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नेटफ्लिक्स (Netflix) की चर्चित थ्रिलर वेब सीरीज़ ‘मंडला मर्डर्स’ (Mandala Murders) आने वाली 25 जुलाई, 2025 को रिलीज़ होने वाली है. हाल ही में सीरीज के मुख्य कलाकार—वाणी कपूर (Vaani Kapoor), सुरवीन चावला (Surveen Chawla) और वैभव राज गुप्ता (Vaibhav Raj Gupta) ने एक मीडिया हाउस को इंटरव्यू दिया. इस इंटरव्यू में कलाकारों ने फिल्म इंडस्ट्री के अनुभवों, महिलाओं के हक़, बॉडी शेमिंग, रिजेक्शन, कलरिज्म और टीमवर्क जैसे मुद्दों पर भी खुलकर बात की. क्या कुछ कहा, ‘मंडला मर्डर्स’ के कलाकारों ने आइये जानते हैं.
अकसर इंडस्ट्री में महिलाओं को आवाज़ उठाने पर ‘एंग्री वुमन’ कह दिया जाता है. इस बारे में क्या सोचते हैं आप?
वाणी कपूर- जब भी कोई महिला अपने लिए बोलती है या सवाल करती है तो लोग तुरंत कहते हैं- ‘बहुत एंग्री है’, जैसे औरतें हमेशा खुश और विनम्र ही रहें. इंडस्ट्री में भी जब कोई अपनी राय रखती है, तो उसे नेगेटिव तरीके से, 'एग्रेसिव' या 'डिफिकल्ट' कहा जाता है. मुझे लगता है हमें खुद को एक्सप्रेस करने से डरना नहीं चाहिए. हम भी इंसान हैं, हमारी भी फीलिंग्स हैं.
इस वेब सीरीज़ की शूटिंग के दौरान सबसे बड़ी चुनौती क्या लगी?
वाणी कपूर- इस काम में अपनी आत्मा बाहर निकालनी पड़ती है. फिल्मों की अपेक्षा, ओटीटी पर काम करना एक मैराथॉन जैसा लगता है. मैं 'मर्दानी' फिल्म को बहुत पसंद करती हूँ. इस बार मैं भी एक पुलिस अधिकारी का किरदार निभा रही हूँ.
‘मंडला मर्डर्स’ के लिए आप कितना उत्साहित है? क्या लगता है आपको कि यह सही समय पर आपको मिली हैं?
वैभव राज गुप्ता- मैं ‘मंडला मर्डर्स’ के लिए बहुत उत्साहित हूँ. मुझे लगता है कि यह वेब सीरीज मेरे करियर के बिल्कुल सही समय पर आई है.
आपको जब पहली बार यह प्रोजेक्ट ऑफर हुआ, तो कितनी जल्दी आपने हां कर दी?
वाणी कपूर- मुझे ज्यादा समय नहीं लगा. मैंने गोपी सर का काम ऑडियंस के तौर पर देखा है, जो बहुत पसंद आया. मुझे उनके सिनेमा की दुनिया से गहरा जुड़ाव महसूस होता है, और इसी कारण मैंने तुरंत इस कहानी को चुना, क्योंकि इसकी स्टोरी बहुत compelling है. यहाँ स्टोरी ही असली हीरो है, हर किरदार बहुत intricately लिखा गया है, डिटेलिंग शानदार है और सबकुछ नया और लेयड है.
इंडस्ट्री में आपको कभी बॉडी शेमिंग या रंगभेद जैसी चीज़ों का सामना करना पड़ा है?
सुरवीन चावला- मुझे कई बार कहा गया कि तुम ज्यादा फेयर नहीं हो, या तुम्हारा टोन इंडियन ऑडियंस को उतना अपीलिंग नहीं लगेगा. एक बार मुझसे ऑडिशन में पूछा गया कि आपने 'फेयर एंड लवली का एड किया है?' जैसे रंग खूबसूरती की पहचान है.
वैभव राज गुप्ता- कई बार लोगों ने बोला, आपके इंस्टाग्राम पर फॉलोवर्स कम हैं, इसलिए रोल नहीं दे सकते।' शरीर के वज़न को ले कर भी कमेंट सुनने को मिलते हैं.
वाणी कपूर- कई बार मुझे कहा गया कि तुम बहुत स्किनी हो' या थोड़ा और पतला हो जाओ. पहले दुख लगता था, अब मैंने सीखा है कि मुझे खुद को वैसे ही पसंद करना चाहिए जैसी मैं हूँ.
क्या कभी इंडस्ट्री में कैसे अजीबोगरीब कारणों से रिजेक्शन मिलता है?
सुरवीन चावला- हां, कई बार कहा जाता है, 'ओह, तुमने तो पंजाबी फिल्में की हैं, और तुम्हारी इमेज ज़्यादा 'एक्सपोज्ड' है'—इसलिए मेनस्ट्रीम रोल नहीं देंगे. ऐसा फील होता है जैसे तुम्हारी पिछली मेहनत का कोई महत्व ही नहीं. सिर्फ ये देखेंगे कि आपकी स्किन टोन क्या है या आपकी इमेज कैसी है. इतना ही नहीं कभी- कभी तो वहम जैसी वजहें सुनने को मिलती हैं.
फिल्म और वेब सीरीज़ में अभिनय के अनुभव में सबसे बड़ा अंतर क्या लगा?
वाणी कपूर- मुझे दोनों ही फॉर्मेट्स में काम करना बहुत पसंद है, लेकिन फिल्म में आपको दो-तीन घंटे के अंदर ही पूरी कहानी कहनी होती है—इमोशनल पीक्स भी जल्दी आते हैं और सब कुछ बहुत संक्षिप्त और टाइट होता है. वहीं वेब सीरीज़ में कहानी और किरदार धीरे-धीरे खुलते हैं—यह एक तरह का slow-burn प्रोसेस होता है.
आप इंडस्ट्री में चैलेंजेस और जजमेंट से कैसे डील करती हैं?
वाणी कपूर- हर किसी की अपनी जर्नी होती है. लोग आपको कैसे जज करते हैं, उसपर ध्यान देने से बेहतर है—खुद पर विश्वास रखें. मैंने हमेशा ये सोच रखा है कि अगर एक दरवाज़ा बंद होता है, तो कोई ना कोई और खुल जाता है.
शूटिंग के दौरान कोई खास यादगार घटना जो आप शेयर करना चाहें?
वाणी कपूर- मुझे एक सीन याद है जहाँ मेरा किरदार रिया, एक पुलिस अधिकारी होते हुए पूरी तरह टूट जाती है, रोती है. मगर यह कमजोरी की वजह से नहीं, बल्कि उस भारी भावनात्मक बोझ के कारण है जिसे वह लंबे समय से ढो रही है. वह सीन हमने एक-दो टेक में ही पूरा किया था और लगा मानो आत्मा बाहर आ गई हो. ऐसे इंटेंस सीन शूट करना फिजिकली और इमोशनली बहुत डिमांडिंग रहता है, पर अब जब देखती हूँ तो लगता है वह सही कोड को छूता है.
टीमवर्क और दोस्ती को लेकर आप सभी का अनुभव कैसा रहा?
सुरवीन चावला- पहली बार हम तीनों मिले तो थोड़ी हिचक थी, लेकिन जल्दी ही हमारी बॉन्डिंग हो गई. शूटिंग के दौरान सबने एक-दूसरे को सपोर्ट किया. मुझे लगा था कि स्टारी एनवायरनमेंट होगा, पर सब बहुत डाउन टू अर्थ है. मजेदार रिडल्स बहुत मजेदार थे!
ऑडियंस को मंडला मर्डर्स क्यों देखनी चाहिए?
वाणी कपूर- यह सीरीज़ बेहद रिफ्रेशिंग है — एक मिथकीय और फिक्शनल क्राइम थ्रिलर, जिसका जॉनर ही अपने आप में बेहद रोमांचक है. इसकी कहानी तेज़ रफ़्तार है और यह पुराने और नए विश्वासों को एक साथ जोड़ती है. इसमें कल्ट कल्चर, मान्यताओं, उद्देश्य और इंसानी मानसिकता की गहराइयों को छूने की कोशिश की गई है.इसमें अलग-अलग तरह के किरदार और रहस्य छिपे हैं — मुझे लगता है कि दर्शकों को न केवल कहानी बल्कि इसके साथ क्राइम को सुलझाने में भी खूब मज़ा आएगा.
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