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आज 16 जनवरीको शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की पुण्यतिथि है. यह दिन भारतीय साहित्य प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर हैजब हम उनके योगदान को न केवल याद करते हैं बल्कि...
आज, 16 जनवरी को शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की पुण्यतिथि है. यह दिन भारतीय साहित्य प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जब हम उनके योगदान को न केवल याद करते हैं, बल्कि उनके विचारों और लेखन के महत्व को भी समझते हैं. शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का लेखन भारतीय समाज की गहरी सच्चाइयों और भावनाओं को उजागर करता है. उनका साहित्य न केवल समाज की सच्चाईयों को दिखाता है, बल्कि एक सुधारक के रूप में उनके विचारों ने भारतीय समाज के सोचने के तरीके को बदलने में मदद की है.
समाज सुधारक के रूप में
शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म 15 सितंबर 1876 को हुगली जिले के देवानंदपुर गाँव में हुआ था. उनके लेखन ने भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को अपने अन्दर समाहित किया है. वे खासतौर पर महिलाओं के अधिकारों और समाज में उनके स्थान के बारे में अपने विचारों के लिए प्रसिद्ध थे. उन्होंने अपने लेखन कला से पितृसत्तात्मक समाज की बुराइयों और महिलाओं के प्रति असमान व्यवहार पर कई बार सवाल उठाए है. इसके अलावा उन्होंने समाज में फैले असमानताभेदभाव और अंधविश्वास के खिलाफ भी मोर्चा निकाला है.
शरत चंद्र चट्टोपाध्याय की कुछ प्रमुख रचनाएं है- पंडित मोशाय, बैकुंठेर बिल, मेज दीदी, दर्पचूर्ण, श्रीकान्त, अरक्षणीया, निष्कृति, मामलार फल, गृहदाह, देवदास.
बात करे अगर उनके लेखन की तो उनके उपन्यास ‘देवदास’, ‘परिणीता’, ‘बड़ी दीदी’ और ‘चरित्रहीन’ जैसी रचनाओं ने भारतीय समाज के गहरे सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को छुआ है.
उपन्यास पर बनी फिल्में
शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के द्वारा लिखी गई रचनाओं पर कई फ़िल्में भी बनाई गई है जैसे- 'देवदास' और ‘परिणीता’.
शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का 'देवदास' एक ऐसा उपन्यास है जिसपर अलग-अलग समय में कई फ़िल्में बनाई गई है. इसमें सबसे पहली बार कुन्दन लाल सहगल द्वारा अभिनीत देवदास (1935), फिर दिलीप कुमार और वैजयन्ती माला द्वारा अभिनीत देवदास (1955) और फिर शाहरुख़ ख़ान, माधुरी दीक्षित, और ऐश्वर्या राय द्वारा अभिनीत देवदास (2002) शामिल है.
इसके अलावा, 'परिणीता' पर भी दो बार फ़िल्में बन चुकी है. पहली बार 1953 में, इस फिल्म में दिवंगत अशोक कुमार और उस दौर की सबसे खूबसूरत और टैलेंटेड अभिनेत्री मीना कुमारी लीड रोल में थीं.
वहीँ 2005 में रिलीज हुई फिल्म ‘परिणीता’ में विद्या बालन, संजय दत्तसैफ अली खान और दीया मिर्जा जैसे सितारे नजर आए थे. इस फिल्म के निर्देशक प्रदीप सरकार थे.
उनके उपन्यास पर आधारित अन्य फिल्मों में निष्कृति और अपने पराये (1980) हैंजिसमें अमोल पालेकर मुख्य भूमिका में हैं. तेलुगू फिल्म थोड़ी कोडल्लू (1957) भी इस उपन्यास पर आधारित है. गुलजार की 1975 की फ़िल्मखुशबू उनकी रचना पंडित मशाय से प्रेरित हैं. आचार्य अत्रेय द्वारा 1961 तेलुगू फिल्म उवाग्दानम उनके उपन्यास दत्ता पर आधारित है. इसके अलावा 2011 की फिल्म आलो छाया उनकी छोटी कहानीआलो ओ छाया पर आधारित है.
मरणोपरांत सम्मान और पुरस्कार
शरतचंद्र चट्टोपाध्याय को उनके लेखन के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें ‘कुंतलीन पुरस्कार’ (1903), ‘जगत्तारिणी स्वर्ण पदक’ (1923) और ढाका विश्वविद्यालय द्वारा (1936) प्रदान किया गया मानद आनरेरी डी. लिट्. प्रमुख है.
आज शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की पुण्यतिथि के अवसर पर, हम उनके योगदान और उनके विचारों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. उनकी कृतियाँ हमेशा समाज के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए एक गाइड की तरह रहेंगी.
by PRIYANKA YADAV
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