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किसना: द वॉरियर पोएट 2005 में रिलीज़ हुई सुभाष घई द्वारा निर्देशित, लिखित, निर्मित (मुक्ता आर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड) और संपादित एक बॉलीवुड फिल्म है. यह फिल्म भारत में ब्रिटिश कोलोनियल रूल के दौरान 1900 के दशक की शुरुआत की कहानी पर आधारित है. यह ऐतिहासिक संदर्भ इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह संपूर्ण कहानी में किरदारों के जीवन और निर्णयों को आकार देता है.
फ़िल्म में विवेक ओबेरॉय, एंटोनिया बर्नथ और ईशा शरवानी ने अभूतपूर्व भूमिका निभाई है. कहानी अविभाजित भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित है और किसना नाम के एक बहादुर और सिद्धांतवादी युवक के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने गांव के प्रति अपनी वफादारी और एक अंग्रेजी लड़की के प्रति अपने प्यार के बीच खुद को फंसा हुआ पाता है.
1930 में, देवप्रयाग के एक छोटे से गाँव में एक अंग्रेज़ दंपत्ति के घर एक सुंदर लड़की पैदा होती है. नाम रखा जाता है कैथरीन. पांच साल की उम्र में कैथरीन (बाल कलाकार एना लिएवेलिन) की दोस्ती उसी गांव के भारतीय लड़के किसना (बाल कलाकार करण देसाई) से हो जाती है.दोनों की बढ़ती दोस्ती देख कैथरीन के माता पिता उसे जबरन इंग्लैंड पढ़ने भेज देते हैं. लेकिन ना कैथरीन किसना को भूल पाई ना किसना कैथरीन को भूल पाया. किसना का बाल विवाह लक्ष्मी (बाल कलाकार मंजरी भाटे) से हो जाती है.
सत्रह साल की उम्र में कैथरीन (एंटोनियो बर्नथ) छुट्टियों में अपने माता पिता के घर देवप्रयाग आती है और किसना (विवेक ओबेरॉय) से फिर मिलने जुलने लगती है. दोनों में प्रगाढ़ प्यार हो जाता है. लेकिन उस समय अंग्रेजों के खिलाफ भारतीयों का स्वतंत्रता आंदोलन पूरे जोरों पर शुरू हो चुका था और क्योंकि कैथरीन अंग्रेज थी इसलिए वो भी स्वतंत्रता आंदोलन कारियों की आँख की किरकिरी थी. कैथरीन और उनका परिवार जन आंदोलन के टार्गेट के कारण खतरे में थे. एक बार जब कैथरीन एक गुस्साए हुए राष्ट्रवादियों की हिंसक भीड़ में फँस जाती है, तब किसना ही उसे सबसे बचाते हुए वापस इंग्लैंड भेजने की व्यवस्था कर देता है. अंग्रेज़ लड़की और उसके परिवार को बचाने के कारण किसना के परिवार वाले और उसके गांव वाले सभी किसना की लानत मलानत करते हैं. किसना अपने बचपन के प्यार और अपने देश के प्रति वफादारी के बीच पिसता जाता है.
लेकिन फिर भी वो कैथरीन और उसके परिवार को अपनी जिम्मेदारी से सुरक्षित इंग्लैंड पहुंचा देता है. उसी दौरान दोनों अपने प्यार की गहरी भावना जताते हुए अपनी मजबूरियों को भी बयान करते हैं. इस तरह दोनों बहुत ही भावुकता के साथ बिछड़ जाते हैं. बिछड़ने से पहले वह एक दूसरे से वादा करते हैं कि मरने के बाद उन दोनों की अंत्येष्टि की राख देवप्रयाग कि उसी भूमि पर बिखेरने की व्यवस्था करेंगे जहां दोनों ने अपना बचपन, प्यार के साथ बिताया था. वक़्त निकलता जाता है. किसना की शादी लक्ष्मी (ईशा शरवानी) से हो जाती है और वह अपने देश तथा अपने परिवार के प्रति सारी जिम्मेदारी निभाता है. इंग्लैंड में कैथरीन की भी शादी हो जाती है. वर्षों बाद बहुत बूढ़ी हो चुकी कैथरीन (पॉली एडम्स) भारत आती है और अपनी सारी दौलत भारत के चैरिटी संस्थान को दान कर देती है और देवप्रयाग जाकर अपना बचपन और बचपन के प्यार की कहानी सबको सुनाती है.
इस फ़िल्म के अन्य मुख्य कलाकार हैं अमरीश पुरी, ओम पुरी, सुष्मिता सेन, जरीना वहाब, शिवाजी साटम, रजत कपूर, जीतू वर्मा, ऋषिता भट्ट, रोनित रॉय, अश्विनी कलसेकर, राहुल सिंह, मेहुल ठाकुर, विवेक मुशरान, सुधीर मिट्टू, विवेक मुशरान, आशा शर्मा, मिथिलेश चतुर्वेदी, सुनीता शिरोल, पी डी वर्मा, यशपाल शर्मा. यह फिल्म भारतीय इतिहास के उथल-पुथल भरे दौर में प्रेम, सांस्कृतिक संघर्ष और पहचान तथा अस्तित्व की रक्षा विषयों को रेखांकित करती है.
250 मिलियन बजट से बनी थी ये फिल्म. सुभाष घई अपनी लार्जर देन लाइफ कहानी कहने के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने पहले भी कई सफल फिल्मों का निर्देशन किया है. बॉक्स ऑफिस पर फिल्म का प्रदर्शन घई के लिए निराशाजनक था, जिन्हें कर्ज़ (1980), ताल (1999), और परदेस (1997) जैसी अपनी पिछली हिट फिल्मों को देखते हुए इसकी सफलता की बहुत उम्मीदें थीं. हालाँकि, किसना ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया और आलोचकों से इसे मिश्रित समीक्षाएँ मिलीं फिर भी, इस झटके के बावजूद, घई ने कहा कि हर फिल्म को कड़ी मेहनत और समर्पण की आवश्यकता होती है, भले ही उसकी व्यावसायिक सफलता कुछ भी हो. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि फिल्म निर्माण एक कला है जिसे केवल इसके वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर आंकने के बजाय इसके प्रयास के लिए सराहा जाना चाहिए.
फिल्म में स्वयं घई द्वारा रचित एक साउंडट्रैक है, जिसमें कई यादगार गाने शामिल हैं जो किरदारों की भावनात्मक गहराई को दर्शाते हैं. इस फ़िल्म को अपनी गति और पटकथा के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा, यह अभी भी घई की फिल्मोग्राफी में एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के रूप में एक स्पेशल स्थान रखती है. सुभाष घई ने युवा फिल्म निर्माताओं को अपनी कलात्मक दृष्टि के प्रति सच्चे रहते हुए दर्शकों को पसंद आए, ऐसे कॉंटेंट बनाने में आने वाली चुनौतियों पर भी टिप्पणी की. किसना: द वॉरियर पोएट एक ऐसी फिल्म है जो संगीत और भाव प्रधान कहानी के माध्यम से सुभाष घई की विशिष्ट शैली को दर्शाती है.
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी अवार्ड विनर सिनेमैटोग्राफर अशोक मेहता ने भारत के हरे-भरे परिदृश्यों में की. खबरों के मुताबिक सुभाष घई इस फ़िल्म के संगीतकार के रूप में सिर्फ ए आर रहमान को चाहते थे लेकिन उन दिनों अति व्यस्त होने की वजह से ए आर रहमान सिर्फ बैक ग्राउंड म्यूजिक दे पाए. तब सुभाष घई ने विश्व विख्यात संगीतकार इस्माईल दरबार को चुना जिन्होने बहुत बढ़िया म्यूजिक दिया. गीतकार थे जावेद अख्तर, तथा अंग्रेज़ी गाने को लिखा ब्लेज़ ने. फिल्म के गाने, 'किसना थीम', हम हैं इस पल यहां, वो किसना है, तू इतनी पगली क्यों है, चिलमन उठेगी नहीं, वो दिन आ गया, तू ऐसी धुन में गा, काहे उजड़ी मेरी नींद, तोरे बिन मोहे चैन नहीं, अहम ब्रह्मास्मी और माय विश कम्स ट्रू बहुत कर्ण प्रिय है आज भी.
खबरों के मुताबिक कैथरीन की भूमिका में कैटरीना कैफ के बारे में सोचा गया था लेकिन फ़ाइनली वो सही नहीं लगी. 'किसना द वॉरियर पोएट' एक फिल्म निर्माता के रूप में सुभाष घई के दृष्टिकोण का एक प्रमाण है जो सार्थक सिनेमा बनाना चाहता है.
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