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जल्द ही ‘आँखों की गुस्ताखियाँ’ से फिल्म अभिनेता संजय कपूर और महीप कपूर की बेटी शनाया कपूर (Shanaya Kapoor) बॉलीवुड में कदम रखने वाली हैं. इस फिल्म में शनाया एक संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण किरदार निभा रही हैं. हाल ही में उन्होंने मीडिया को एक इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने फिल्मों में डेब्यू,फिल्म में कास्टिंग, शुरुआती दिनों की चुनौती और आंखों पर पट्टी बांधकर परफॉर्म करने सहित कई मुद्दों पर खुलकर बात की. आइये जाने उन्होंने कहा...
आप अपनी पहली फिल्म ‘आँखों की गुस्ताखियाँ’ को लेकर कितनी उत्साहित हैं?
मैं बहुत ज़्यादा उत्साहित हूँ! ये फिल्म मेरे दिल के बहुत करीब है और इसकी कहानी कुछ अलग और खास है. हमने इसकी शूटिंग के दौरान बहुत मेहनत की है, और अब मैं बस दर्शकों की प्रतिक्रिया देखने के लिए बेसब्र हूँ. उम्मीद है कि लोगों को मेरा किरदार और फिल्म दोनों पसंद आएंगे.
आपकी इस फिल्म में कास्टिंग कैसे हुई? क्या आपको ऑडिशन प्रोसेस से गुज़रना पड़ा?
मैं एक दूसरी फिल्म के लिए ऑडिशन देकर आई थी, लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें मेरा ऑडिशन अच्छा नहीं लगा. वह ऑडिशन टेप, कास्टिंग डायरेक्टर को बहुत पसंद आया. उन्होंने ऑडिशन टेप सैंडी सर (निर्देशक संतोष सिंह) को भेज दिया. उन्हें बहुत पसंद आया. एक रविवार की रात मुझे फोन काल आया. कि क्या आप सोमवार को फ्री हैं. मैंने कहा हाँ. उन्होंने बताया कि विक्रांत मैसी फिल्म ‘आंखों की गुस्ताखियां’ कर रहे हैं. फिर उन्होंने फिल्म की कहानी बताई. मैं उनसे मिलने गई. नरेशन सुनते ही मैंने तुरंत हाँ कर दी.
जब आपने पता चला कि विक्रांत आपके को-एक्टर होंगे, तो सबसे पहले क्या ख्याल आया?
प्रेशर था. नर्वस थी कि मैं यह चीजें कैसे कर पाऊंगी. मेरा किरदार सबा भी आसान नहीं है. आंखों पर पट्टी बांधकर सीन करना मुश्किल है. मेरे पिता हमेशा कहते हैं कि रिस्क लेना बहुत जरूरी चीज होती है, तो मैंने वो लिया और इस किरदार के लिए बहुत मेहनत की.
आपके डेब्यू की राहें आसान नहीं रहीं. अपने करियर की शुरुआत में किन चुनौतियों ने आपको सबसे ज़्यादा मानसिक रूप से प्रभावित किया?
हाँ, मुश्किल समय तो निश्चित रूप से था, मेरे लिए और परिवार के लिए भी. ऐसा नहीं था कि यह सफर मैं अकेले ही महसूस कर रही थी, पैरेंट्स भी इसे महसूस कर रहे थे. मुझे लगता है कि जो भी हुआ अच्छे के लिए हुआ. मैंने विक्रांत मैसी के साथ फिल्म की है, जो अब सबके सामने हूँ. उस समय लग रहा था कि यह कब हो पाएगा? कैसे होगा? क्यों नहीं हुआ? पर आज मैं बहुत खुश हूँ.
जब आपने आंखों पर पट्टी बांधकर परफॉर्म किया, तो उस भावनात्मक और शारीरिक चुनौती को कैसे संभाला?
तैयारी करना हर किरदार के लिए बहुत जरूरी है. खास तौर पर इस रोल के लिए, क्योंकि हम वर्ग विशेष का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. किरदार का जो सफर है, वो लंबे समय के लिए आंखों पर पट्टी बांधकर बहुत कुछ सीखती है. उसमें सहज होना मेरे लिए बहुत जरूरी था. मैंने रजित सिंह के साथ दस दिन की वर्कशाप की थी, उस दौरान बहुत कुछ किया. आंखों पर पट्टी बांधकर मैं समुद्र के किनारे गई थी. उनकी सोसाइटी की लाबी में चली. सुबह उठकर नियमित दिनचर्या के तहत ब्रश करना. मैं और सैंडी सर स्क्रिप्ट लेकर बात करते थे. आइफोन पर हमने हर सीन शूट किया, ताकि जब सेट पर जाऊं तो सहज रहूँ.
हाल ही में फिल्म के ट्रेलर लॉन्च इवेंट में जब आपके पिता संजय कपूर ने फिल्म का पहला लुक देखा तो वो भावुक हो गये, तो उस पल ने आपको अंदर से कैसे छुआ?
हाँ, डैड बहुत इमोशनल हो गए थे. जब वो फिल्म देखने गए तब भी इंटरवल के समय सैंडी सर का फोन आया कि वे रो रहे रहे हैं. मैं बस उनका नाम रोशन करना चाहती हूँ. मेरी इस कामयाबी से मम्मी भी खुश हैं. घर के बाहरी दरवाजे पर फिल्म का पोस्टर लगाया है. अंदर आओ तो गुब्बारे लगे हैं, फूल रखे हैं. हम सब सेलिब्रेट कर रहे हैं. पर हाँ, मुझे दर्शकों की स्वीकृति भी चाहिए.
आपकी दोस्त अनन्या पांडे ने एक बार कहा था कि आप बेहद मजबूत हैं और खुद अपना रास्ता बना सकती हैं — इस तारीफ को आप किस तरह लेती हैं?
(हंसते हुए) मैं स्ट्रांग नहीं हूँ. मैं बहुत ही संवेदनशील हूँ. मुझे लगता है, तीन-चार साल पहले, जब पहली फिल्म के आने का इंतजार कर रही थी, वह दौर आपको काफी कुछ सिखाता है. तो मैं भी मैच्योर हो गई. वो बदलाव रातोंरात उस अनुभव के साथ हो गया था. मैं अनन्या और सुहाना (शाहरुख खान की बेटी) से बहुत कुछ सीखती हूँ. हम एक- दूसरे से अपने करियर पर खूब बात करते हैं. एक-दूसरे की मदद करते है. वे दोनों मेरे जीवन का अहम हिस्सा है. दोस्त जीवन में बहुत जरूरी हैं.
ज़िंदगी में कभी किसी की गुस्ताख़ी या अपनी भूल ने आपको गहराई से कुछ सिखाया हो — ऐसा कोई लम्हा जो आज भी याद आता हो?
समय की पाबंदी बहुत जरूरी है. उसके अलावा जीवन में अनुशासन बहुत जरूरी है. हम एक रूटीन में नहीं चलते. ऐसा नहीं है कि हम रूटीन जॉब कर रहे हैं. कभी रविवार ऑफ होता है तो कभी किसी और दिन मुझे लगता है कि अनुशासित जीवन जरूरी है.
आप सोशल मीडिया पर होने वाली ट्रोलिंग और नेगेटिव कमेंट्स को कैसे हैंडल करती हैं?
मैं जानबूझकर सोशल मीडिया पर अपने बारे में नेगेटिव कमेंट्स और आर्टिकल्स पढ़ती हूँ, क्योंकि मुझे लगता है कि ये मेरा फर्ज है कि मैं जानूं लोग मेरे बारे में क्या कह रहे हैं. कुछ बातें बहुत पर्सनल होती हैं, जैसे बॉडी या ड्रेसिंग को लेकर, तो उन्हें मैं अलग रख देती हूँ. लेकिन बाकी बातों को मैं फीडबैक की तरह लेती हूँ, ताकि अपनी कला को और बेहतर बना सकूं.
आपको बता दें कि शनाया की फिल्म ‘आंखों की गुस्ताखियां’ के ट्रेलर को लोगों की ओर से पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला है. इस फिल्म में उनके साथ विक्रांत मैसी है, जो इसमें एक दृष्टिहीन युवक की भूमिका निभा रहे हैं. फिल्म का निर्देशन संतोष सिंह ने किया है. फिल्म को ज़ी स्टूडियोज और मिनी फिल्म्स ने प्रोड्यूस किया है और यह 11 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होगी.
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