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IIFA 2025
जयपुर में आयोजित IIFA Awards 2025 में महिला दिवस के उपलक्ष में शुक्रवार, 7 मार्च 2025 को हयात रीजेंसी, जयपुर में एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया. जिसका विषय 'द जर्नी ऑफ वुमन इन सिनेमा' था. इस प्रेस कांफ्रेंस में हिंदी सिनेमा जगत की लोकप्रिय एक्ट्रेस ‘मोहिनी’ उर्फ़ माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit), गैंग्स ऑफ वासेपुर- भाग 1, गैंग्स ऑफ वासेपुर- भाग 2, पेडलर्स , द लंचबॉक्स, मसान , जुबान, कटहल, किल और पगलैट जैसी बेहतरीन फिल्मों की निर्मात्री गुनीत मोंगा ((Guneet Monga) और आईफा की वाइस प्रेसिडेंट नोरीन खान (Noreen Khan) मौजूद रही.
इस मौके पर माधुरी दीक्षित और गुनीत मोंगा ने सिनेमा में महिलाओं की भूमिका पर बात की. क्या कुछ कहा उन्होंने आइये जानते हैं.
माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit) ने कहा
इस एक प्रेस कांफ्रेंस में माधुरी ने बताया कि जब उनकी शादी नहीं हुई थी, तब वह खूब काम करती थीं. वह तीन शिफ्ट में काम करती थीं. उन्होंने कहा, दरअसल, मैंने शादी के बाद अपनी जिंदगी जी है. आज मैं अपने पति और बच्चों के साथ जो जिंदगी जी रही हूं, वह मेरे लिए एक सपने जैसा है. फिर मैं फिल्मों में वापस आ गई क्योंकि यही मेरा सपना है.
इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि मैंने अपने फ़िल्मी करियर में कही ऐसी फ़िल्में की है जिसमें महिला की मजबूत भूमिका को दिखाया गया है. फिर चाहे वह , दिल, बेटा, दिल तो पागल है राजा या फिर मृत्युदंड ही क्यों न हो. मृत्युदंड करते वक्त मुझे कई लोगों ने कहा कि कमर्शियल सिनेमा करो पर मैंने वो फिल्म कीं क्योंकि उसमें महिला सशक्तिकरण की बात की गई थी. इन सभी फिल्मों ने मुझे एक महिला के तौर पर हमेशा अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है. ये सभी फ़िल्में महिलाओं के सशक्तिकरण को दर्शाती है और इसीलिए ये सभी फ़िल्में मेरे लिए यादगार भी हैं.
महिलाओं की बदलती भूमिका पर माधुरी ने कहा
एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित ने अपने 39 साल लंबे फिल्मी सफर को साझा करते हुए बताया कि समय के साथ सिनेमा में महिलाओं की भूमिका काफी बदली है. उन्होंने बताया कि उनके जमाने में फिल्म सेट पर सिर्फ उनकी को-एक्ट्रेसेस और हेयर ड्रेसर ही हुआ करती थीं. उन्होंने कहा कि मैंने वहां किसी भी डिपार्टमेंट में कोई महिला नहीं देखी थी. अब हर जगह महिलाएं हैं. इतना ही नहीं उस वक्त भारतीय सिनेमा में महिला निर्देशक का होना भी बहुत बड़ी बात थी क्योंकि वहां महिलाएं लगभग नहीं थीं. सई परांजपे, जिन्हें मैं उस वक्त इंडस्ट्री में जानती थी, वो डायरेक्टर भी थीं और निर्देशक भी. अब जब मैं काफी वक्त बाद सेट पर लौटी तो पाया कि हर डिपार्टमेंट में महिलाएं हैं. चाहे वो डीओपी हो या डायरेक्टर. जिसे देखकर काफी अच्छा लगता है. जिससे मुझे गर्व होता है. कि ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां अब महिलाएं कदम न रख रही हों.
इस मौके पर उन्होंने कहा कि अब महिला किरदार केवल सहायक भूमिकाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे कहानी का केंद्र भी बन रही हैं. आज के दौर में महिलाओं को फिल्मों में मजबूत और अलग-अलग भूमिकाएँ निभाने का मौका मिल रहा है, जो सिनेमा में सकारात्मक बदलाव को दिखाता है.
एक्टर्स की पेमेंट पर माधुरी दीक्षित ने कहा
माधुरी दीक्षित ने कहा कि पहले के मुकाबले मेल और फीमेल एक्टर्स की पेमेंट में अंतर काफी कम हुआ है, लेकिन अभी भी इसमें सुधार की जरूरत है. उन्होंने इस बदलाव को सकारात्मक बताया, लेकिन यह भी माना कि अभी लंबा सफर तय करना बाकी है.
गुनीत मोंगा (Guneet Monga)
इस दौरान फिल्म निर्मात्री गुनीत मोंगा ने बताया कि वे दिल्ली में किराए के मकान में रहते थे. उस वक़्त उन्होंने बस यह सोचा था कि मुझे बस फिल्म प्रोड्यूसर बनना है और मुंबई जाकर फ़िल्में बनानी है और आज वे यहाँ हैं और हिंदी सिनेमा जगत की एक बेहतरीन अभिनेत्री के साथ मंच साझा कर रही है.
इस मौके पर उन्होंने अपने दिनों को याद करते हुए बताया कि उन्होंने उम्र के आधार पर भेदभाव झेला है. लोग सोचते थे कि ये इतनी यंग है इसके प्रोजेक्ट पर कौन पैसा लगाएगा. इसलिए उन्होंने खुद को बूढ़ा दिखाने के लिए 26 साल की उम्र में साड़ी पहनी और मोटे- मोटे चश्में लगाये.
इस दौरान उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपने संघर्ष और ऑस्कर जीतने के सफर को साझा करते हुए भारतीय सिनेमा में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "महिला नेतृत्व सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं है, बल्कि अब हम निर्माण, निर्देशन और प्रोडक्शन में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही हैं. " इस मौके पर उन्होंने यह भी बताया कि महिलाओं के लिए अवसर बढ़ रहे हैं और इंडस्ट्री में उनके योगदान को अब अधिक मान्यता मिल रही है.
महिला दिवस के अवसर पर उन्होंने एक बहुत खूब सूरत बात कही कि महिलाओं को अपने दायरे पता ही नहीं होते इसलिए वे बहुत सारे सपने देख लेती है और कुछ न कुछ कर ही लेती हैं. इसके साथ ही उन्होंने उन पुरुषों को पुरस्कृत करने की बात कही जिन्होंने महिला का समर्थन किया है.
वाइस प्रेसिडेंट नोरीन खान (Noreen Khan) ने कहा
इस मौके पर आईफा की वाइस प्रेसिडेंट नोरीन खान (Noreen Khan) ने महिला दिवस पर अपनी बातें रखते हुए कहा, “आईफा के 25 साल पूरे होने के अवसर पर, हम सिनेमा और अन्य क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. ‘द जर्नी ऑफ वुमन इन सिनेमा’ केवल एक चर्चा नहीं, बल्कि एक आंदोलन है. इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि जब हम हिम्मत, रचनात्मकता और नेतृत्व की कहानियाँ साझा करते हैं, तो हम केवल सफल महिलाओं का जश्न नहीं मनाते, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करते हैं.”
आपको बता दें कि IIFA Awards 2025, आज यानि 8 मार्च से शुरू हो रहा है , ये रविवार 9 मार्च तक चलेगा.
by PRIYANKA YADAV
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