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Geeta Bali 60वीं पुणयतिथि पर विशेषः जब शम्मी कपूर ने गीता बाली की मांग सिंदूर की बजाय लिपस्टिक से भरी थी

बॉलीवुड के फिल्मकारों को प्रेम कहानी पर फिल्म बनाना बहुत भाता है. हर वर्ष कई रोमांटिक व प्रेम कहानी प्रधान फिल्में बनती हैं. मगर पचास के दशक में अभिनेत्री गीता बाली और अभिनेता शम्मी कपूर के निजी जीवन की प्रेम कहानी बहुत ही अनूठी व रोचक है...

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Geeta Bali 60वीं पुणयतिथि पर विशेषः जब शम्मी कपूर ने गीता बाली की मांग सिंदूर की बजाय लिपस्टिक से भरी थी
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बॉलीवुड के फिल्मकारों को प्रेम कहानी पर फिल्म बनाना बहुत भाता है. हर वर्ष कई रोमांटिक व प्रेम कहानी प्रधान फिल्में बनती हैं. मगर पचास के दशक में अभिनेत्री गीता बाली और अभिनेता शम्मी कपूर के निजी जीवन की प्रेम कहानी बहुत ही अनूठी व रोचक है. शम्मी कपूर और गीता बाली की प्रेम कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म की तरह जुनून, अस्वीकृति और सहजता से भरी हुई थी. पर यह प्रेम कहानी किसी फिल्म का हिस्सा नही बनी. जबकि गीता बाली ने कपूर खानदान के सारे नियमों को ताक पर रख मरते दम तक फिल्मों में अभिनय करती रहीं. कपूर खानदान में नियम रहा है कि कपूर परिवार की लड़कियां फिल्मो से नही जुड़ेगी? यह अलग बात है कि इस नियम को नब्बे के दशक में पहले करिश्मा कपूर और फिर करीना कपूर ने तोड़ा. कपूर खादान का नियम रहा है कि कपूर खानदान की बहुएं फिल्मों से दूर रहेंगी.

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यानी कि शादी के बाद 'कपूर' उपनाम जुड़ते ही उनका फिल्म इंडस्ट्री से नाता खत्म. यही वजह है कि बबिता कपूर और नीतू सिंह ने भी विवाह के बाद अभिनय से दूरी बना ली थी. लेकिन इन दोनो से पहले गीता बाली ने 24 अगस्त 1955 को शम्मी कपूर के संग प्रेम विवाह किया था, जिसमें शम्मी कपूर के परिवार की रजामंदी नही थी. और इस दिन पूरा कपूर परिवार पृथ्वी थिएटर के एक कार्यक्रम के सिलसिले में भोपाल गया हुआ था. गीता बाली, शम्मी कपूर से एक वर्ष बड़ी भी थीं. इतना ही नही तब तक गीता बाली एक नामचीन व स्थापित अदाकारा बन चुकी थीं. उस वक्त तक वह भारत भूषण, पृथ्वीराज कपूर, राजकपूर, गुरूदत्त और देवानंद सहित सभी लीड कलाकारों के साथ अभिनय कर चुकी थीं. जबकि शम्मी कपूर संघर्ष रत कलाकार थे. विवाह करने के बाद भी गीता बाली अभिनय करती रही. मगर उनका व्यक्तित्व कुछ ऐसा था कि कपूर परिवार ने उन्हें अपनाया. जी हाँ! गीता बाली ने दो दशक से अधिक लंबे करियर में 75 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया. गीता बाली उस समय की एकमात्र कपूर महिला थीं, जिन्होंने शादी के बाद भी फिल्मों में काम करना जारी रखा. वैसे इस विवाह के लिए गीता बाली को मनाना भी शम्मी कपूर के लिए आसान नही था.

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यॅूं तो गीता बाली और शम्मी कपूर ने सबसे पहले रोमांटिक रोमांचक फिल्म 'मिस कोका कोला' में अभिनय किया था. इस फिल्म का निर्माण व निर्देशन हरि वालिया ने किया था. इस फिल्म में अभिनय करने के दौरन ही दोनों के बीच एक दूसरे के प्रति प्रेम का बजी पड़ गया था. पर इसे दोनों में से किसी ने एक दूसरे पर भी जाहिर नही होने दिया. यह अलग बात है कि नब्बे के दशक में एक इंटरव्यू में शम्मी कपूर ने स्वीकार किया था कि उन्हे 'मिस कोका कोला' के ही दौरान गीता बाली से प्यार हो गया था और वह मन मी मन उन्ही के साथ जीने मरने की कसमें खाने लगे थे.

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फिल्म 'रंगीन रातें' में गीता बाली ने निर्देशक पर दबाव डालकर निभाया लड़के का किरदार और... संभवतः गीता बाली भी शम्मी कपूर को अपना दिल दे बैठीं थी, तभी तो केदार शर्मा की फिल्म "रंगीन रातें' में जिस किरदार को गीता बाली ने निभाया, वैसा फिल्म इंडस्ट्री में कभी नही हुआ. शम्मी कपूर और माला सिन्हा को लेकर केदार शर्मा ने फिल्म 'रंगीन रातें' शुरू की. इससे पहले केदार शर्मा, फिल्म सुहाग रात और बावरे नैन में गीता बाली को क्रमशः भारत भूषण और राज कपूर की हीरोइन बना चुके थे. रंगीन रातें में उन्हें ऐसी हीरोइन चाहिए थी, जो नई हो. लोकप्रिय न हो. तब माला सिन्हा नई थीं और गीता बाली ने ही माला सिन्हा का परिचय करवाया था. माला सिन्हा रंगीन रातें की हीरोइन बन गई. इसमें शम्मी कपूर हीरो थे. शूटिंग शुरू हुई. पहला शेड्यूल पूरा भी नहीं हुआ कि गीता बाली ने केदार शर्मा से जिद पकड़ ली कि उन्हें भी इस फिल्म में काम करना है. केदार शर्मा ने कहा कि उनके लायक कोई रोल नहीं है. सिर्फ माला सिन्हा के भाई का चरित्र ही बचा है. गीता बाली ने कहा कि वह पुरुष का चरित्र कर लेंगी. सभी ने उन्हें समझाया कि यह कैसे होगा, यह तो कैमियो है. पर वह नहीं मानीं. गीता बाली ने पूरी फिल्म में नकली मूछें लगाकर पुरुष की भूमिका निभाई. वह पर्दे पर हीरोइन के भाई के रूप में आईं. सिनेमा में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता. फिल्म 'रंगीन रातें' को नैनीताल के पास रानी खेत में फिल्माया गया. जहाँ माला सिन्हा, शम्मी कपूर के साथ गीता बाली भी थी. वहीं पर पूरी युनिट व निर्देशक केदार शर्मा की तेज निगाहों से बचते हुए गीता बाली व शम्मी कपूर अपने प्यार को संवारते रहे.

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शूटिंग खत्म हो जाने के बाद प्रेम की आग दोनों तरफ लगी हुई थी. इसके बावजूद यह शादी आसान न थी. क्योकि शम्मी कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर के साथ बतौर हीरोईन गीता बाली फिल्म कर चुकी थीं, तो वहीं वह बड़े भाई राज कपूर के साथ बतौर हीरोईन एक फिल्म कर रही थीं. फिर उम्र का अंतर और गीता बाली विवाह के बाद भी फिल्मों से नाता खत्म करने को तैयार न थीं. ऐसे में शम्मी का परिवार इस शादी को इजाजत देने से रहा.. तो दूसरी तरफ गीता बाली की अपनी समस्या थी. गीता बाली को 12 साल की उम्र से अभिनय जगत में मजबूरन कूदना पड़ा था. क्योंकि घर में अंधे पिता, आधी बहरी मां, बड़ी बहन व छोटा भाई था. आर्थिक हालात बहुत खराब थे. ऐसे में गीता बाली अपने परिवार की जिम्मेदारी उठा रही थीं, जिसे वह बंद नही कर सकती थी. 

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लेकिन शम्मी कपूर का प्यार उद्वेलित हो रहा था. एक पुराने साक्षात्कार में, शम्मी कपूर ने एक चैनल से बात करते हुए अपनी इस प्रेम कहानी की चर्चा करते हुए बताया था- "मुझे गीता से प्यार हो गया और उसे मुझसे प्यार हो गयां यह सब नैनीताल के पास रानीखेत में फिल्म 'रंगीन रातें' की शूटिंग के दौरान हुआ. जब हम रानीखेत में फिल्म 'रंगीन रातें' की शूटिंग कर वापस बंबई, अब मुंबई आए, तो मैंने गीता को प्रपोज किया. यह अप्रैल 1955 की बात है. मगर गीता बाली ने मेरे प्रस्ताव को ठुकरा दिया. उसने कहा, "नहीं, मुझे नहीं लगता कि मैं तुमसे शादी कर सकती हूं. मेरे ऊपर बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं और मुझे उन्हें पूरा करना है. लेकिन मैं तुमसे प्यार करती हूँ. 'तब मैंने कहा 'ठीक है, हम इसे वहीं रखेंगे."

उसके बाद शम्मी कपूर हर पंद्रह बीस दिन में गीता के सामने शादी का प्रस्ताव रखते हुए कहते थे- "'चलो शादी कर लें' लेकिन हर बार गीता से जवाब मिलता, 'चलो इंतजार करें और देखें."

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इस तरह अगस्त का माह आ गया. 23 अगस्त की शाम का वक्त था. शम्मी कपूर जुहू के एक होटल में ठहरे हुए थे. पूरा परिवार भोपाल गया हुआ था. अचानक वहां पर गीता बाली भी पहुँच गयी. तो एक बार फिर साहस कर शम्मी कपूर ने अपना सवाल दोहरा दिया. गीता ने कह दिया, 'चलो आज अभी शादी कर लेते हैं.' शम्मी कपूर ने पूछा कि उनके माता पिता को सूचित कर दें, तो गीता बाली ने मना कर दिया. फिर इस जोड़ी ने कॉमेडियन जॉनी वॉकर से सलाह मांगी, जो एक करीबी दोस्त थे और जिनकी एक हफ्ते पहले ही शादी हुई थी. उन्होंने सुझाव दिया कि वह एक मंदिर में शादी करें, और उन्होंने वैसा ही किया.

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हरि वालिया इन दोनो को लेकर वालकेश्वर स्थित बाणगंगा के पास एक मंदिर परिसर में गए. तब तक आधी रात होने वाली थी. मंदिर के पुजारी ने उन्हें बाद में लौटने के लिए कहा और कहा, 'भगवान सो रहे हैं, सुबह 4 बजे आ जाए.' शम्मी और गीता सुबह होने तक माटुंगा में इंतजार करते रहे, फिर निर्देशानुसार सुबह चार बजे मंदिर पहुँचे. उस वक्त मंदिर के दरवाजे खुले थे और पुजारी ने कहा, 'आइए, हम आपकी शादी करवा देते हैं. "उस वक्त गीता ने सलवार-कमीज पहनी थी और शम्मी कपूर ने कुर्ता-पजामा हुआ था. इस शादी का एक मात्र गवाह पंडित के अलावा उनका दोस्त हरी वालिया था. पुजारी ने सारी रस्म निभाई. दोनों ने सात फेरे लिए. जब पुजारी ने सिंदूर से मांग भरने के लिए कहा तो पता चला कि सिंदूर ले जाना भूल गए थे. तब गीता ने अपने बैग से लिपस्टिक निकालकर शम्मी से कहा कि इसे ही उसी तरह लगा दो, जिस तरह से सिंदूर भरते हैं. तब शम्मी कपूर ने सिंदूर की बजाय लिपस्टिक से गीता बाली की मांग भरकर उन्हे अपनी पत्नी बनाया था.

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दोनो का वैवाहिक जीवन अच्छा चलने लगा. एक जुलाई 1956 को गीता बाली ने आदित्य राज कपूर नामक बेटे को जन्म दिया. फिर 1961 में वह कंचन नामक बेटी की मा बनी. वह फिल्मों का निर्माण भी कर रही थीं. अभिनय भी कर रही थी. गाना भी गा रही थीं.

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लेकिन नियाति को तो कुछ और ही मंजूर थां. गीता बाली केवल 34 वर्ष की थीं, जब 21 जनवरी, 1965 को फिल्म 'रानो' की शूटिंग के दौरान चेचक से उनकी मृत्यु हो गई. यह विडंबनापूर्ण था क्योंकि उन्हें इससे सबसे ज्यादा डर लगता था. क्योंकि उनके पिता चेचक के कारण अपनी आंखों की रोशनी खो चुके थे. वास्तव में गीता बाली पंजाब के एक गांव मे फिल्म 'रानो' की शूटिंग कर रही थीं. उन्हें चेचक हो गया था और कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रखा गया था. 21 जनवरी, 1965 को चेचक के कारण गीता बाली की मृत्यु हो गई थी. बताया जाता है कि रानो के निर्देशक गीता की मौत से इतने परेशान थे कि उन्होंने उनकी चिता पर फिल्म की स्क्रिप्ट जला दी थी. यह फिल्म राजिन्दर सिंह बेदी अपने उपन्यास 'एक चादर मैली-सी' पर बना रहे थे. यह शादीशुदा पंजाबी महिला रानो की कहानी है, जिसे अपने पति की मौत के बाद गांव की रस्म के मुताबिक अपने देवर मंगल से शादी करनी पड़ती है. पर यह फिल्म अधूरी पड़ी है. खैर, रााजेंद्र सिंह बेदी की मौत के दो साल बाद निर्देशक सुखवंत ढड्ढा ने हेमा मालिनी और ऋषि कपूर को लेकर इसी उपन्यास पर 'एक चादर मैली-सी' बनाई.

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लेकिन मृत्यु ने गीता बाली की प्रतिभा को कम नहीं किया. गीता बाली एक मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री, गायिका, नर्तक और निर्माता थीं, जिन्होंने फिल्म जगत पर अमिट छाप. छोड़ी लोग उनकी फिल्मों के आज भी दीवाने हैं. मगर उनकी मृत्यु के 60 साल बाद बहुत कम लोगों को उनकी दुखद कहानी याद है.

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