शहंशाह: बॉलीवुड के शहंशाह की एक शानदार वापसी वैसे तो कैलेंडर बताता है की फिल्म 12 फरवरी 1988 को रिलीज़ हुई थी लेकिन वास्तव में यह फिल्म उससे एक दिन पहले हीं रिलीज़ हो गयी थी क्योंकि तीन साल के राजनीतिक अंतराल के बाद अमिताभ बच्चन की सिल्वर स्क्रीन पर वापसी की ऐसी प्रत्याशा थी By Mayapuri Desk 12 Feb 2024 in एंटरटेनमेंट New Update Follow Us शेयर वैसे तो कैलेंडर बताता है की फिल्म 12 फरवरी 1988 को रिलीज़ हुई थी लेकिन वास्तव में यह फिल्म उससे एक दिन पहले हीं रिलीज़ हो गयी थी क्योंकि तीन साल के राजनीतिक अंतराल के बाद अमिताभ बच्चन की सिल्वर स्क्रीन पर वापसी की ऐसी प्रत्याशा थी कि प्रशंसक अतिरिक्त 24 घंटे इंतजार नहीं कर सके. और ओह, यह क्या वापसी थी! शहंशाह सिर्फ एक फिल्म नहीं थी; यह एक कार्यक्रम था, बॉलीवुड के निर्विवाद राजा का राज्याभिषेक. बता दें फिल्म का निर्देशन टीनू आनंद ने किया था, और इसको लिखा जया बच्चन ने था. शहंशाह एक क्लासिक मसाला कॉकटेल है - एक्शन, ड्रामा, रोमांस, कॉमेडी और सामाजिक टिप्पणियों की एक स्वस्थ खुराक, जो बच्चन के सरासर करिश्मे से हिलती है. दोहरी पहचान की कहानी: शहंशाह की कहानी विजय (बच्चन) की है, जो एक साधारण, मजाकिया पुलिस इंस्पेक्टर है. जब शहर क्रूर अपराधी सरगना शेर सिंह (अमरीश पुरी) के चंगुल में आ जाता है, विजय अपने परिवार की बर्बरता और व्यवस्था के भ्रष्टाचार का गवाह बनता है. बदला और न्याय की भावना से प्रेरित होकर, विजय शहंशाह में बदल जाता है, जो एक नकाबपोश सतर्कताकर्ता है जो कानून को अपने हाथ में ले लेता है. वर्ल्डफेमस हुआ था इसका डायलॉग जबकि एक्शन सीक्वेंस फिल्म का मूल हैं, शहंशाह सिर्फ रोमांचकारी स्टंट से कहीं अधिक पेश करता है. बच्चन का विजय और शहंशाह का दोहरा चित्रण मनोरम है. फिल्म अच्छाई बनाम बुराई, सामाजिक भ्रष्टाचार और सतर्कता की कीमत के विषयों की पड़ताल करती है. ये फेमस डायलॉग तो सबको याद हीं होगा: "रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप होते हैं, नाम है शहंशाह. यह सिर्फ एक पंक्ति नहीं थी; यह एक घोषणा थी, एक लौटने वाले राजा के इरादे का बयान जो अपने सिंहासन को पुनः प्राप्त करने के लिए तैयार था. अपने समय की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म यह फ़िल्म न केवल व्यावसायिक रूप से सफल रही और 1988 की दूसरी सबसे अधिक कमाई करने वाली फ़िल्म बन गई, बल्कि एक सांस्कृतिक घटना भी बन गई. यह दर्शकों को एक नायक की चाहत से गुंजायमान करता है, जो व्यापक भ्रष्टाचार और अराजकता के बीच न्याय का प्रतीक है. सिर्फ एक फिल्म नही, एक शहंशाह की वापसी शहंशाह सिर्फ एक फिल्म नहीं है; यह वापसी की शक्ति, नायक के आदर्श की स्थायी अपील और न्याय और सामाजिक परिवर्तन जैसे विषयों की स्थायी प्रासंगिकता का प्रमाण है. आज भी, रिलीज के 36 साल बाद, शहंशाह दर्शकों का मनोरंजन और प्रेरणा देना जारी रखे हुए है, हमें याद दिलाती है कि अमिताभ बच्चन वास्तव में "किंग" का खिताब क्यों पाते हैं. Read More- शेखर कपूर ने फिल्म मिस्टर इंडिया 2 की स्क्रिप्ट को लेकर किया ये खुलासा Mithun Chakraborty की सेहत में हुआ सुधार, एक्टर जल्द होंगे डिसचार्ज एल्विश यादव ने रेस्टोरेंट में शख्स को मारा थप्पड़,कहा-'मैं ऐसा ही हूं' जब करीना-सैफ की शादी पर सलमान ने दिया था रिएक्शन,कहा-'गलत खान से शादी' हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Latest Stories Read the Next Article