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Babil Khan ने कहा पिता Irfaan Khan की विरासत को इज़्ज़त देना चाहता हूँ, दोहराना नहीं

दिवंगत प्रतिभाशाली अभिनेता इरफान खान (Irfaan Khan) के बेटे बाबिल खान (Babil Khan) इन दिनों फिल्म इंडस्ट्री में अपने पैर पसारने में लगे हुए है. बतौर फिल्म अभिनेता ‘कला’ (Qala) से अपने फ़िल्मी करियर...

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Babil Khan said I want to respect father Irrfan Khan legacy not repeat it
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दिवंगत प्रतिभाशाली अभिनेता इरफान खान (Irfaan Khan) के बेटे बाबिल खान (Babil Khan) इन दिनों फिल्म इंडस्ट्री में अपने पैर पसारने में लगे हुए है. बतौर फिल्म अभिनेता ‘कला’ (Qala) से अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत करने वाले बाबिल हाल ही में ओटीटी पर रिलीज हुई अपनी फिल्म ‘लॉगआउट’ (Logout) की स्ट्रीमिंग को लेकर चर्चा में बने हुए हैं. कुछ दिनों पहले बाबिल ने अपने पिता इरफान खान व उनकी फिल्मों से जुड़ाव और अब तक के अपने सफ़र सहित कई मुद्दों पर खुलकर विचार साझा किए. आइये जानते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा.

babil khan movies and tv shows

बचपन में सिनेमा को लेकर आपकी क्या दिलचस्पी रही है? क्या आप फिल्मों से प्रभावित थे, या यह रुचि समय के साथ धीरे-धीरे विकसित हुई?

सभी बच्चों की तरह, मैं भी कृष (Krrish) और धूम (Dhoom) देखना चाहता था, लेकिन मेरे पिता ने मुझे 8 साल की उम्र में आंद्रेई तारकोवस्की की ‘स्टॉकर’ दिखाई. बेशक मुझे कुछ भी समझ नहीं आया और मैं फिल्म के ज़्यादातर हिस्से में सो गया. हालाँकि, जब मैं लंदन में वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय में अपने फिल्म कोर्स के लिए गया और अपनी थीसिस लिखी, तो स्टाकर देखने की कुछ मूल यादें और छापें फिर से उभर आईं. अपनी टीनएज में, मुझे ईरानी और तुर्की सिनेमा से प्यार हो गया था.

krrish and dhoom

आपके पिता ने अपने करियर में कई शानदार फिल्में की हैं, लेकिन क्या ऐसी कुछ फिल्में हैं जिन्हें आप बार-बार देखना पसंद करते हैं या जो आपके मूड के हिसाब से आपके सबसे करीब हैं?

हाँ, मैं आपको पांच फ़िल्में बता सकता हूँ. एचबीओ सीरीज 'इन ट्रीटमेंट' (2010), लाइफ ऑफ पाई (2012), पान सिंह तोमर (2012), लंचबॉक्स (2013) और मदारी (2016). वहीँ अगर मेरा मूड खराब है, तो मैं किसी भी दिन 'करीब करीब सिंगल’ (2017) उठाकर देख सकता हूँ.

Irfaan Khan

Irfaan Khan

अपने पिता की फिल्मों में ऐसा कौन-सा सीन है, जिसे आप बार-बार देखना पसंद करते हैं, और क्यों? क्या उस सीन से आपका कोई खास जुड़ाव है या वो आपको किसी खास याद की ओर ले जाता है?

मेरे दिमाग में सबसे पहले ‘द नेमसेक’ (2006) का वह सीन आता है, जिसमें उन्हें फोन आता है, जिसमें बताया जाता है कि तब्बू के पिता का निधन हो गया है. इस सीन में एक भी शब्द नहीं बोला जाता. वह बस सुनते हैं. वह एक सीन आपको अभिनय के बारे में किसी भी अभिनय पाठ्यक्रम से ज़्यादा बताता है. ‘द दार्जिलिंग लिमिटेड’ (2007) में भी उनका ऐसा ही छोटा सा रोल है, जो ऐसी दुखद स्थिति में हास्यपूर्ण है. मुझे वह पसंद है. मैं और मेरी टीम ‘हासिल’ (2003) के डायलॉग बोलते रहते हैं. उस फ़िल्म में एक शानदार सीन है, जहाँ उन्हें एक कुर्सी से बाँध दिया जाता है. मैं इस दृश्य का बहुत सम्मान करता हूँ.

बतौर इरफान खान के बेटे, आपके पास उनसे जुड़ी कई अनमोल यादें होंगी. क्या आप कोई ऐसा खास पल या अनसुनी बात हमारे साथ साझा करना चाहेंगे, जो आपके दिल के बेहद करीब हो और जिसे दुनिया ने अब तक नहीं सुना हो?

मुझे नहीं पता कि यह कितने लोगों को पता है लेकिन वह असल में क्रिकेटर बनना चाहते थे और बहुत अच्छा क्रिकेट खेलते थे. वह स्टेट टीम में चुने गए थे लेकिन उनके पास जाने के लिए पैसे नहीं थे. वह जैसे एक्टिंग करते थे, वैसे ही बैटिंग भी करते थे. तो हम दोनों गली क्रिकेट खेलते थे घर में और मैं बॉलिंग करता था. इतना ही नहीं, फार्महाउस में उन्होंने एक क्रिकेट पिच भी बनाई है जहां हम खेलते थे. आपको एक मजेदार बात बताता हूँ. वह बच्चों की तरह आउट होने पर गुस्सा हो जाते थे और बैट लेकर चले जाते थे कि मेरा बैट है, मैं जा रहा हूँ. वे फुटबॉल खेलते थे, वह भी ऐसे ही बच्चे की तरह कि कहां गया है बॉल गोल में, बगल से गया है, तुमने देखा ही नहीं. बिल्कुल बच्चे की तरह! बहुत मजा आता था.

irrfan khan babil khan

क्या आपको लगता है कि इंडस्ट्री आपको अपने पिता की छाया से अलग एक व्यक्ति के रूप में देखने लगी है?

देखिये मुझे इंडस्ट्री के बारे में नहीं पता लेकिन निजी तौर पर, मैं इसे एक छाया के रूप में नहीं देखता. यह सर्दियों के दिन में धूप की एक खूबसूरत किरण है. मेरे पिता की विरासत सिर्फ़ अभिनय तक ही सीमित नहीं है. मैं उनके छोड़े हुए चिन्हों को भरने की कोशिश नहीं कर रहा हूँ, बल्कि मैं खुद का सबसे अच्छा संस्करण बनने की कोशिश कर रहा हूँ. मैं उनके जैसा दयालु बनना चाहता हूँ, और ऐसा काम करना चाहता हूँ जो लोगों को प्रभावित करे, उन्हें एक पल के लिए जीवित महसूस कराए.

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अक्सर कहा जाता है कि नेपोटिज़्म और ग्लैमर की दुनिया में कदम रखते ही कई युवाओं को सोशल मीडिया और फोन की लत लग जाती हैं, जो उनपर नेगेटिव असर डालती हैं. क्या आप भी किसी ऐसी आदत का सामना कर रहे हैं?

नहीं, मुझे फोन से कोई एडिक्शन नहीं है. मेरा एडिक्शन फोन से वैलिडेशन लेने का था. जब फोटोज को प्यार मिलता था, लोग उसे लाइक करते थे तो बहुत अच्छा लगता था. लेकिन जब मुझे उसका असर समझ आया कि मैं तो अपनी उस इमेज को पसंद करने लगा हूँ जो दूसरे लोगों ने मेरी बनाई है और मैं उसमें फंस गया हूँ, तब मुझे अहसास हुआ कि यह तो सेल्फ वर्थ नहीं है बल्कि सिर्फ लोगों को खुश करना है. तो मेरा एडिक्शन सोशल मीडिया से उतना ही था.

babil khan style

ट्रोल्स का आप पर कैसा असर पड़ता है?

मैं अब आमतौर पर ट्रोल्स को गंभीरता से नहीं लेता हूँ. पहले जब लोग ट्रोलिंग को ज्यादा डार्क कर देते थे तब थोड़ा बुरा लगता था. लेकिन फिर उससे भी मैं आगे बढ़ गया. हालांकि ऐसी छोटी-छोटी चीजों पर आप सवाल तो करते हो कि यह क्या है!

Babil Khan Logout

इन दिनों बाबिल खान लॉगआउट (Logout) में दिखाई दे रहे हैं. इससे पहले वह ‘फ्राइडे नाइट प्लान’ और ‘कला’ में नजर आ चुके हैं. बाबिल ने अभी इंडस्ट्री में ज्यादा काम नहीं किया है. लेकिन अपने छोटे से करियर में ही वो अलग-अलग भूमिकाएं निभा रहे हैं. उनके अपकमिंग प्रोजेक्ट की बात करे तो वे जल्द ही एक रोमांटिक शो में नज़र आयेंगे. 

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