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एक समय की बॉलीवुड की सुपर स्टारनी ममता कुलकर्णी इनदिनों सन्यासिनी बनने की खबरों में होने के साथ साथ प्रयागराज महाकुंभ की एडेड आकर्षण बनी हुई हैं. यहां पहुंचने वाले धर्मार्थी अगर कुम्भ स्नान के बाद शंकराचार्यों का दर्शन करना चाहते हैं तो वे किन्नर अखाड़े की नव निर्वाचित महा मंडलेश्वर श्री यमाई ममता नंद गिरी को भी देखना और मिलना चाहते हैं. किन्नर अखाड़े की नई सन्यासिनी- श्री यमाई ममता नंद गिरी ही ममता कुलकर्णी का नया नाम है.
खबर आरही है ममता कुलकर्णी के महा मंडलेश्वर बनाए जाने का विरोध हो गया है और उनको पदासीन करने वाली किन्नर मां आचार्य महा मंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की कुर्सी ही खतरे में आगयी है जिन्होंने 23 साल बाद दुबई से भारत वापस आयी पूर्व अभिनेत्री को ना सिर्फ सन्यास-दीक्षा दिया है बल्कि उनको किन्नर अखाड़े की नेता-महा मंडलेश्वर बनने की सारी क्रियाएं सम्पन्न कराया है. सन्यासियों के प्रशिछु बनने के क्रम में दीक्षा लेने के उपरांत ममता कुलकर्णी को पवित्र गंगा नदी में पिंडदान कराया गया है, संगम के पवित्र जल में उन्होंने डुबकी लिया है और दूसरी सन्यास के वस्त्रों में उनका पटाभिषेकम किया गया है. पूर्व अभिनेत्री इनदिनों प्रयागराज के किन्नर अखाड़े में दूसरी सन्यासिनियों के साथ रह रही हैं.
इधर किन्नर सन्यासियों के बीच उनकी 'नयी महामंडलेश्वर' को लेकर बहस चल पड़ी है. ममता कुलकर्णी के श्री यमाई ममता नंद गिरी बनाए जाने की विधि-विधान पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. ट्रांसजेंडर कथा वाचक महामंडलेश्वर हिमांगी सखी मां ने डटकर ममता की नियुक्ति पर विरोध जताया है. उन्होंने जो सवाल उठाया है उनमें एक यह भी है कि नई महामंडलेश्वर का पूरा मुंडन क्यों नहीं किया गया? ममता ने सिर के बाल नहीं मुड़ाये हैं बल्कि उनकी एक चोटी काटी गई है. चर्चा यहां तक सुनाई दे रही है कि किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय इस विवाद पर कोई कड़क फैसला ले सकते हैं. वह आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को पदमुक्त करने का निर्णय भी सुना सकते हैं.
इधर...सुनने में यह भी आरहा है कि किन्नर अखाड़े के सन्यासियों में उनकी नयी बनी महामंडलेश्वर के पुराने किए गए कामों का रोचकता से वर्णन हो रहा है. बतादें कि 52 वर्षीय ममता कुलकर्णी एक मराठी ब्राह्मण परिवार की लड़की हैं जो पूजा पाठ करने वाली महिला हैं. 'तिरंगा' फिल्म से उन्होंने अपने एक्टिंग कैरियर की शुरूआत किया था, फिर वह सभी बड़े सितारों (शाहरुख खान, सलमान खान, अक्षय कुमार आदि) के साथ काम की. 'वक्त हमारा है', 'क्रांतिवीर', 'करन- अर्जुन', 'सबसे बड़ा खिलाड़ी', 'आंदोलन', 'बाज़ी', 'चाइनागेट', 'आशिक आवारा' आदि उनकी की गई फिल्में हैं.
बहरहाल फिल्म 'वक्त हमारा है' कि नायिका आजकल साध्वी बनी हुई हैं और महा मंडलेश्वर के रूप में वक्त के नए थपेड़े झेलने के लिए मजबूती से खड़ी हैं. देखने वाली बात होगी कि किन्नर समाज के धार्मिक और सामाजिक उत्थान के लिए वह कितना कुछ करने का मौका पा पाती हैं.
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