टीन ड्रामा 'क्यों होता है प्यार' से अपने करियर की शुरुआत करने वाले अमित साध ने अपने अभिनय करियर में कई बेहतरीन फिल्म और वेब-सीरीज में काम किया है जिनमे काई पो चे (2013), सुल्तान (2016) और गोल्ड (2018) जैसी फ़िल्में शामिल हैं. साध ने अमेज़ॅन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीमिंग ब्रीथ (2018, 2020, 2022) में इंस्पेक्टर कबीर सावंत की भूमिका निभाई थी और इसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता फ़िल्मफ़ेयर ओटीटी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. बता दें अमित को बचपन से बाइक चलाने का शौक रहा है. जानकारी के लिए बता दें अमित हाल हीं मुंबई से लद्दाख की एडवेंचर रोड ट्रिप से लौटे हैं. आइये आपको बताते हैं कैसी रही उनकी ये जर्नी और कैसे हुई थी इसकी शुरुआत.
कैसे और किस तरह से मोटरसाइकिल ने आपकी जिंदगी बचाई. इसके बारे में कुछ बताइए?
अब ये तो मोटरसाइकिल से पूछना पड़ेगा. मुझे ऐसा लगता है सबकी लाइफ में एक हॉबी होती है, जैसे मेरे लिए मोटरसाइकिल है वैसे हीं किसी के लिए कथक हो सकता है या किसी और इन्सान के लिए ये कुछ और भी हो सकता है. मेरा संबंध मोटरसाइकिल के साथ बचपन से हीं शुरू हो गया था. मै बहुत छोटी उम्र से बाइक चला रहा हूँ. मै मोटरसाइकिल पर हीं कई जगहों पर गया हूँ, अलग अलग लोगों से मिला हूँ और इसकी वजह से मेरी पर्सनालिटी में काफी कुछ बदला है और इसलिए मुझे लगा कि ‘मोटरसाइकिल सेव्ड माई लाइफ’ एक बहुत हीं परफेक्ट लाइन है. बहुत साल पहले मै विदेश में किसी दुकान में था, जहाँ एक कैब थी और उस कैब पर लिखा हुआ था मोटरसाइकिल सेव्ड माई लाइफ. ये लाइन देखकर मैंने कूदकर चिल्लाया और फिर कहा ये तो मेरी लाइफ है. वहीँ से मुझे ये लाइन मिला और मन में ये भी आ गया था कि कभी भी मोटरसाइकिल से जुड़े एडवेंचर के बारे में अगर कुछ करेंगे तो नाम यही रहेगा. मै पिछले पांच से दस सालों से ये सोच रहा था कि मै जो भी एडवेंचर बाइक पर करता हूँ उसके बारे में मै कुछ करना चाहता था इसलिए मै ‘काई पो चे’ के बाद भी कई लोगों के पास गया लेकिन या तो उन्हें समझ नहीं आ रहा था या फिर शायद मै समझा नहीं पा रहा था कि मै चाहता क्या हूँ. बाद में हमने सोचा कि इसे हम खुद करेंगे. मैंने ये खुद हीं प्रोड्यूस किया है, हम एक जर्नी और एक ट्रैक पर हैं.
आपने इस ट्रिप की शुरुआत कहाँ से की और इस जर्नी की शुरुआत कैसे हुई इसके बारे में कुछ बताइए.
मै यही चाहता हूँ कि मेरा जो अनुभव है और मेरा जो इंस्पिरेशन है उसको देख कर आपको अगर ख़ुशी मिलती है और आपके चेहरे पर स्माइल आती है तो मुझे लगता है ये बनाने लायक था. मैंने मुंबई से राइड करना शुरू किया और मोटरसाइकिल से हीं हम लदाख तक गए. पुरे ट्रिप में शायद कुछ 40 दिन लगे. हमने इसको रिकॉर्ड किया और उसके बाद उस अनुभव को तीन एपिसोड में रिलीज़ किया. हम फिर से जुलाई में रोड पर जायेंगे जहाँ हम 45 दिन तक मोटरसाइकिल से हीं एक्सप्लोर करेंगे. और क्योंकि ये कोई मूवी नहीं है तो इसमें कुछ भी प्लान नहीं किया गया है. मेरी शायद बीच में एक पिक्चर रिलीज़ हो रही है इसलिए मुझे वापस आना होगा. जब फिल्म के लिए आऊंगा तो मै मै उस विडियो में बोल दूंगा कि मेरी एक पिक्चर आ रही है और उसे प्रमोट करने के लिए जाना है और उसके बाद मै वापस आ जाऊंगा. ये रियल है इसमें कुछ प्लान्ड नहीं है और ना हीं ये कोई स्पॉन्सर्ड कंटेंट है जहाँ हमें कोई बताने वाला है कि क्या दिखाना है और क्या नहीं दिखाना है. हम बस यही चाहते हैं कि ये ऑथेंटिक दिखे और रियल दिखे ताकि लोगों को अच्छा लगे और खासकर उनलोगों को जो इस तरह के एडवेंचर और ट्रेवल विडियोज देखना पसंद करते उनको एक रियल और ऑथेंटिक स्टोरी दिखा सके.
इन वीडियोज में कहीं ना कहीं आपकी पर्सनल लाइफ भी दिख रही है, तो आपको अपने इस हॉबी को लोगों के सामने लाने में कितने हिम्मत लगी?
मै इसके दो जवाब दें चाहूँगा. पहला तो ये कि मै अभी इसी उपस्थिति में हूँ और इसलिए मुझे भी थोड़ा वक़्त लगा. शुरुआत में ‘काई पो चे’ के बाद मै रेडी नहीं था क्योंकि उसके बाद मुझे अटेंशन, प्यार और काम मिला. ये जीवन है इसलिए कुछ चीजें अच्छी हुई तो कुछ चीजें बुरी हुई. मै उस समय बहुत कशमकश में था क्योंकि जो मन में था वो मै बोल नहीं पाता था और स्वाभिमान भी है. अन्दर से एक लड़ाका भी हूँ कि मै विक्टिम नहीं हूँ, मै रोऊंगा नहीं, और मेरे अन्दर क्या चल रहा है इसके बारे में किसी को कुछ भी नहीं बताऊंगा. ये भी मेरी पर्सनालिटी का एक हिस्सा था. अब मै एक ऐसे स्टेज में हूँ जहाँ मै अपने आप से कम्फ़र्टेबल हो चूका हूँ. इसका थोड़ा श्रेय मेरे उन रोल्स को भी जाता है जो मैंने इस दौरन किये, उन लोगों को भी इसका श्रेय जाता है जिनसे मैं इस दौरन मिला और मेरे एडवेंचर और मोटरसाइकिल को भी इसका श्रेय जाता है. इस डॉक्यूमेंट्री से पहले मेरे अन्दर वो कम्फर्ट आ चूका था. एक ऐसा भी समय था जब मै खाना खाता था और उसके बाद ये चेक करता था कि मेरे सिक्स पैक कहीं खो तो नहीं गए और उस समय मेरी जो गर्लफ्रेंड थी वो कहती थी “ऐसा क्यों करते हो, पागल हो गए हो.” आजा जब मै उस वक्त के बारे में सोचता हूँ तो मै हँसता हूँ. मुझे ऐसा लगता है मैंने उस वक्त को जीया हीं नहीं, मै उस वक्त खाना नहीं खाता था, नमक नहीं खाता था. ऐसा भी नहीं है कि अब मै बैठ कर एक-एक किलो जलेबी और रबड़ी खा रहा हूँ लेकिन अगर सन्डे है और दो जलेबी है तो मै खा लूँगा क्योंकि जिंदगी को जीना है. उस समय काम को लेकर बहुत स्ट्रेस था और लोग भी आपकी बॉडी के बारे में हीं कमेंट करते थे. एक वक्त आया जब मुझे लगा कि मुझे इन सभी चीजों से परे होना है. जब मैंने कबीर सावंत किया और मैंने कबीर सावंत को रेल कॉप बनाया. रेल कॉप चिज्ल्ड नहीं होते हैं, वो एसी में रहकर गोरे नहीं होते हैं. वो 24 घंटे पॉल्यूशन में रहते हैं. उनकी लाइफ बहुत टफ होती है और वहीँ से मुझे ये ताकत मिली की मै इस किरदार को रेल बनाऊंगा और इसलिए किरदार के लिए मैंने सिक्स पैक एब्स नहीं बनाये और इस किरदार को जो एक्सेप्टेंस मिली ऑडियंस, मीडिया, क्रिटिक, और दोस्तों की वहां से मुझे एक ताकत मिली की मुझे भी ऐसा हीं बनना है रियल लाइफ में और आगे जो भी किरदार करूँगा उसको अपनी सच्चाई देनी है. अब ये बाइक ट्रिप ऐसे टाइम पर पहुँच गया है कि सबकुछ रियल है. फिल्म में ऐसा भी एक शॉट है जहाँ आपको मेरा पेट निकला हुआ दिखाई देगा और मै यूँही खड़ा हुआन. मुझसे एडिटर ने पूछा की क्या इसको हटा दें, मैंने कहा नहीं ये मेरा सबसे फेवरेट शॉट है. मै शूटिंग नहीं कर रहा हूँ मै ये जो कुछ भी कर रहा हूँ वो सबकुछ रियल है वो मेरी असली पर्सनालिटी है और मै जैसा हूँ मै वैसा हूँ खुश हूँ. अगर किसी को मै मोटा लगता हूँ मुझे कोई दिक्कत नहीं है, और अगर मै किसी को अच्छा लगता हूँ अच्छी बात है. लोगों ने मेरी फिल्म की टिकट नहीं खरीदी है, जहाँ वो मुझे मेरी बॉडी स्ट्रक्चर के हिसाब से मुझे जज कर रहे हैं. मै अब जैसा भी हूँ मै बहुत कम्फ़र्टेबल हूँ.
आजकल सेलेब्रिटी खुद ब्लॉग बनाकर सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं लेकिन अगर उसी चीज के बारे में अगर मीडिया बात करे तो उन्हें दिक्कत होती है, ऐसा क्यों?
ये तो हमारा ह्यूमन नेचर है. मै अगर अपनी बात करूँ तो आप अगर मेरा विडियो देखेंगे तो उसमें आपको सेलेब्रिटी नहीं दिखेगा. मेरे दस साल के इस छोटे से करियर में मैंने कभी भी सेलेब्रिटी की तरह बिहेव नहीं किया है. मै बस अपना काम करता हूँ. मैंने ये बात बहुत जल्द हीं समझ ली थी कि अपने मन की शांति बहुत जरुरी है. जब मै ‘गुड्डू रंगीला’ कर रहा था तब अरशद भाई ने मुझे कुछ बातें बोली थी और मै उस समय ये सोच रहा था कि ये तो मेरी बस दूसरी पिक्चर है ये मुझे इतना क्यों बता रहे हैं या डरा रहे हैं. उनकी बातों का निष्कर्ष यही था कि नेचुरल रहना, नॉर्मल रहना, एक्टिंग करते रहना और इस इंडस्ट्री की गणित में मत फंसना. मै आज उनको याद करता हूँ कुछ चीजों की वजह से जिसका मुझे बहुत फायदा हुआ जो उन्होंने उस समय मुझे सीख दी थी. मै हमेशा उनका शुक्रिया अदा करता हूँ. उन्होंने कहा था हमेशा चीजों को सरल रखना.
आजतक आपने जितने भी किरदार किये हैं उनमें आपको सबसे बेस्ट कौन लगा है और किस किरदार से क्या सीख मिली है आपको?
किसी एक किरदार को चुनना बहुत मुश्किल है क्योंकि आपका हर किरदार आपके लिए स्पेशल होता है. अच्छी बात यही कि काम मिलते जा रहा है और काम करते जा रहे हैं.
आपने बॉम्बे से लद्दाख हीं क्यों चुना इस एडवेंचर जर्नी के लिए?
क्योंकि लद्दाख के आगे चाइना है और वहां जा नहीं सकते हैं. इसलिए लद्दाख में रुकना पड़ा. क्योंकि लद्दाख टॉप है इंडिया का इसलिए वहां से पुरे इंडिया की जर्नी पूरी करेंगे. लोग कन्याकुमारी से कश्मीर जाते हैं मै ऊपर से नीचे आऊंगा.
अपने फैंस और व्यूअर्स को क्या कहना चाहेंगे?
मै फैंस और व्यूअर्स को यही कहूँगा कि मै आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रगुज़ार हूँ. आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया जो मेरे साथ इतने सालों से हैं और मुझे इतना प्यार और आशीर्वाद दिया है, और मुझे ये मौका दिया है कि मै एक बेहतर इन्सान बन सकूं और एक बेहतर एक्टर बन सकूं. आपने मेरे प्रति जो सब्र दिखाया है उसके लिए मै जिंदगी भर आप सभी का आभारी रहूँगा. इसी तरह खुद को प्यार करते रहिये, दूसरों को प्यार करते रहिये, और कुदरत से जुड़े रहिये, यही मै अपने आप को भी बोलता हूँ इसलिए आपको भी यही बोल रहा हूँ.
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