/mayapuri/media/media_files/2025/04/18/aTKqHHTRataieExb9qx8.jpg)
बॉलीवुड के "खिलाड़ी कुमार" के नाम से मशहूर अक्षय कुमार (Akshay Kumar) आज जिस बुलंदी पर हैं, वहां तक पहुंचना सिर्फ एक सपना नहीं था—बल्कि यह एक लंबा, कठिन और जुनून से भरा संघर्ष था. उनकी कामयाबी के पीछे अनगिनत नाकामियाँ, त्याग और अपार मेहनत की एक प्रेरक कहानी छिपी है.
कुछ समय पहले एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में अक्षय कुमार ने अपने जीवन के कुछ बेहद निजी और अनसुने किस्से साझा किए. ये किस्से न केवल दिल को छू जाते हैं, बल्कि लाखों युवाओं के लिए आशा, हौसले और आत्मविश्वास का स्रोत बन सकते हैं. इस बातचीत में उन्होंने अपने शुरुआती संघर्षों, पिता के साथ भावनात्मक रिश्ते और धीरे-धीरे स्टारडम तक पहुंचने के सफर के बारे में खुलकर बताया. आइए जानते हैं, क्या कुछ कहा अक्षय ने.
मैं पढ़ता था, लेकिन नींद आ जाती थी
अक्षय कुमार ने बताया कि पढ़ाई उनके बस की बात नहीं थी. वे मुस्कराते हुए कहते हैं, "पढ़ाई एक अच्छी चीज़ है, लेकिन मुझे उसमें मज़ा नहीं आता था. किताब खोलते ही नींद आने लगती थी," हालांकि उनके पिता हमेशा यह समझाते थे कि, "इतना पढ़ लो कि किसी के सामने दो बात कर सको." अक्षय मानते हैं कि बुनियादी शिक्षा बेहद ज़रूरी है ताकि दुनिया, भाषा और इतिहास की समझ बनी रहे.
मेरे पापा मेरे पहले कोच थे
अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए अक्षय कहते हैं, "मेरे पापा मेरे पहले कोच थे." वे उनके साथ वॉलीबॉल खेलने जाते, खिलाड़ियों को पानी पिलाते और हर मैच में मौजूद रहते. अक्षय मानते हैं कि खेलों के प्रति उनका जुनून कहीं न कहीं उनके पिता की सोच और समर्थन से ही उपजा. वे भावुक होकर कहते हैं – "काश हर किसी को मेरे पापा जैसे पिता मिलें."
टिकट और एक बड़ा सपना
पढ़ाई में मन न लगने के बाद अक्षय ने तय किया कि उन्हें कुछ नया सीखना है. उन्होंने बैंकॉक जाकर मार्शल आर्ट सीखने का निर्णय लिया. उस समय फ्लाइट टिकट की कीमत 22,000 रुपये थी, जो उनके परिवार के लिए बहुत बड़ी रकम थी. लेकिन उनके पिता ने 18,000 रुपये उधार लेकर उन्हें भेजा. एयरपोर्ट पर उन्होंने अपने बेटे अक्षय से बस इतना कहा – कि खुद का ख्याल रखना."
वेटर से लेकर मार्शल आर्टिस्ट तक
बैंकॉक में अक्षय ने एक गेस्ट हाउस में वेटर की नौकरी की और साथ ही थाई बॉक्सिंग की ट्रेनिंग भी जारी रखी. इसके बाद वे ढाका और कोलकाता में भी काम करते रहे. इस दौरान उन्होंने ट्रैवल एजेंसी में भी काम किया—P-फॉर्म भरना, टिकट बुक करना और अन्य छोटे-बड़े कार्यों को भी पूरी ईमानदारी से निभाया.
एक फोटोशूट और बदल गई किस्मत
वह इस मनोरंजन की दुनिया में कैसे आए इस बारे में बताते हुए अक्षय कहते हैं कि एक दिन उन्होंने एक विज्ञापन के लिए फोटोशूट किया, जिसमें एक्ट्रेस उनकी गोद में लेटी थीं. सिर्फ 2.5 घंटे के इस काम के लिए उन्हें 21,000 रुपये मिले. वे चौंक गए और यहीं से उन्हें मॉडलिंग की दुनिया आकर्षित करने लगी. फिर उन्होंने जय सेठ के साथ लाइटबॉय के रूप में काम किया, जहाँ वे गोविंदा और रेखा जैसे सितारों के फोटोशूट्स में शामिल हुए.
इस बारे में और बात करते हुए उन्होंने बताया कि एक बार बॉलीवुड एक्टर गोविंदा ने उनसे कहा कि "तू हीरो क्यों नहीं बनता?" ये शब्द अक्षय के दिल में उतर गए और उन्होंने ठान लिया कि अब पीछे नहीं हटना है.
जब छूट गई फ्लाइट और मिल गया पहला ब्रेक
आज भले ही अक्षय सबसे समय के पाबंद कलाकारों में गिने जाते हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने सुबह की फ्लाइट को शाम की समझ लिया. नतीजतन, वे शूट पर समय पर नहीं पहुंच पाए. दुखी मन से वे नटराज स्टूडियो गए, जहां उनकी मुलाकात नरेंद्र दादा से हुई. दादा ने पूछा – "हीरो बनना है?" और उसी वक्त उन्हें 5,001 रुपये का चेक और तीन फिल्मों का कॉन्ट्रैक्ट मिल गया.
B-ग्रेड से A+ तक का सफर
शुरुआती दिनों में उन्हें B-ग्रेड फिल्मों का हिस्सा बनना पड़ा. इस पर अक्षय हँसते हुए कहते हैं – "मैं तो सोचता था B मतलब ब्रेड एंड बटर होता है." लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. लगातार मेहनत करते रहे और आज वे न सिर्फ सुपरस्टार हैं, बल्कि निर्माता भी हैं. उनके प्रोडक्शन हाउस "हरिओम प्रोडक्शन" का नाम उनके पिता के नाम पर रखा गया है.
अवार्ड्स के पीछे की सच्चाई
अक्षय कुमार ने अवार्ड शोज़ के पीछे के राज़ भी खोले. वे बताते हैं, "कई बार मुझसे कहा गया कि अगर अवार्ड चाहिए तो शो आधे पैसों में करो. तब मैं साफ कहता – अवार्ड किसी और को दे दो, लेकिन मुझे मेरे पूरे पैसे दे दो." उन्होंने यह भी बताया कि मंच पर उन्होंने देखा है कि कई बार कार्ड में नाम काटकर किसी और का नाम लिख दिया जाता है. और जो इवेंट में नहीं होते, उन्हें अवार्ड नहीं मिलता.
ऐसे बनी अक्षय-टीना की जोड़ी
ट्विंकल खन्ना (टीना) के साथ अपने रिश्ते को याद करते हुए अक्षय ने एक प्यारा किस्सा सुनाया. एक फिल्म की शूटिंग के दौरान जब सेट पर टीवी नहीं था, तभी दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई. वहीं से दोस्ती और फिर प्यार का सिलसिला शुरू हुआ, जो शादी तक पहुंचा और आज वे 2 बच्चों के पिता है.
सफलता की कुंजी
अक्षय कहते हैं, "मेरी जिंदगी की सारी सीख दो बातों में छिपी है – लगातार मेहनत करो और अपने माता-पिता का सम्मान करो. अगर इन दो बातों को आप याद रखो, तो जिंदगी में कभी असफल नहीं हो सकते."
अक्षय कुमार की लोकप्रिय फ़िल्में
'खिलाड़ी', 'धड़कन', 'वेलकम', 'सिंह इज किंग', 'खिलाड़ी 786', 'आरजू', 'संघर्ष', 'मिशन मंगल', 'नाम शबाना', 'हेरा फेरी', 'मुझसे शादी करोगी', 'नमस्ते लंदन', 'भूल भुलैया', 'हे बेबी', 'वेलकम', 'Skyforce', 'सरफिरा', 'बड़े मियाँ छोटे मियाँ', 'मिशन रानीगंज', 'सेल्फी', 'राम सेतु', 'कटपुतली', 'रक्षाबंधन', 'सम्राट पृथ्वीराज', 'बच्चन पांडे', 'टॉयलेट: एक प्रेम कथा', 'पैड मैन', 'केसरी', 'मिशन मंगल', 'स्पेशल 26', 'हाउसफुल 4', 'सूर्यवंशी', 'ओएमजी 2', 'सिंघम अगेन'. जल्द ही वे ‘केसरी चैप्टर 2’ में नज़र आने वाले हैं.
अक्षय कुमार की कहानी सिर्फ एक सुपरस्टार की सफलता की कहानी नहीं है, यह उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सपने देखते हैं और उन्हें हकीकत में बदलना चाहते हैं. उनके जीवन का हर पड़ाव यह बताता है कि अगर आप मेहनत और सच्चाई के रास्ते पर चलते हैं, तो मंज़िल जरूर मिलती है—चाहे रास्ता कितना भी मुश्किल क्यों न हो.
by PRIYANKA YADAV
Read More
Jaat Controversy: Sunny Deol और Randeep Hooda के खिलाफ दर्ज हुई FIR, दोनों स्टार्स पर लगा ये आरोप