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फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके बनाई गई साइंस-फिक्शन सीरीज़ 'वारलॉर्ड' के साथ रचनात्मकता के नए क्षेत्र में कदम रखा है. इस प्रोजेक्ट का पहला टीज़र अब जारी हो गया है, और पूरा एपिसोड दो-तीन महीनों में आने की उम्मीद है.
सीरीज़ की कहानी ऐसे योद्धाओं के इर्द-गिर्द घूमती है जो रहस्यमयी क्रिस्टल्स की रक्षा करते हैं. ये क्रिस्टल्स पूरी आकाशगंगा को ऊर्जा प्रदान करते हैं और न्यूट्रीनो से भी परे, ब्रह्मांड की रचना करने वाले मौलिक कण हैं जो केवल एक ट्रिलियनवां हिस्सा भी नहीं, उससे भी छोटे समय के लिए अस्तित्व में रहते हैं.
शेखर कपूर के शब्दों में, "ये ऐसे कण हैं जो ब्रह्मांड को बनाते हैं लेकिन केवल एक सेकेंड के एक लाख करोड़वें हिस्से से भी कम समय तक मौजूद रहते हैं."
शेखर कपूर द्वारा लिखित, यह सीरीज़ एक इंटर डायमेंशनल वॉरियर की कहानी है जिसे मौत के कगार पर पहुंचने पर उसकी प्रेमिका उसे दूसरे आयाम (डायमेंशन) में खींच लेती है.
कपूर समझाते हैं, “वो प्रेमिका केवल तब उसे अपने आयाम में ले जा सकती है जब वो मृत्यु के बेहद करीब होता है... और आप शायद तलवार को उसके आर-पार जाते हुए देख सकते हैं, लेकिन वह वहाँ नहीं होता,"
शेखर कपूर का विज़न सीरीज़ से कहीं आगे जाता है. उनकी योजना सभी प्रोडक्शन डिज़ाइन और किरदारों को रचनाकारों के इस्तेमाल के लिए खुला रचनात्मक मंच बनाना चाहते हैं. “विचारों का एक विशाल भंडार.” वो “वारलॉर्ड”की सारी प्रोडक्शन डिज़ाइन और कैरेक्टर्स को ओपन-सोर्स के रूप में रिलीज़ करेंगे — जिसे वे “आइडियाज़ का रेनफॉरेस्ट” कहते हैं.
यूज़र्स महज़ एक सेंट में इन तत्वों को अपनी रचनाओं में उपयोग कर सकेंगे — बशर्ते वे भी अपनी रचना को ओपन-सोर्स रखें.
निर्देशक स्टूडियो ब्लो के साथ साझेदारी कर रहे हैं, जो मुंबई में स्थापित एक जनरेटिव एआई कंपनी है और दुबई, लंदन और लॉस एंजिल्स में प्रतिनिधित्व करती है, जिसकी स्थापना 2024 में हुई थी. इसके क्रेडिट्स में वॉर्नर म्यूज़िक इंडिया का म्यूज़िक वीडियो “द हार्टब्रेक छोरा”, जिसमें बॉलीवुड स्टार आयुष्मान खुराना और म्यूज़िक टुडे का “पुराना प्यार”, जिसमें ऐशन हैं, शामिल हैं. कार्तिक शाह “वारलॉर्ड” के संगीतकार हैं. यह परियोजना पारंपरिक निर्माण विधियों से एक नाटकीय बदलाव का प्रतिनिधित्व करती है.
शेखर कपूर बताते हैं कि पहले जिन विज़ुअल सीक्वेंस को बनाने में महीनों लगते थे, उन्हें अब सिर्फ़ दो हफ्तों में तैयार किया जा सकता है.
एआई को एक लोकतांत्रिक शक्ति बताते हुए शेखर कपूर कहते हैं कि यह बड़ी स्टूडियो और स्ट्रीमिंग स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म के प्रभुत्व को ध्वस्त कर देगा. उन्होंने कहा, “स्टूडियो गलत मॉडल पर चले गए हैं… एआई बजट का भ्रम तोड़ेगा, बड़े होने का भ्रम तोड़ेगा.” उन्होंने इसकी तुलना नेपस्टर द्वारा म्युजिक इंडस्ट्री में की गई बदलाव जैसा बताया.
इस सीरीज़ का सबसे अद्भुत पक्ष है इसका डिज़ाइन कॉन्सेप्ट. शेखर कपूर बताते हैं कि सीरीज़ में दिखाए गए स्पेसशिप्स जेलीफ़िश से प्रेरित हैं और उन्हें जीवित, जैविक संरचनाओं के रूप में डिज़ाइन किया गया है.
उनका मानना है कि भविष्य में ऐसे मटेरियल्स होंगे जो खुद को ठीक कर सकें. इसलिए अंतरिक्ष यान जीवित पदार्थों और जैविक पदार्थों से बने होंगे जो ठीक होकर जीवित रहेंगे." ये स्पेसशिप्स ब्रह्मांडीय हवाओं से आगे बढ़ेंगे — जैसे पालों पर चलने वाले जहाज़.
वारलॉर्ड का यूनिवर्स आगे चलकर फिल्मों और गेम्स में भी विस्तार करेगा.
इसके साथ-साथ शेखर कपूर अपने अन्य प्रोजेक्ट्स जैसे एबोनी मैक्वीन और मासूम... द नेक्स्ट जेनरेशन पर भी काम कर रहे हैं. उनकी योजना मुंबई के धारावी में एक एआई-केंद्रित फिल्म स्कूल स्थापित करने की है.
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