Birthday Pankaj Udhas: शराबी नहीं, फिर भी कोई पिलाये तो... यह इस देश का दुर्भाग्य है कि यहाँ की आबादी का एक हिस्सा अभाव-पीड़ा-यातना और बीमार की लंबी रातों के हवाले है जब फिल्मों की हर शाम रंग खुशबू-खूबसूरत चेहरे-बेहतरीन शराब और संगीत में डूबी रहती है। By Mayapuri Desk 17 May 2024 in गपशप New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Follow Us शेयर -अरूण कुमार शास्त्री यह इस देश का दुर्भाग्य है कि यहाँ की आबादी का एक हिस्सा अभाव-पीड़ा-यातना और बीमार की लंबी रातों के हवाले है जब फिल्मों की हर शाम रंग खुशबू-खूबसूरत चेहरे-बेहतरीन शराब और संगीत में डूबी रहती है. रात भले ही ढ़ल जाये लेकिन यहाँ की शाम नहीं ढ़लती. ऐसी ही एक शाम-या यों कहे संगीत और सौन्दर्य में डूबी एक शाम को सहारा एयरपोर्ट स्थित ‘लीला पेंटास’ नामक शालीन होटल में गोविंदा ने अपना जन्म दिन मनाया और सुबह उसकी नयी फिल्म ‘नाच गोविंदा नाच’ का मुर्हूत गिरिकुंज में सम्पन्न हुआ. निर्माता जयराम गुलबानी की सुभाष सोनी में निर्देशन में इस फिल्म का संगीत तैयार किया है. अमर उत्पल ने. गोविंदाके साथ मंदाकिनी की इसमें रोमांटिक जोड़ी है. अमर उत्पल के संगीत से सजी फिल्म ‘घर में राम गली में श्याम’ की प्लेटिनम डिस्क में वितरण का भी समारोह था. तो लीला पेंटा में एक ही पार्टी के जरिये तीन समारोह संपन्न करने की रस्म अदायगी हुई थी और आज की शाम यही हमारी मुलाकात गजलों की दुनियां का जाना माना नाम पंकज उधास से मुलाकात हुई. वे काली शर्ट और पैंट में थे और हाथ में जाम था. करीब दस साल पुरानी बात है. जब मैं उनके भाई मनहर उधास से मिलने गया था. करीब दस साल पुरानी बात है. जब मैं उनके भाई मनहर उधास से मिलने गया था. और घर (नेपीयन सी रोड़ ) से बाहर एक होटल में पंकज से बातें हुई थी. उन्होंने ही अपने भाई के बारे में बताया था और मैंने मनहर के बारे में लिखा था. उन दिनों पंकज संगीत की धरती पर होटलों की रोशनी में शराब खोरी में डूबे लोगों का दिल बहलाया करते थे आज भी महफिल में सबको मालूम है मैं शराबी नहीं फिर भी कोई पिलाये तो मैं क्या करूं... और ला पिला दे साकिया पैमाना पैमाने के....बाद जैसी चीजें बजाती है और लोगों की शामें शराब के साथ गजलों में डूबी होती है. कभी-कभी ही कोई उम्दा चीज सुनने को मिलती है-दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है हम भी पागल हो जायेंगे ऐसा लगता है. कैंसर-उल-जाफरी मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं. वे मुझे बेहद चाहते हैं ये रचना उन्हीं की है. और पंकज ने इसे बेहद खूबसूरती से गाया पंकज की गायकी को लेकर कोई प्रश्न चिन्ह खड़ा करना बेमानी है उनके गले में दर्द का समंदर है जिसका पानी खारा होते हुए मीठास से युक्त है. इसी पृष्ठ भूमि में पंकज उधास से बैलास से बातें होती है. मुझे वीनस के ही किसी सज्जन ने बताया कि गजलों का दौर अपने अंतिम चरण में है और फिर से फिल्म संगीत डिस्को म्यूजिक अपने फार्म में वापस आने की तैयारी में है. इस खतरे की जानकारी पंकज उधास को है, यह मुझे मालूम नहीं. यह सूचना मैंने उन्हें दी और पूछा गजलों का भविष्य क्या है. वे जवाब देते हैं-‘वर्तमान बेहतर है तो भविष्य भी सुनहरा होगा.’ लेकिन इधर तो हर कोई शाल को ओढ़े हारमोनियम पर गजल गाने की मुद्रा में है. क्या गजल गाने वालों के लिए यह जरूरी है. पंकज असमंजस में अपनी बात स्प्षट करतें हैं- सिर्फ ड्रेस ही गायकी की शर्त नही. इसके लिए पूरी तैयारी आवश्यक है जो मुझे लगता है नयी पीढ़ी के गायकों में नहीं. और यह विद्या कोई नहीं नही. बेगम अख्तर से लेकर मेंदही हसन और गुलाम अली जैसे फनकारों ने इस पौधे को अपना खून आपको जरूर याद होना चाहिये- ‘अबके बिछड़े तो ख्वाबो में मिलेजैसे खूबे हुए फूल किताबों में मिले,नयी पीढ़ी की भीड़ इतनी बढ़ गयी है कि हमें लगता है कि उनसे इस विद्या को थोड़ा नुकसान होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. लेकिन जो तैयारी से आयेंगे उनके क्रद्रदां तो मिलेंगे ही.’ मुझे भी एक शेर याद आ गया- ‘कमी नहीं द्रडदां की अकबर, करे तो कोईकमाल पैदा ’ मैंने पूछा ‘चिट्ठी आयी....में लोगों ने आपको देखकर-सुनकर पसंद किया. मेरा ख्याल है आप अगर गायक और अभिनय का तालमेल बैठाये ंतो बेहतर हो. पंकज मुस्कुराते है- ‘नहीं-नहीं ‘नाम’ एक खास मौंके की चीज थी, अब जब कभी वैसा मौके ही चीज थी, अब जब कभी वैसा मौका आये तब की बात अलग होगी. गायकी से ही फुर्सत नहीं है. ’ लेकिन अगर गाते हुए विडियो कैसेट बनाये जाये. कानों के साथ साथ आंखों का भी मसला हल होगा क्या आप इससे सहमत नहीं ? पंकज कहते है. ‘इस वर्ष इसी योजना पर काम करने का इरादा है-‘ सोच रहा हूँ कि इस कल्पना को साकार कैसे किया जाये?’ पंकज के अपने ख्याल को समझाना देखना एक दिलचस्प विषय होगा. मैं इतना जरूर कह सकता हूँ कि पंकज के स्वरों में जितनी रवानगी है उनका व्यक्तित्व भी मुझे उतना ही सयंत लगा. पार्टी धीरे-धीरे जवान की लहरों में हिचकोले खाने लगी थी और मैंने उनसे विदा ली. गोविंदा आये और फिर जन्म दिन का हंगामा-डिस्क का वितरण हर तरफ एक अजीब मस्ती थी. प्रेस में लोगों को बारह बजे बाहर की गाड़ी में बैठने के लिए कहा गया. पार्टी देर रात चलने की संभावना थी और प्रेस की नजरों से दूर जश्न के माहौल को छिपाने की अदा मुझे पसंद नहीं आयी और मैंने अपना थैला अपनी चप्पल किसी बस के बाहर रख दी और नंगे पाव लीला पेंटा से अपने निवास स्थान की ओर लौटा मैं सोच रहा हूँ कि चोरो के इस शहर में शराफत आये और मुझे मेरा थैला वापस करें. मुझे गुलाम अली की एक चीज छू गयी थी. चुपके चुपके रात भर आंसू बहाना याद हैमुझको मेरी आशिकी का वो जमाना याद हैचुपके-चुपके.....फिर गुनगुनाने को विवश हुआ-जिनके होठो पे हंसी पावो में छाले होगेंहां, वही लोग तुम्हें चाहने वाले होगे....अलविदा पाठको Tags : Pankaj Udhas interview | Pankaj Udhas death | Pankaj Udhas Read More: चंदू चैंपियन का नया पोस्टर रिलीज, बॉक्सर के लुक में दिखे कार्तिक आर्यन अपने शो पर पीएम मोदी का इंटरव्यू लेने के लिए शेखर सुमन ने दिया रिएक्शन Sunny Kaushal ने भाई Vicky Kaushal के जन्मदिन पर जमकर लुटाया प्यार जेल से बचने के लिए ड्रामा कर रही है राखी, एक्स हसबैंड ने किया दावा #Pankaj Udhas #Pankaj Udhas death #Pankaj Udhas interview हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article