क्लासिकल गायन की दुनिया में एक बड़ा नाम बन गये हैं..सत्यम आनंदजी By Sharad Rai 14 Jan 2020 | एडिट 14 Jan 2020 23:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर भवन्स ऑडिटोरियम में सत्यम आनंदजी का सेमी क्लासिकल प्रोग्राम था। उन्होंने गजल की एक तान छेड़ी थी- ‘फूल रस्मों की खातिर नहीं लाइये, फूल खिल जाएंगे आप आ जाइए।’ समूचा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से भर गया था। यह गजल थी- गीतकार मदन पॉल की लिखी हुई, जो सत्यम ने उसी दिन गीतकार के साथ बैठकर कुछ देर पहले ही कंपोज किया था। यह दुखद बात हुई कि इस कार्यक्रम के अगले दिन ही गीतकार मदन पॉल हृदयघात से दुनिया छोड़ गये। सत्यम ने इस गीत को अपने 2020 के रिज्यूलेशन में शामिल कर लिया है। उनका कहना है कि गीतकार मदन पॉल (आइना क्या देखते हो दिल में उतरकर देखो ना’... फेम) मेरे गहरे मित्र थे। अब मैं अपने हर प्रोग्राम में यह गजल जरूर गाऊंगा, जो मदनजी के लिए श्रद्धांजलि होगी।’ सत्यम आनंद आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। क्लासिकल गायकी की दुनिया में वह एक बड़ा नाम बनकर उभर रहे हैं। गजल, भजन और भारतीय सुगम संगीत की नई पहचान बन चुके युवा गायक सत्यम आनंद जी से एक मुलाकात मुंबई में उनके घर पर हुई है। चर्चा चल रही होती है प्रियंका गांधी के एक ट्विटर पर लिखे गये ‘दुर्गा सप्तशती’ के श्लोक की। सत्यम कहते हैं- ‘अरे भाई वह यह मेरा गाया गाना सुनी थी, यह कैसे तय होगा? मैंने तो एक-एक शब्द बड़ा साफ और क्लीयर गाया है।’, बता दें कि सत्यम आनंद ने ‘दुर्गा सप्तशती’ के पूरे 13 अध्याय गाये हैं। जो पिछले एक साल में बहुत चर्चित रहे हैं और नेट पर इस सप्तशती के करोड़ों व्यूअर्स-श्रोता हो चुके हैं। सत्यम आनंदजी के अबतक हजारों स्टेज शो देश-विदेश में हो चुके हैं। भजन, गजल, बॉलीवुड सॉन्ग के साथ ही कंपोजिंग पर उनकी जो पकड़ है, उसे सुनकर बड़े-बड़े धुरंधर संगीतज्ञ भी उनकी तारीफ करने से नहीं रूक पाते। मशहूर भजन गायक अनूप जलोटा को वह अपना गुरू मानते हैं। गायक बनने की शुरूआत कहां से कैसे हुई ? बचपन से ही। सात साल की उम्र से संगीत में रूचि होने लगी थी। भागलपुर में, मैं अपनी मां के साथ गाने में रूचि लेने लगा था। मां लोक गायिका हैं। जब बड़ा हुआ.. अनूपजी का एक प्रोग्राम वहां हुआ था। उनकी गायी हुई लाइने मेरे मन में बैठ गई- ‘दुख में मत घबराना पक्षी...’। मैंने उनकी तरह ही गाना शुरू किया और कह सकते हैं कि वह मेरे एकलव्य के गुरू जैसे गुरू हैं। एकलव्य से उनके गुरू ने अंगूठा मांगा था, अनूप जी ने मुझे अपने साथ अपने प्रोग्रामों में गवाया है। वैसे, अनूप जी के अलावा जगजीत सिंह, मेंहदी हसन, गुलाम अली इन सभी की गायन शैली से मैंने सीखा है। टी-सीरीज से पहला एलबम निकला था। फिर स्थानीय गायकी से पूरे देश के शहरों में और विदेशों में मेरे कन्सर्ट होते चले गये। सैकड़ों भजन और गजल के एलबम आए। तमाम गीत गाने और पॉपुलैरिटी के ग्राफ के बढ़ते जाने से मुझे महसूस हुआ है कि भारतीय सुगम संगीत, गजल, भजन की विद्या अमिट है। आज विदेश में युवा हमारे गीतों को सुनना पसंद कर रहे हैं।’ वह हंसते हैं। ‘और हमारे यहां उल्टा हो गया है। पर सब अपने रूट की ओर ही लौटेंगे।’ सत्यम आनंदजी की ज्यादा सुनी जाने वाली गजल की लाइनें हैं- ‘बहुत खूबसूरत हो तुम’, ‘हाथ पकड़ कर रेत पे चलना’, ‘जमाने का अगर डर था’, ‘ये आंचल का मतला, ये पायल का मकता’, ‘जब सफर की कभी बात हो’। इसी तरह उनके भजन हैं- ‘एक नाम सुना है कृष्णा कृष्णा’, ‘जिसके जप तप से मिलता है’, ‘तेरा नाम बड़ा है’, ‘मेरे साईं सहारा है तू’, ‘माई के अंगना’, ‘दुर्गा सप्तशती’, ‘हे श्याम मुझे अपना ले’ आदि। ‘ऐसा नहीं है कि मैं सिर्फ भजन और गजल तक ही हूं।’ वह कहते हैं। बॉलीवुड म्यूजिक के लिए भी मैं काम कर रहा हूं गाता हूं। इस वेलेन्टाइन डे के मौके पर मेरा गाया कंपोज किया एक बॉलीवुड- एलबम ‘तेरे मेरे दरमियां’ रिलीज होने वाला है। ‘नैना रे नैना रे’, ‘तेरे बिना मेरे यारा’, ‘ओ मेरे हमसफर जरा सी बात पर’ ‘खामोश धड़कनों में तेरा फसाना मिला’, ‘लेके आये हैं हम देश की खुशबू...’ जैसे बॉलीवुड टाइप के गाने भी खूब सुने जाते हैं।’ सत्यम बताते हैं- ‘अगले दो महीनों में मेरे दस से बारह कंसर्ट लंदन, आयरलैंड और दूसरे विदेशी शहरों में बुक हैं जहां लोग मुझसे हर टाइप के गाने सुनना चाहते हैं। किन्तु लाइट क्लासिकल गानों की अपनी ही बात है।’ सत्यम आनंदजी की एक पहचान कार्पोरेट गायक की भी है। ग्लोरियस इवेंट, लार्सेन एंड ट्यूबरों इवेंट, सोनपुर मेला, उड़ीसा- ग्रैंड इवेंट के वह पसंदीदा गायको में एक हैं। कोशी महोत्सव, मंदार महोत्सव, विक्रमाशील महोत्सव, भागलपुर महोत्सव, चंपारण महोत्सव जैसे संगीत उत्सवों में उनकी मांग सर्वाधिक रहती है। वह बताते हैं- ‘आनंद आता है मुझे भी गाते हुए जहां आयोजक और मेहमान श्रद्धेय होते हैं। जैसे- उड़ीसा के ग्रैंड इवेंट में माननीय मंत्री नाना किशोरदास जी और विष्णु पुरिया ट्रस्ट के लोगों द्वारा मिले सम्मान से मैं आहलादित हुआ! इंडियन रेड कांगे्रस का उत्सव, जो सांस्कृतिक मंत्रालय के सहयोग से गत दिनों पटना में सम्पन्न हुआ, मैं उनसे भी प्रभावित हुआ। वे लोग और दूसरे लोग जो भारतीय म्यूजिक को जानते पहचानते हैं... मैं उन सबसे बहुत प्रभावित हूं। मैं चाहता हूं पूरी दुनियां में भारतीय- संगीत की धूम मचे।’ और पढ़े: Army Day: इन 10 एक्टर्स ने आर्मी वर्दी पहन कर जीता करोंडो लोगों का दिल #Satyam Anandjee हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article