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पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या और उसकी जांच के इर्द-गिर्द बुनी गई अभिनेता अमित सियाल (Amit Sial) की वेब सीरीज 'द हंट - द राजीव गांधी एसेसिनेशन केस’ (The Hunt - The Rajiv Gandhi Assassination) को दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं. नागेश कुकुनूर द्वारा निर्देशित यह सीरीज सोनिलिव पर रिलीज़ हो चुकी है. हाल ही में अमित सियाल ने एक मीडिया हाउस से इस सीरीज के बारे में बात की, जहाँ उन्होंने सीरीज की रिसर्च प्रक्रिया, नैतिक ज़िम्मेदारी, नज़रिया में बदलाव, शो की स्टाइल समेत कई विषयों पर बात की. क्या कहना है उनका आइये जानते हैं.
शो को लेकर दर्शकों की क्या प्रतिक्रिया मिल रही है?
सीरीज़ को लेकर दर्शकों की प्रतिक्रिया बेहद उत्साहजनक रही है. वे इसकी कहानी, अभिनय और निर्देशन की सराहना कर रहे हैं.
इस कहानी पर काम करते समय आपके सामने कौन-सी प्रमुख रचनात्मक चुनौतियाँ आईं और आपने उन्हें कैसे पार किया?
वो सभी असली लोग हैं, इसलिए हमेशा एक ज़िम्मेदारी का एहसास रहता है कि हमें उनके बारे में ईमानदारी और संवेदनशीलता रखनी चाहिए. इसमें ये भी शामिल है कि वो अफसर कैसे थे, उनका बर्ताव कैसा था, वो क्या करते थे, कैसे दिखते थे — इन सब बातों की बारीकियों पर भी बहुत ध्यान देना पड़ता है. आप कह सकते हैं कि बहुत ज़िम्मेदारी से और साथ ही बहुत डिटेलिंग के साथ काम करना पड़ता है.
राजीव गांधी की हत्या जैसा ऐतिहासिक और संवेदनशील प्रसंग पर्दे पर पेश करते वक्त एक कलाकार के रूप में आपने मानसिक और भावनात्मक संतुलन कैसे साधा?
इस स्क्रिप्ट की सबसे बड़ी ताकत इसकी ठोस रिसर्च और तथ्यात्मक मजबूती है. जिस किताब ‘90 Days’ (अनिरुद्ध मित्रा) पर यह शो आधारित है, वह खुद एक बेहद सटीक और गहराई से समझी गई अडॉप्टेशन है. जब स्क्रिप्ट इतनी टाइट और जानकारीपूर्ण हो, तो एक अभिनेता के तौर पर हमारी ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है. मैंने अलग से जाकर इन्वेस्टिगेशन की तकनीकी डिटेल्स में तो नहीं पढ़ा, लेकिन हाँ, मैंने डॉ. डी. आर. कार्तिकेयन के बारे में काफी कुछ जाना—वो कैसे थे, उनका दृष्टिकोण क्या था, उन्होंने कैसे इस केस को लीड किया और अपनी टीम को कैसे तैयार किया. इस शो को बेहद संवेदनशीलता के साथ ट्रीट किया गया है. पूरी कोशिश रही है कि किसी भी पक्ष का झुकाव न हो, और जो भी जांच हुई थी, उसे निष्पक्ष और संतुलित नज़रिए से पेश किया जाए.
सीरीज की तैयारी के दौरान आपके पास किन स्रोतों से रिसर्च मटेरियल आया? क्या आपको वास्तविक दस्तावेज़, समाचार रिपोर्ट्स या आधिकारिक रिकॉर्ड्स तक पहुंच मिली?
सारी ज़रूरी डिटेल्स तो हमारी स्क्रिप्ट में ही थीं. इसलिए अलग से रिसर्च करने की ज़रूरत नहीं पड़ी. लेकिन जिस किरदार को मैं निभा रहा हूँ, उनकी ज़िंदगी के बारे में मैंने काफी पढ़ा. उनके इंटरव्यू भी देखे, ताकि मैं उन्हें अच्छी तरह समझ सकूँ. ये सब मेरे लिए काफी मददगार साबित हुआ, क्योंकि उनके बारे में अच्छा-खासा मटेरियल मौजूद था.
इतनी सच्ची और संवेदनशील घटना पर काम करते हुए क्या आपके मन में ज़्यादा दबाव था कि कहानी को लेकर संवेदनशीलता बनी रहे, या इसे एक कलाकार के तौर पर आपने एक अवसर के रूप में देखा?
मेरे ख्याल से सबसे पहले और सबसे अहम ज़िम्मेदारी फिल्ममेकर और प्रोड्यूसर की होती है, और मुझे लगता है कि उन्होंने इस विषय को बेहद समझदारी और संवेदनशीलता से संभाला है. हम सभी इस घटना की गंभीरता और इसके ऐतिहासिक महत्व को अच्छी तरह समझते हैं. मेरे लिए यह किसी रिस्क से कहीं बढ़कर एक गहरी ज़िम्मेदारी थी — और वह भी एक ऐसी ज़िम्मेदारी, जिसे निभाना न सिर्फ चुनौतीपूर्ण था, बल्कि बेहद जरूरी भी.
क्या इस गंभीर भूमिका की तैयारी और उसे निभाने का आपकी पर्सनल लाइफ पर कोई भावनात्मक या मानसिक असर देखने को मिला?
इस घटना का मुझ पर पहले से ही असर था, क्योंकि ये तब हुआ था जब मैं सिर्फ 16 साल का था. और उसके कई महीनों तक ये चर्चा का विषय बना रहा. ये अपने आप में एक अलग ही तरह का मामला था. पहली बार इस तरह का मामला सामने आया था. हाँ, ये सच में एक बहुत बड़ा झटका था और अब इस शो का हिस्सा बनने से उस हादसे की याद फिर से ताज़ा हो जाती है.
इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के बाद क्या देश, राजनीति या इतिहास को लेकर आपकी सोच में कोई बदलाव आया?
मैं हमेशा से मानता रहा हूँ और ये शो उसका सिर्फ एक विस्तार भर है कि किसी देश को चलाना, एक राजनेता होना, एक बेहद कठिन काम है. खासकर भारत जैसे देश में, जहाँ इतनी भाषाएँ, संस्कृतियाँ, परंपराएँ और विविधताएँ हैं. इतनी विविधता में संतुलन बनाना, सबकी आवाज़ सुनना और फैसले लेना एक बहुत बड़ी और चुनौतीपूर्ण ज़िम्मेदारी है. इस प्रोजेक्ट ने इस बात को और गहराई से महसूस करवाया — शायद यही इसकी सबसे बड़ी सीख भी है और जब आप इस ज़िम्मेदारी को एक किरदार के ज़रिए निभाते हैं, तो उसका असर लंबे वक्त तक रहता है — निजी सोच पर भी और समाज को देखने के नजरिए पर भी.
कंटेंट की भीड़ में यह शो किस तरह अलग खड़ा होता है — आप इसे कैसे डिफाइन करेंगे?
ये सीरीज़ पुराने अंदाज़ की पुलिस जांच पर आधारित है जहाँ सनसनी या ड्रामा नहीं, बल्कि सच्चाई को उसी रूप में दिखाना ज़रूरी होता है जैसे वो सामने आई. इसमें किसी एक पक्ष को फायदा पहुँचाने की कोशिश नहीं की गई है, बल्कि सिर्फ वही टुकड़े सामने रखे गए हैं जो असल इन्वेस्टिगेशन के दौरान सामने आए थे. असल में ये एक इन्वेस्टिगेटिव थ्रिलर है, जो एक सच्ची घटना पर आधारित है और यही इसकी सबसे बड़ी ताक़त भी है. यह दर्शकों को उस समय और माहौल में ले जाती है, जहाँ हर सुराग, हर बयान और हर चुप्पी मायने रखती है.
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