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भारत के बाहर सबसे बड़ा भारतीय फिल्म महोत्सव मेलबर्न का भारतीय फिल्म महोत्सव (IFFM) हिंदी सिनेमा के महानतम दिग्गजों में से एक निर्माता निर्देशक एक्टर गुरु दत्त को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए तैयार है. अपने 2025 संस्करण के तहत IFFM गुरुदत्त जी की दो सबसे प्रसिद्ध कल्ट कृतियों, 'प्यासा' और 'कागज़ के फूल' की विशेष स्क्रीनिंग आयोजित कर रही है.
गुरु दत्त जिनकी अद्भुत कहानी कहने की शैली और दिल को झिनझोडने वाली गहरे मानवीय आख्यानों ने दशकों पहले से ही भारतीय सिनेमा की भाषा को हमेशा के लिए बदल दिया था. आज भी वे दुनिया भर के फिल्म निर्माताओं और सिनेप्रेमियों की पीढ़ियों को प्रेरित करते जा रहे हैं. उनकी सभी फिल्में काव्यात्मक उत्तेजना सौंदर्य की महिमा और सामाजिक प्रासंगिकता से चिह्नित हैं. यह फिल्में अपनी तीक्ष्ण अपील और कलात्मक प्रभाव में कालातीत मानी जाती हैं.
इस श्रद्धांजलि के साथ IFFM का उद्देश्य न केवल उस महान व्यक्तित्व का बल्कि एक इमोशनल सच्चे लेखक की विरासत का भी जश्न मनाना है.
यह बात कोई भी फ़िल्म प्रेमी नहीं भूल सकता कि भारतीय सिनेमा को इस महान हस्ती ने अपने ढेर सारे सबसे यादगार पल दिए.
महोत्सव के निदेशक मीतू भौमिक लांगे ने इस विशेष श्रद्धांजलि पर अपने विचार साझा करते हुए कहा,
"गुरुदत्त साहब अद्भुत सिनेमाई तकनीक और अपनी कहानियों की भावनात्मक गहराई दोनों ही दृष्टि से अपने समय से बहुत आगे थे. प्यासा और कागज़ के फूल जैसी उनकी फ़िल्में न केवल क्लासिक हैं बल्कि आज वे सिनेमा जगत के बहुमूल्य सांस्कृतिक धरोहर भी हैं. उनकी फिल्में भारतीय सिनेमा की आत्मा से जुड़ती हैं. हमारा मानना है कि IFFM में उन दिग्गज हस्तियों का सम्मान करना ज़रूरी है जिन्होंने हमारी सिनेमेटिक विरासत को इतना सुंदर आकार दिया. यह विशेष श्रद्धांजलि उनकी प्रतिभा को याद करने और उनके कालातीत काम को नए वैश्विक दर्शकों से परिचित कराने का हमारा विनम्र तरीका है."
ये स्क्रीनिंग भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम काल और उसके स्थायी प्रभाव का जश्न मनाने वाले एक क्यूरेटेड रेट्रोस्पेक्टिव का हिस्सा होंगी. मेलबर्न के दर्शकों को बड़े पर्दे पर गुरुदत्त के काम की दृश्य कविता का अनुभव करने का एक दुर्लभ अवसर मिलेगा. यह उस व्यक्ति के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि है जिसने सिनेमा को केवल मनोरंजन के रूप में नहीं बल्कि गहन कलात्मक अभिव्यक्ति के रूप में देखा.
IFFM 2025 भारतीय कहानी कहने की गहराई और विविधता को प्रदर्शित करने की अपनी विरासत को जारी रखता है अतीत के प्रतीकों का सम्मान करते हुए भविष्य की आवाजों को गले लगाता है.
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