Guru Dutt Death Anniversary: जब मोहम्मद रफ़ी पर आया था गुरुदत्त को जोरदार गुस्सा किया था ये काम

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By Chhavi Sharma
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Guru Dutt Death Anniversary: जब मोहम्मद रफ़ी पर आया था गुरुदत्त को जोरदार गुस्सा किया था ये काम

मोहम्मद रफ़ी ने एक गाने की रिहर्सल के लिए पाली हिल में गुरुदत्त के घर आने का वादा किया था. रिकॉर्डिंग अगले दिन के लिए निर्धारित की गई थी. निर्देशक एम.सादिक, संगीतकार रवि और गुरुदत्त इंतजार कर रहे थे. रफी वहा समय पर नहीं पहुंचे.

अंत में, गुरुदत्त ने अपने भाई को रफ़ी के घर बांद्रा भेज दिया.रफ़ी की पत्नी ने उन्हें सूचित किया, रफ़ी साहब घर पर नहीं हैं और इस समय फिल्म सेंटर, ताड़देव Tardeo में रिकॉर्डिंग कर रहे हैं.दत्त का भाई घर लौट आया.

गुरु दत्त को गुस्सा आया जब उनके भाई ने उन्हें बताया कि रफी एक और फिल्म की रिकॉर्डिंग में व्यस्त हैं.

दत्त ने कहा "रफी का मेरे साथ अपॉइंटमेंट है.वादा किया था उसने मुझसे" 

और फिर उन्हें अपने भाई को ताड़देव Tardeo के पास रफी को अपनी कार में वापस लाने के लिए भेजा.

फिल्म सेंटर पहुंचने पर, रफी ने केबिन से दत्त के भाई को हाथ हिलाया और उन्हें इंतजार करने के लिए कहा.रिकॉर्डिंग पूरी होने के बाद रफी ने देरी के लिए माफी मांगी.

रफी ने कहा, "वो निर्माताओं, जिन्हें आज मद्रास लौटना है, ने अंतिम समय में मुझसे अनुरोध किया था, इसलिए मुझे इसे आज खत्म करना पड़ा."

गुरु दत्त के भाई ने कहा, "कोई बात नहीं, अब चलते हैं."

रफ़ी ने कहा, "तुम आगे बढ़ो, मैं अपनी कार में तुम्हारे पीछे-पीछे चलूँगा."

दत्त के घर पहुंचने पर रफ़ी ने फिर माफ़ी मांगी. गुरुदत्त शांत थे, एक शब्द भी नहीं बोले.

निर्देशक एम.सादिक ने रफ़ी से कहा, "ऐसा लगता है कि बहुत सारा काम आपको व्यस्त रख रहा है.”

रफी ने कहा, “ऐसा कुछ नहीं है, लेकिन यह फिल्म बहुत बड़ी है.‘ससुराल’ और आज मैंने जो गाना रिकॉर्ड किया है वह वाकई बहुत अच्छा है.”

एम.सादिक और संगीतकार रवि ने कहा “सचमुच? क्या ऐसा है?" 

और जोर देकर कहा कि रफी ससुराल का गीत गाते हैं.

रफ़ी ने गाया, “तेरी प्यारी प्यारी सूरत को किसी की नज़र ना लगे...”

फिर रफी ने उनसे पूछा, "क्या आपको यह पसंद आया?"

उन्होंने कहा, “बहुत अच्छा गाना है.लेकिन हमारा गाना बहुत बेहतर है”

रफ़ी मुस्कुराए और बोले, "अगर आप अपना बेस्ट देते हैं तो हर गाना अच्छा होता है"

अंत में रिहर्सल शुरू हुई.

गाना था, ‘चौदवीं का चांद हो या आफताब हो...’

रिहर्सल के बाद मोहम्मद रफ़ी ने सहमति जताई और कहा, "यह गाना निश्चित रूप से बेहतर है."

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, गीत को अगले दिन रिकॉर्ड किया गया.

“चौदवीं का चाँद हो

या आफताब हो,

जो भी हो तुम खुदा की कसम

लाजवाब हो...”  

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