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Doordarshan completes 66 years: देश की आवाज़ और अनगिनत यादों का संगम

दूरदर्शन ने अपने 66 साल पूरे कर लिए हैं। इस सफर में दूरदर्शन ने मनोरंजन, समाचार और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 66 वर्षों में दूरदर्शन ने तकनीक और कंटेंट दोनों में कई बदलाव किए और आज भी अपनी विश्वसनीयता के लिए दर्शकों के दिलों...

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Doordarshan completes 66 years
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Doordarshan 66th Foundation Day Celebration: भारत का सबसे बड़ा प्रसारण नेटवर्क दूरदर्शन (Doordarshan) आज, सोमवार को अपना 66वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस अवसर पर दिल्ली के रंग भवन ऑडिटोरियम में ‘शब्दांजलि: परंपरा से आधुनिकता तक’ नामक विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. जिसमें दिल्ली घराने (Delhi Gharana) के वुसत इकबाल खान (Vusat Iqbal Khan) और आबाद अहमद (Abad Ahmad) अमीर खुसरो (Amir Khusro) के कलाम ‘छाप तिलक’ और ‘दमादम मस्त कलंदर’ जैसी रचनाएँ प्रस्तुत करेंगे. इसके अलावा लोकगायिका मैथिली ठाकुर (Maithili Thakur) अपनी मधुर आवाज़ में ठुमरी पेश करेंगी. वहीं देवांचल की प्रेम कथा और सीता-रावण वादम् का भी मंचन होगा. कार्यक्रम का संचालन सुगंधा मिश्रा (Sugandha Mishra) और सुगंध भोसले (Sugandh Bhosle) करेंगे.

दूरदर्शन के महानिदेशक ने कहा

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Doordarshan Director General

इस अवसर पर दूरदर्शन के महानिदेशक के. सतीश नम्बूदिरिपाद (K. Satish Namboodiripad) ने कहा, “पिछले छह दशकों में दूरदर्शन केवल एक प्रसारक नहीं बल्कि भारत की आवाज और दृष्टि रहा है, जो देश के हर घर तक पहुंचा है. इस स्थापना दिवस पर हम एक बार फिर नवाचार, समावेशिता और राष्ट्र निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं. ताकि दूरदर्शन (Doordarshan) राष्ट्र की विविधता, संस्कृति और आकांक्षाओं को दुनिया तक पहुंचाता रहे.”

दूरदर्शन की शुरुआत

भारत में टेलीविजन प्रसारण का आगाज़ 15 सितंबर 1959 को हुआ था, जब इसे ‘टेलीविजन इंडिया’ (Television India) के नाम से दिल्ली में लॉन्च किया गया. उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) ने किया था. 1965 में इसका रोजाना प्रसारण प्रारंभ हुआ, वही  पांच मिनट के समाचार बुलेटिन का आगाज भी इसी साल हुआ था. इसके बाद 1975 में इसका हिंदी नामकरण ‘दूरदर्शन’ (1975 तक यह आकाशवाणी (All India Radio) का हिस्सा रहा) नाम से किया गया. शुरुआत में इसका प्रसारण सप्ताह में सिर्फ तीन दिन आधा-आधा घंटे होता था.  1982 में रंगीन टेलीविजन आने के बाद लोगों का रूझान इस ओर अधिक बढ़ा. एशियाई खेलों का दूरदर्शन पर प्रसारण ने भारतीय टेलीविजन में क्रांतिकारी बदलाव लाए. इसके बाद 3  नवंबर 2003 में दूरदर्शन का 24 घंटे चलने वाला समाचार चैनल ‘डी डी न्यूज़’ शुरू किया गया.

सांस्कृतिक प्रभाव और लोकप्रिय कार्यक्रम 

Cultural Impact and Popular Programs

दूरदर्शन ने भारतीय समाज में मनोरंजन और जागरूकता दोनों को नई दिशा दी. धारावाहिक जैसे हम लोग (Hum Log), बुनियाद (Buniyaad), नुक्कड़ (Nukkad), रामायण (Ramayan), महाभारत (Mahabharat), भारत एक खोज (Bharat Ek Khoj), 'भारत एक खोज' (Bharat Ek Khoj), 'चंद्रकांता' (Chandrakanta), कृषि दर्शन, 'ब्योमकेश बख्शी' (Byomkesh Bakshi) और 'डिटेक्टिव करण' (Detective Karan) ने दर्शकों का दिल जीत लिया. 

संगीत और फिल्मी गीतों के कार्यक्रम चित्रहार (Chitrahaar) और रंगोली (Rangoli) हर पीढ़ी के पसंदीदा बने. बच्चों के लिए शक्तिमान (Shaktimaan), जूनियर जी (Junior G), मालगुड़ी डेज़ (Malgudi Days), 'गली गली सिम सिम' (Gali Gali Sim Sim)  और शक्लाका बूम बूम (Shaka Laka Boom Boom) जैसे शो न सिर्फ खास रहे बल्कि इन कार्यक्रमों ने दूरदर्शन की लोकप्रियता को आसमान की ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया.

वहीं विज्ञापन जैसे ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ (Mile Sur Mera Tumhara), ‘बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर’ (Buland Bharat ki Buland Tasveer) और शिक्षा से जुड़ा अभियान ‘स्कूल चले हम’ (Sarv Shiksha Abhiyan) आज भी एकता और औद्योगिक विकास के प्रतीक हैं.

दूरदर्शन के विकास में महिला योगदान

Women’s Contribution to the Growth of Doordarshan

दूरदर्शन के विकास में कई महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिनमें से कुछ प्रमुख नाम प्रतिमा पुरी (भारत की पहली महिला न्यूज़ एंकर), गीतांजलि अय्यर, सलमा सुल्तान, रिनी सिमोन खन्ना मीनू तलवार, और नीति रवींद्रन हैं, जिन्होंने पत्रकारिता और प्रसारण के माध्यम से इसे आकार दिया.  इनके अलावा, उषा अल्बुकर्क, सरला माहेश्वरी, नीलम शर्मा, और शोभना जगदीश जैसी अन्य महिलाएँ भी दूरदर्शन के चेहरे और पत्रकारिता का हिस्सा रही हैं.

भारत की आवाज, पहचान और संस्कृति का यह दर्पण आज देश के पांच करोड़ से अधिक घरों तक पहुंच रखता है. आज, दूरदर्शन स्टूडियो और ट्रांसमीटरों के विशाल नेटवर्क के साथ भारत की सबसे बड़ी प्रसारण संस्था है. यह टेलीविजन, ऑनलाइन और मोबाइल सेवाएं प्रदान करता है, जो महानगरीय और क्षेत्रीय होने के साथ-साथ देश-विदेश के दर्शकों तक पहुंचती हैं.

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