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"एक शाम आनंद बक्षी के नाम" – गीतों की आत्मा को समर्पित एक ऐतिहासिक संध्या

प्रसिद्ध प्रकाशन संस्था एडविक पब्लिकेशन एवं कियां फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में विख्यात गीतकार आनंद बक्षी जी की 95वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक भव्य संगीत संध्या एवं पुस्तक विमोचन समारोह का आयोजन किया गया...

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प्रसिद्ध प्रकाशन संस्था एडविक पब्लिकेशन एवं कियां फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में विख्यात गीतकार आनंद बक्षी जी की 95वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक भव्य संगीत संध्या एवं पुस्तक विमोचन समारोह का आयोजन किया गया. यह यादगार शाम आनंद बक्षी जी के अद्वितीय योगदान को समर्पित थी, जिनके लिखे करीब 4000 गीत आज भी लोगों की जुबान पर बसे हुए हैं और हर एक गीत सुपरहिट रहा है.

Ek Shaam Anand Bakshi Ke Naam A historic evening dedicated to the soul of songs (5)

इस खास मौके पर आनंद बक्षी जी पर आधारित लेखिका संगीता बिजीथ द्वारा लिखित दो संग्रहणीय पुस्तकें — "Life Through the Lens of Lyrics" और "Zindagi Ke Safar Mein Anand Bakshi Ke Geet" — का विमोचन किया गया. इन दोनों पुस्तकों को संगीतप्रेमियों और साहित्य के सुधी पाठकों के लिए एक अनमोल तोहफा माना जा रहा है.

पुस्तक विमोचन के दौरान भावुक क्षण उस समय आया जब लेखिका संगीता जी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा — "यह मेरे जीवन का एक अभूतपूर्व लम्हा है. यह मेरा पहला प्रयास है और मैं सभी गुणी जनों का हृदय से धन्यवाद करती हूं. मैं संगीत के लिए बनी हूं, और बक्षी साहब उसकी रूह — यानी गीतों के लिए."

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कार्यक्रम में देशभर से आए जाने-माने साहित्यकारों, संगीत प्रेमियों, और संस्कृति से जुड़े गणमान्य लोगों की उपस्थिति ने इस शाम को और भी विशेष बना दिया.

कार्यक्रम की विशेष बात यह रही कि आनंद बक्षी जी के सुपुत्र श्री राकेश बक्षी ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों और संस्मरणों को साझा कर सभी की आंखों को नम और दिलों को भावविभोर कर दिया. उनकी सहजता, वाक्पटुता और पिता के प्रति श्रद्धा ने संपूर्ण वातावरण को आत्मीयता से भर दिया.

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इस अवसर पर प्रसिद्ध लेखक, कार्टूनिस्ट एवं फिल्म निर्देशक डॉ. हरविंदर मांकड़ को उनकी बहुआयामी रचनात्मक सेवाओं के लिए विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया. उनकी सृजनशीलता और समाजसेवा के प्रति समर्पण ने समारोह को एक नई ऊंचाई दी.

इस ऐतिहासिक शाम को और भी गरिमामयी बनाया डॉ. शालिनी आगम जी, श्रीमती लक्ष्मी शंकर वाजपेयी जी, रवि यादव जी, डॉ. सुनीता जी, पत्रकार सरदाना जी, सुभाष चंद्र जी, एवं अनेक प्रतिष्ठित लेखिकाओं और साहित्यिक हस्तियों की गरिमामयी उपस्थिति ने. हर चेहरा साहित्य, संगीत और भावनाओं से भीगा था — और यह महफ़िल अपने आप में एक अद्भुत दृश्य बन गई.

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एडविक पब्लिकेशन के सर्वेसर्वा श्री अशोक गुप्ता जी ने इस अवसर पर कहा — "किताबें मेरी ज़िंदगी हैं. अच्छा साहित्य सामने लाना मेरा फ़र्ज़ है और काबिल लोगों को उनका मंच देना कियां फाउंडेशन का सामाजिक कर्तव्य."

उनकी यह सोच और प्रयास निश्चित रूप से आने वाले वर्षों तक साहित्यिक और सांस्कृतिक जगत में प्रेरणास्त्रोत के रूप में याद किया जाएगा.

यह शाम सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक युग पुरुष को सच्ची श्रद्धांजलि और भावनाओं से ओत-प्रोत एक ऐतिहासिक पल था — "एक शाम, आनंद बक्षी के नाम…"

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