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Pankaj Udhas: ऐसा लग रहा है घर वापस आ गया हूँ

-पेश है चंदा टंडन द्वारा लिया गया मायापुरी मैगजीन के लिए पंकज उधास का पूर्व साक्षात्कार यहाँ पढ़े और जाने उनके जीवन से जुड़े अनसुने किस्से और कहानियां...

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Interview Pankaj Udhas said Feels like I m back home

पंकज उधास का नाम जुबान पर आते ही जहन में शराब का नाम घर करने लगता है. नहीं नहीं ये बात नहीं है कि पंकज को शराब बहुत पसंद है बल्कि शराब पर तो उन्होंने बहुत कम गजलें गायी हैं और वही सबसे अधिक लोकप्रिय हुई है. है न अजीब बात? शायद शराब पर गायी इन गजलों में कशिश ज्यादा है. पंकज उधास से इंटरव्यू करने मैं उनके फ्लैट जो कारमाईकल रोड़ पर हैं, पहुँची.

'गजलों का दौर एक बार फिर आ गया जो एक्शन फिल्मों के दौरान खत्म हो गया था.....' मैंने पंकज उधास से कहा.

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'मैंने प्यार किया' के दौरान रोमांस, 'थीम-साँग' हो गया. हर निर्माता म्यूजिकल फिल्म बनाने लगा, कम उम्र के लड़के लड़कों के रोमांस पर. और रिकॉर्ड कम्पनियों से भारी रॉयलटी डिमांड करने लगा. लेकिन कुछ फिल्में फ्लॉप होने की वजह से लोग वहीं चेहरे वही आवाज सुनकर थक गये. यहाँ तक कि कंपोजिशन भी एक जैसी होने लगी. एक जैसी धुन हर नये गाने में होने लगी. 'दिल है कि मानता नहीं' और 'सपने साजन के' के गाने इतने मिलते जुलते थे कि ये 'स्टेल' हो गयी. इसलिए गजलों का दौर दोबारा लौट आया.'

'कैसा लग रहा है अब जबकि दौर वापस आ गया है?'

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'बहुत अच्छा. ऐसा लग रहा है घर वापस आ गया हूँ. 1971 में हम भाईयों ने (मैं, निर्मल और मनहर उद्यास) एक कॉन्सर्ट किया था जो बेहद सफल रहा. लेकिन फिर बाद में  हम अलग हो गये प्रौफेशनली. मनहर 'प्लेबैक' सिंगर बनने चला गया, निर्मल के पास अपना कैरियर था. और अब एक बार फिर हम तीनों साथ हो गये हैं. ये भी गजल का दौर वापस आने पर हुआ है.

'अपने अपने गजल कैरियर की शुरूआत कैसे की?'

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'मैं आज जो कुछ भी हूँ, वो मेहंदी हसन की बदौलत हूँ क्योंकि इनही की आवाज ने, इन्हीं की अदा ने मुझे गायक बनने पर मजबूर किया. खासतौर से गजल. एक जमाना था जब लता मंगेशकर गजलों को बहुत आसानी से लेना चाह रही थी. एस डी. बर्मन, मुकेश, मदन मोहन, रोशन और रफी का दौर खत्म हो चुका था. अमिताभ बच्चन और उनकी एक्शन फिल्मों को दौर आ गया था. संगीत भुला दिया गया था.'

'गजल आम आदमी तक नहीं पहुँच पाती क्यों?'

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'उपरोक्त बातें एक वजह थी. मुझे भी गजलों की लोकप्रियता, गजलों का महत्व एक आम आदमी तक पहुंचाने की जरूरत महसूस हुई. इसके लिए मैंने भाषा को और सिम्पल बनाया और टयून को 'कैंची रखा. ताकि हर एक की जबान पर आये. अपने कॉन्सर्ट, मैं अधिकतर आम लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करने लगा. गजलों ने खामोशी से जन्म लिया. गजलों के साथ साथ भजन और गीत भी लोकप्रिय हो गये और पैरलल म्यूजिक इंडस्ट्री का जन्म हो गया था 'तारीफ के साथ साथ कभी अपनी बुराई भी होती होगी?'

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कामयाब प्रोजेक्ट में जहाँ गुलदस्ते थे वहीं पर बुराईयां भी थी. ये तो हर बड़े इंसान के साथ होती ही है. बहुत से पत्रकारों ने मेरे काम को क्रिटिसाईज किया. लेकिन मैं इन्हें भूल गया तब जब मेहंदी हसन ने खुद मेरी तारीफ की. अचानक ही फिर सभी को शौक पैदा हुआ. गजल गायक बनने का. हर होटल, हर रेस्टारैट और हर शादी में गजल बजने लगी. काॅम्पिटिशन बहुत होने लगा, तथा कथित गजल गायक रिकॉर्ड कम्पनियों को भारी रिश्वत देने लगे. अपने अपने एलबम रिलीज करने के लिये. और जैसे ही हमें लगा कि अच्छा समय हमेशा हमेशा के लिये रहेगा. 'मैंने प्यार किया' आयी और रातों रात 'ट्रेंड' बदल गया. फिल्म म्यूजिक लौट आया था....'

'अब फिलहाल क्या कर रहे हैं आप?'

'मैंने अपनी खुद की म्यूजिक कम्पनी खोली है, नाम है 'वैलवट' और दिन रात इसी में व्यस्त रहा हूँ.'

Tags : Pankaj Udhas death | Pankaj Udhas | Pankaj Udhas interview

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