अपनी औपचारिक शिक्षा समाप्त कर साल 1944 में रविशंकर ने मुंबई का रुख किया। मुंबई में रहते हुए उन्होंने बॉलीवुड की कई फिल्मों में संगीत दिया। उन्होंने कई फिल्मों में संगीत दिया, जिनमें कुछ जाने माने नाम जैसे- रिचर्ड एटनबरो की ‘गांधी’, सत्यजीत रे की ‘अप्पू ट्रॉयोलॉजी’, चेतन आनंद की ‘नीचा नगर’, ख्वाजा अहमद अब्बास की ‘धरती के लाल’, हृषिकेश मुखर्जी की ‘अनुराधा’, गुलजार की ‘मीरा’, ‘गोदान’ शामिल हैं। पंकज राग लिखित किताब ‘धुनों की यात्रा’ के अनुसार पाकिस्तान के प्रसिद्ध शायर इकबाल की ऐतिहासिक रचना, ‘सारे जहां से अच्छा’ को भी पंडित रविशंकर ने 25 साल की उम्र में संगीतबद्ध किया था। सत्यजीत रे की चर्चित फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ में भी रविशंकर के सितार की धुन है। फिल्मों में बनाए उनके गीत न सिर्फ संगीत की आत्मा से जुड़े हुए थे, बल्कि आम फिल्मी संगीत से बिलकुल अलग होते थे। पंडित रविशंकर ने तीन बार विश्व संगीत जगत में दिए जाने वाले सबसे प्रसिद्ध 'ग्रेमी' जैसे अवॉर्ड को अपने नाम किया। जहाज में दो सीटें होती थी बुक सभी जानते हैं कि सितार पंडित रविशंकर की आत्मा में बसा था। पंडित रविशंकर का अपने सितार से आध्यात्मिक रिश्ता था। दोनों के बीच इतना गहरा रिश्ता था कि पंडित रविशंकर दुनिया भर में जब भी कहीं गए उनके लिए जहाज में दो सीटें बुक होती थीं। दोनों सीटें बिल्कुल अगल-बगल। एक सीट पर पंडित रविशंकर बैठते थे और दूसरी पर सुर शंकर। ये सुर शंकर ही दरअसल पंडित जी का सितार था, जो हर जगह हमेशा उनके साथ रहता था। पंडित रविशंकर एक महान संगीतज्ञ होने के साथ-साथ व्यक्तिगत रूप से बड़े ही प्रेमी स्वभाव के व्यक्ति थे। उन्होंने पहला विवाह अन्नपूर्णा देवी से किया। अन्नपूर्णा देवी पंडित रविशंकर के गुरू उस्ताद अलाउद्दीन खान की बेटी थीं। इसके बाद उन्होंने अन्नपूर्णा देवी से अलग होकर नृत्यांगना कमला शास्त्री के साथ रिश्ता कायम किया। बाद में अमेरिका में सू जोन्स और सुकन्या दोनों उनके जीवन में आईं। नोरा जोन्स और अनुष्का शंकर इन्हीं दोनों की बेटी हैं। अपनी जीवनकाल में पंडित रविशंकर ने ऑल इंडिया रेडियो के लिए भी अपनी सेवाएं दीं। 1949 से 1956 पंडित रविशंकर ने आकाशवाणी के लिए म्यूजिक डायरेक्शन भी किया। देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी संसद में भी उन्होंने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। वो 1986 से 1992 तक राज्यसभा के सांसद भी रहे। बनारस घराने से ताल्लुक रखने वाले इस महान कलाकार को साल 1999 में देश का सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। #bollywood #Singer #Pandit Ravi Shankar #Ravi Shankar हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article