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Completes 50 Years Ramesh Sippy Shares Unheard Stories: 15 अगस्त, 1975 को रिलीज़ हुई हिंदी सिनेमा की आईकोनिक फिल्म ‘शोले’ (Sholay) ने भारतीय सिनेमा की परिभाषा ही बदल दी थी. गब्बर सिंह का खौफ, जय-वीरू की दोस्ती, बसंती की अठखेलियाँ और ठाकुर का प्रतिशोध – हर किरदार और डायलॉग आज भी लोगों की ज़ुबान पर ज़िंदा है. समय जैसे थम-सा गया हो, क्योंकि आधी सदी बाद भी ‘शोले’ उतनी ही ताज़ा और दिलचस्प लगती है. 2025 में अपने 50 साल पूरे कर चुकी इस क्लासिक फिल्म की स्वर्ण जयंती पर निर्देशक रमेश सिप्पी ने कुछ अनसुने किस्से और यादें साझा कीं, जो बताते हैं कि आखिर क्यों ‘शोले’ सिर्फ़ एक फिल्म नहीं बल्कि भारतीय सिनेमा का जीवंत इतिहास है.
ऐसे हुई ‘शोले’ की शुरुआत (This is how 'Sholay' started)
रमेश सिप्पी बताते हैं कि 'सीता और गीता' (Seeta Aur Geeta, 1972) की सफलता के बाद फरवरी–मार्च 1973 के आसपास सलीम-जावेद (Salim–Javed) से उनकी मुलाकात हुई, जिन्होंने दो लाइन की कहानी दी, जो आगे चलकर ‘शोले’ बनी. उन्होंने बताया कि इस जोड़ी ने 15 दिन में ही फिल्म के संवाद लिख दिए थे. वे आगे कहते हैं कि मेरे पिताजी श्री जी०पी० सिप्पी (G. P. Sippy) का भी इसमें अहम रोल है. वह अधूरी स्क्रिप्ट के बावजूद इस फिल्म को बनाने को तैयार हो गए.
कास्टिंग और गब्बर का किरदार (Casting and Gabbar's character in Sholay)
फिल्म की कास्टिंग के बारे में रमेश सिप्पी बताते हैं कि शुरुआत में डैनी डेंजोंगप्पा (Danny Denzongpa) को गब्बर का रोल मिलना था, लेकिन वे फिरोज खान की फिल्म 'धर्मात्मा' (Dharmatma) के चलते उपलब्ध नहीं थे. फिर सलीम साहब ने अमजद खान (Amjad Khan) का नाम सुझाया. रमेश सिप्पी ने अमजद को मंच पर अभिनय करते देखा था. उनका मेकअप और टेस्ट हुआ और यूनिट में वो पूरी तरह घुल-मिल गए. धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) और संजीव कुमार (Sanjeev Kumar) भी गब्बर (Gabbar)का रोल करना चाहते थे, क्योंकि वो बहुत पावरफुल लग रहा था, लेकिन अंत में सबने अपने-अपने रोल किए.
अमजद खान का सफर (Amjad Khan's journey)
अमजद खान उस समय नए थे. सिप्पी कहते हैं, ‘उन्हें काफी मोल्ड करना पड़ा. उनकी पर्सनैलिटी, चेहरा, दाढ़ी और कपड़े गब्बर के लिए बिल्कुल फिट थे. शुरू के चार महीने उनका काम नहीं हुआ, लेकिन उस दौरान वे पूरी यूनिट में घुलमिल गए. बाद में उनका काम शुरू हुआ तो सेट पर उनका दबदबा साफ झलकने लगा.’
बजट और कलाकारों की फीस (Budget and cast fees in Sholay)
फिल्म के बजट ले बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि फिल्म ‘सीता और गीता’ 50 लाख में बनी थी, जबकि ‘शोले’ का बजट इससे दोगुना यानी शुरू में 1 करोड़ तय किया गया था, लेकिन अंत तक फिल्म 3 करोड़ में पूरी हुई. उस समय (1975) में भारत में 10 ग्राम सोने की कीमत 540 रुपये थी. उन्होंने यह भी बताया कि उस समय सबसे सीनियर और महंगे कलाकार धर्मेंद्र (Dharmendra) थे, क्योंकि उस वक़्त वे एक बड़ा नाम थे इसलिए सबको उनकी फीस रिस्पेक्टेबल लग रही थी.
बेंगलुरु की लोकेशन और सेट डिज़ाइन (Bangalore locations and set design in Sholay)
सिप्पी बताते हैं, ‘आर्ट डायरेक्टर एम.आर. आचरेकर के साथ जब मैं बेंगलुरु गया, तो वहां का पथरीला इलाका हमें दिलचस्प लगा. ऊपर चढ़कर देखा तो लोकेशन बिल्कुल परफेक्ट लगी. फिर गांव और मकान वहीं बनाने का फैसला हुआ. चार–पांच महीने तक 500 वर्करों ने मेहनत की और पूरा गांव, बाजार, पानी की टंकी, मंदिर और मस्जिद तैयार किया. इस दौरान उन्होंने यह भी साझा किया कि पहला शॉट अमिताभ और जया चाभी लौटाने वाला का था.
शूटिंग से जुड़े किस्से (Stories related to Sholay film shooting)
शूटिंग के बारे में वे बताते है कि फिल्म की शूटिंग बेंगलुरु से 50 किलोमीटर दूर पहाड़ियों में बनाई गई आर्टिफिशियल लोकेशन पर शुरू हुई. 2 अक्टूबर को पहला दिन था, लेकिन बारिश के कारण शूटिंग नहीं हो सकी. रमेश सिप्पी मुस्कुराते हुए कहते हैं, ‘शायद गांधी जी की अहिंसा की भावना का असर था, क्योंकि ये फिल्म काफी हिंसक थी.'
ट्रेन सीक्वेंस की चुनौती (The challenge of the train sequence in Sholay)
फिल्म का ट्रेन सीक्वेंस सबसे बड़ा आकर्षण रहा. इसे शूट करने में पूरे सात सप्ताह लगे. लोकेशनके लिए पनवेल-उरण रेलवे ट्रैक चुना गया. रमेश सिप्पी कहते हैं, ‘इसके लिए हमने कोयले का इंजन वाली अलग ट्रेन हायर की थी. रेलवे की ट्रेन गुजरती तो हमें अपनी ट्रेन को दिन में चार बार साइड करना पड़ता. ट्रेन के साथ मोटरमैन और 50-60 रेलवे स्टाफ भी शामिल किया गया. कुल मिलाकर 300-400 लोग शूटिंग में लगे रहते थे.’ इस सीक्वेंस के लिए लोकेशन पर नकली टर्नल बनाया गया. अंग्रेज़ एक्शन स्टंट डायरेक्टर और कैमरामैन बुलाए गए लेकिन भाषा की समस्या होने पर 2-4 लोग अनुवाद के लिए भी रखे गये.
फिल्म के गाने और डांस (Songs and dances from the movie Sholay)
फिल्म के गाने और डांस के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि हेमा मालिनी का "कांच पर डांस" (जब तक है जान) बेहद मुश्किल था – तपती धूप और गर्म पत्थर के कारण यह गाना बेहद मुश्किल हो गया था, लेकिन फिर भी हेमा जी ने कहा कि वे यह गाना शूट करेंगी. इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि कभी-कभी हेमा मालिनी के चेहरे के क्लोजअप के लिए कपड़ा बिछाया जाता था, लेकिन पैरों के शॉट में हेमा जी को खुद डांस करना पड़ता था. इसके अलावा उन्होंने ‘महबूबा महबूबा’ गाना जो हेलन (Helen) और जलाल आगा (Jalal Agha) की जोड़ी पर फ़िल्माया गया था, वो भी मुश्किल था. गाने में घुटनों पर घूमने वाला डांस करना चुनौतीपूर्ण था.
स्वत्रंता दिवस पर ही क्यों रिलीज़ हुई (Why was the film Sholay released on Independence Day)
फिल्म को 15 अगस्त को रिलीज़ का कारण बताते हुए उन्होंने कहा, इस दिन ‘इंडिपेंडेंस डे’ की छुट्टी थी और कारोबार के लिहाज से फिल्म की रिकवरी आसान थी. फिल्म को बड़े बजट के चलते ज्यादा थिएटर और ज्यादा दर्शकों की जरूरत थी, इसलिए इसे स्वत्रंता दिवस के दिन रिलीज किया गया.
इतना किया कलेक्शन (The film Sholay Box Office collection)
फिल्म पंडितों ने तो कहा था कि शोले कभी पैसा नहीं बनाएगी, लेकिन 10 गुना कारोबार हुआ और शोले भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे बड़ी फिल्म बन गई. Sacnilk के मुताबिक, शोले ने इंडिया में ग्रॉस 30 से 35 करोड़ का कलेक्शन किया था. 2025 के हिसाब से ये कमाई 3000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा बैठती है. फिल्म ने ओवरसीज 15 करोड़ की कमाई की थी. शोले का टोटल वर्ल्ड वाइड ग्रॉस कलेक्शन 50 करोड़ के आसपास है. फिल्म का नेट कलेक्शन 15.50 करोड़ है. निर्देशक सिप्पी के अनुसार, सब कलाकार आज भी इस फिल्म की लोकप्रियता से बेहद खुश हैं.
FAQ about Ramesh Sippy
रमेश सिप्पी कौन हैं? (Who is Ramesh Sippy?)
रमेश सिप्पी एक प्रमुख भारतीय फिल्म निर्देशक और निर्माता हैं, जिन्हें प्रतिष्ठित बॉलीवुड फिल्म शोले (1975) के निर्देशन के लिए जाना जाता है.
क्या शोभा कपूर रमेश सिप्पी की रिश्तेदार हैं? (Is Shobha Kapoor related to Ramesh Sippy?)
एकता कपूर और तुषार कपूर दोनों की माँ. मुंबई के फिल्म वितरक रमेश सिप्पी (निर्देशक नहीं) की भाभी. रमेश का विवाह शोभा की बहन रक्षा से हुआ है.
रमेश सिप्पी की पत्नी कौन हैं? (Who is Ramesh Sippy's wife?)
रमेश सिप्पी ने 1991 में किरण जुनेजा से विवाह किया.
ज़हान कपूर, रमेश सिप्पी से कैसे संबंधित हैं? (How is Zahan Kapoor related to Ramesh Sippy?)
उनके दादा अभिनेता और फिल्म निर्माता शशि कपूर थे, और उनकी दादी अंग्रेजी अभिनेत्री जेनिफर केंडल थीं. उनके परदादा अभिनेता पृथ्वीराज कपूर और जेफ्री केंडल थे. उनके नाना फिल्म निर्देशक, अभिनेता और निर्माता रमेश सिप्पी थे.
सिप्पी फिल्म्स के मालिक कौन हैं? (Who is the owner of Sippy films?)
1951 में प्रसिद्ध फिल्म निर्माता जी.पी. सिप्पी, सिप्पी फिल्म्स ने सात दशकों के दौरान भारतीय सिनेमा की कई यादगार फिल्मों का निर्माण किया है, जिनमें सीता और गीता, शोले, शान और सागर शामिल हैं.
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