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एक समय था जब बॉलीवुड में फिल्मफेयर अवार्ड का वर्चस्व बहुत बड़ा था। इनदिनों तो अवार्ड समारोहों की भरमार है किंतु कुछ साल पहले ऐसा नहीं था। उनदिनों अवार्ड्स के लिए कमर्सियल फिल्मों और आर्ट्स फिल्मों को सम्मानित करने के दौर में कसमकस थी। फिल्मफेयर पर भी आरोप लगता था कि उनकी जूरी पैरालेल सिनेमा की पक्षधर होती है। कमर्सियल सिनेमा के सितारों में धर्मेंद्र भी सुपर सितारा थे, इसलिए उन्हें भी चाह थी कि वे यह सम्मान पाएं। पर दूसरे कमर्सियल फिल्मों के स्टारों की तरह उनका भी नम्बर नहीं लग पाता था और वे भी नया शूट पहनकर समारोह में जाते थे और बेरंग वापस लौट आते थे। (Bollywood Filmfare Awards history)
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कुछ वर्षों पहले मढ आईलैंड (मुम्बई) के एक बंगले में धर्मेंद्र के साथ एक इंटरव्यू करने पहुंचा था। उस दिन वह कुछ गंभीर थे, उसी रात फिल्म फेयर सम्मान समारोह भी था। मैंने पूछा -"जा रहे हैं?' महसूस किया कि वह भावुक कलाकार हैं। पूछे - 'जाना चाहिए क्या?' वह हस दिए और हम सब भी, दूसरे पत्रकार जो वहां थे।
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"आप जा रहे हैं?" सवाल था उनसे।
" नहीं, अब नहीं जाता। फिल्म फेयर ने मुझे लाइफ टाइम अवार्ड दे दिया है। कभी जाया करता था, हर साल जाता था, कभी नहीं दिया। जब दिया तो लाइफ टाइम सम्मान ही दे दिया।"
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बताने वाली बात है कि धर्मेंद्र की शुरुवात हुई थी फिल्म पत्रिका फिल्मफेयर द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित न्यू टेलेंट कांटेस्ट से जिसमे उनको जीत मिली, लेकिन सेलेक्शन के बाद उनको तुरंत कोई फिल्म नही मिली। अर्जुन हिंगोरानी ने उनको 51 रुपए पारिश्रमिक के साथ फिल्म दिया 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' और फिल्मों का कारवां चल पड़ा। कई फिल्में मिलती गयी। रोमांटिक नायक और फिर एक्शन नायक के रूप में धर्मेंद्र सारी हीरोइनों के साथ काम करने लगे।उस समय फिल्मफेयर ही बड़ा अवार्ड था। धर्मेंद्र को विश्वास होता उनको उनकी फिल्मों के लिए अवार्ड मिलेगा, पर होता नही था ऐसा। 1966 में उनको फिल्म 'फूल और पत्थर' के लिए नामांकन मिला, फिल्म की हीरोइन थी मीना कुमारी। अवार्ड नही मिला। "मैं खूब तैयार होकर गया था।" बताया था धर्मेंद्र ने। फिर दूसरी बार 1971 में उनको फिल्मफेयर अवार्ड के लिए नामांकित किया गया। फिल्म थी 'मेरा गांव मेरा देश'...इसबार भी बेस्ट एक्टर का अवार्ड उनको नहीं मिला। वह निराश हो गए। दरअसल उनदिनों में पैरेलेल(आर्ट) सिनेमा को संम्मानित किए जाने का प्रचलन था। (Commercial vs parallel cinema Filmfare controversies)
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धर्मेंद्र फिल्मों में आने से पहले से दिलीप कुमार के बहुत बड़े फैन थे और दिलीप कुमार के पोस्टर देखकर सोचा करते थे कि काश उनके भी पोस्टर वैसे ही लगते। वक्त आगे बढ़ा, वे स्टार बन गए। धर्मेंद्र के बर्थ डे के तीन बाद ही दिलीप कुमार का बर्थ डे पड़ता था। धर्मेंद्र अपने आदर्श को जन्मदिन (11 दिसम्बर) की बधाई देने हर साल दिलीप कुमार के घर जाया करते थे। साल 1997 आया, फिल्म फेयर कमेटी ने इसबार धर्मेंद्र को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड देने का निश्चय किया।अवार्ड देने के लिए सभागार में मुख्य अतिथि दिलीप कुमार और सायरा बानो थे। धर्मेंद्र के लिए यह बेहद भावुकता भरा पल था। वह स्टेज पर अपने मनोभाव व्यक्त करने से खुद को रोक नहीं पाए, बोले-" एक से एक- सौ फिल्में दिया मगर मुझे बेस्ट एक्टर का सम्मान नहीं दिया गया...।" तब दिलीप कुमार ने धर्मेंद्र के लिए जो कहा, किसी अवार्ड से बहुत बड़ा था। दिलीप कुमार ने कहा कि वे जब भी रब से मिलेंगे तो एकही शिकायत करेंगे कि उसने उनको धर्मेंद्र जैसा खूब सूरत क्यों नहीं बनाया ? सचमुच उस समय अपने आदर्श के मुंह से ऐसा सुनना धर्मेंद्र के लिए बहुत बड़ा सम्मान था। यह बताते हुए वह गम्भीर हो गए थे। उसपल वह साल दर साल फिल्मफेयर अवार्ड के लिए अपने तैयार होने वाले शिकवे भूल गए थे। हालांकि इससे पहले उनको 1990 में बेस्ट पॉपुलर फिल्म 'घायल' के लिए नेशनल अवार्ड मिल चुका था पर वहां वह निर्माता थे। बादमें उनको लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से Z सिने अवार्ड्स (2005) और इंडियन फिल्म अकेडमी (IIFA) अवार्ड्स (2007) भी मिला। 2012 में उनको पदम् भूषण के राष्ट्रीय अलंकरण से भी नवाजा गया और वह बीकानेर (राजस्थान) की लोकसभा सीट से सांसद भी रहे। (Dharmendra Filmfare award journey)
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...लेकिन, दिलीप कुमार के मुंह से निकले शब्द कि मैं रब से पूछूंगा कि मुझे धर्मेंद्र जैसा खूब सूरत क्यों नहीं बनाया, उनके लिए हर अवार्ड्स से बड़ा सम्मान था। (Bollywood actors missing Filmfare awards)
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FAQ
1. फिल्मफेयर अवार्ड्स का बॉलीवुड में क्या महत्व था?
पहले फिल्मफेयर अवार्ड्स का वर्चस्व बहुत बड़ा था और इसे जीतना किसी भी स्टार के लिए बहुत प्रतिष्ठा की बात माना जाता था।
2. धर्मेंद्र को फिल्मफेयर अवार्ड क्यों नहीं मिल पाया?
धर्मेंद्र कमर्शियल फिल्मों के सुपरस्टार थे, लेकिन उस समय की जूरी अक्सर पैरालेल सिनेमा को प्राथमिकता देती थी, इसलिए उन्हें अवार्ड नहीं मिला।
3. क्या धर्मेंद्र भी समारोह में जाते थे?
हाँ, धर्मेंद्र नए शूट पहनकर समारोह में जाते थे, लेकिन अक्सर उन्हें अवार्ड नहीं मिलता और वे बेरंग लौट आते थे।
4. फिल्मफेयर जूरी पर किस प्रकार के आरोप थे?
जूरी पर यह आरोप लगता था कि वह पैरालेल सिनेमा की पक्षधर होती है और कमर्शियल फिल्मों के सितारों को नजरअंदाज करती है।
5. क्या यह स्थिति आज भी वैसी ही है?
आज अवार्ड समारोहों की भरमार है और कमर्शियल तथा आर्ट फिल्म दोनों को सम्मान देने की प्रवृत्ति बढ़ गई है।
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