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National Award: राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 1954 में शुरू हुए थे. प्रारंभ में ये केवल भाषाई फिल्मों तक सीमित थे, लेकिन 1967 से कलाकारों और तकनीशियनों को भी शामिल किया गया. उसी साल Nargis को फिल्म ‘रात और दिन’ के लिए और Uttam Kumar को ‘एंटोनी फिरिंगी’ तथा ‘चिड़ियाखाना’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला था. यह वही गौरवशाली परंपरा है, जो दशकों से भारतीय सिनेमा की उत्कृष्टता को पहचानती आई है — और अब 2025 में, इसी श्रृंखला में एक और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया है.
1 अगस्त 2025 को घोषित 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों ने हिंदी सिनेमा के इतिहास में अहम योगदान दिया है. बॉलीवुड के किंग खान यानि शाहरुख खान को उनके 35 साल के करियर में पहली बार राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाज़ा गया — वह भी फिल्म ‘JAWAN’ के लिए, जो एक एक्शन एंटरटेनर होने के साथ-साथ सामाजिक संदेशों से भी भरपूर थी.
National Award Win
Shah Rukh Khan ने यह पुरस्कार ‘12th Fail’ के लिए Vikrant Massey के साथ साझा किया, जिन्होंने अपनी सहज और प्रभावशाली अदाकारी से सबका दिल जीत लिया. Rani Mukerji को भी ‘Mrs. Chatterjee vs Norway’ में उनके संवेदनशील अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला. इन तीनों कलाकारों ने 2023 में भावनात्मक, सामाजिक और व्यावसायिक दृष्टि से सिनेमा को नई ऊंचाइयां दीं.
लेकिन सवाल यह उठता है — क्या शाहरुख को यह सम्मान बहुत देर से मिला? ‘Swades’, ‘Chak De India’ और ‘My Name Is Khan’ जैसी फिल्मों में उन्होंने संवेदनशील और समाजोपयोगी भूमिकाएं निभाईं, जिन्हें आज भी दर्शक याद करते हैं. फिर भी उन्हें उन फिल्मों के लिए कभी राष्ट्रीय पुरस्कार नहीं मिला. ऐसे में जब ‘जवान’ जैसी कमर्शियल फिल्म के लिए यह सम्मान मिला, तो कई लोगों ने इसे उनके अतीत के योगदान की भरपाई के रूप में देखा. हालांकि, यह भी सच है कि ‘जवान’ में शाहरुख ने एक ऐसा बहुआयामी किरदार निभाया जो देशभक्ति, पारिवारिक भावनाओं और सामाजिक न्याय के संघर्ष को एक साथ लेकर चला. उनकी परफॉर्मेंस में परिपक्वता और असर दोनों साफ दिखाई दिए.
दूसरी ओर, विक्रांत मैसी के अभिनय को लेकर किसी भी वर्ग में असहमति नहीं दिखी. उन्होंने एक साधारण से किरदार को असाधारण बना दिया और खुद को इस पीढ़ी के सबसे भरोसेमंद कलाकारों में स्थापित किया. वहीं रानी मुखर्जी पहले ही ‘BLACK’ फिल्म से अपनी प्रतिभा साबित कर चुकी हैं.
इस साल निर्णायक मंडल में आशुतोष गोवारिकर, पी.शेषाद्री और डॉ.अजय नागभूषण शामिल थे. इनकी निगरानी में सुदीप्तो सेन को ‘द केरल स्टोरी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और विधु विनोद चोपड़ा को ‘12वीं फेल’ के निर्माता के रूप में सराहना मिली. ‘कटहल: ए जैकफ्रूट मिस्ट्री’ को सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म और ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ को सर्वश्रेष्ठ मनोरंजक फिल्म घोषित किया गया. वहीं इसके गाने ‘ढिंढोरा बाजे रे’ (वैभवी मर्चेंट) को बेस्ट कोरियोग्राफी का अवार्ड मिला.
इसके अलावा इस वर्ष टी-सीरीज़ के बैनर तले बनी फिल्मों ‘एनिमल’, ‘आत्मापम्फलेट’ और शिल्पा राव द्वारा गाया गया ‘छलिया’ को भी सम्मान दिया गया. टी-सीरीज़ के मालिक भूषण कुमार ने इन सफलताओं पर आभार जताया.
शाहरुख का यह पहला राष्ट्रीय पुरस्कार सिर्फ एक अभिनेता की जीत नहीं, बल्कि एक युग की मान्यता है. यह सिद्ध करता है कि सच्चे टैलेंट को देर से ही सही, पर सम्मान जरूर मिलता है.
‘मायापुरी परिवार’ की ओर से सिनेमा के इन धुरंधरों का हार्दिक अभिनंदन एवं शुभकामनाएँ! आपकी सृजनशीलता, प्रतिबद्धता और उत्कृष्ट साधना को हम श्रद्धापूर्वक नमन करते हैं.
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