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दिल्ली में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो दिन की यात्रा के दौरान जब आरटी इंडिया का लॉन्च हुआ, तो मंच पर आते ही पुतिन ने एक ऐसा नाम लिया कि सबका ध्यान अचानक अतीत की तरफ मुड़ गया। पुतिन ने मुस्कुराकर कहा कि राज कपूर के ज़माने से लेकर आज तक भारत बहुत बदल गया है, लोगों की ज़िंदगी, शहर, तरक्की सब अलग हो चुके हैं, लेकिन रूस और भारत की दोस्ती आज भी उसी गर्मजोशी के साथ खड़ी है जैसे पहले थी। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें पुराने रूसी गायक व्लादिमीर विसोत्स्की का वह गीत याद आ गया, जिसमें राज कपूर की बात होती थी। यह छोटा सा जिक्र फिर से उस दौर को सामने ले आया जब एक भारतीय कलाकार पूरे सोवियत यूनियन का चहेता बन गया था।'
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सच कहा जाए तो 1950 के दशक में राज कपूर की लोकप्रियता रूस में किसी सुनामी से कम नहीं थी। कहानी शुरू होती है पचास के दशक से, जब दुनिया का नक्शा भी अलग था और सिनेमा का रंग भी। राज कपूर अपनी फिल्मों से भारत में तो स्टार थे ही, पर यह किसे पता था कि सोवियत यूनियन यानी उस वक़्त के रूस में वो इतने बड़े सुपरस्टार बन जाएंगे कि लोग उनका स्वागत, एयरपोर्ट पर कुछ इस तरह से करेंगे जैसे किसी राजा का स्वागत हो। (Vladimir Putin visit India 2025)
उस समय जब रूस के जनता को खबर लगती थी कि राज कपूर आने वाले हैं तो मॉस्को एयरपोर्ट पर भीड़ इतनी ज़्यादा जमा हो जाती थी कि लोगों के शोर से पूरा इलाका गूंजने लगता था। लोग अपने आइडल, अपने रोल मॉडल राज कपूर की सिर्फ एक झलक पाने के लिए पागल होकर दौड़ पड़ते थे। एक बार तो हालात ऐसे बन गए कि जब राज कपूर ने एयरपोर्ट से निकलकर एक टैक्सी पकड़ी तो फैंस ने उनकी टैक्सी ही अपने कंधों पर उठा ली। यह सम्मान अक्सर किसी फिल्म स्टार को नहीं, बल्कि किसी राष्ट्रीय हीरो को मिलता है।
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पुतिन ने आरटी इंडिया लॉन्च पर राज कपूर और भारत-रूस दोस्ती को याद किया
भारत में राज कपूर एक बहुत बड़े कलाकार थे, लेकिन रूस में उन्हें जिस तरह पूजा जाता है , उसे उनके बेटे ऋषि कपूर ने बाद में अपनी किताब में लिखा कि किस तरह भारतीय सिनेमा जगत के रियल शो मैन, सुपर स्टार एंड सुपर फ़िल्म मेकर, राज कपूर को रूस की जनता देवता की तरह पूजते थे ।
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1985 की एक घटना भी, राज कपूर के विश्व में उनके कद को जाहिर करने के लिए काफी मशहूर है। उन दिनों एक भारतीय फिल्म समीक्षक सोवियत यूनियन गए थे। उन्होंने लिखा कि वहाँ के लोग कहा करते थे कि हमारे तीन हीरो हैं – जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राज कपूर। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि राज कपूर सिर्फ एक्टर नहीं थे, बल्कि भारत की पहचान भी बन चुके थे। (RT India launch event highlights)
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एक और घटना, रूस के जनता के मन में राज कपूर के स्थान को बयां करती है। 1950 के दशक में जब पहली बार राज कपूर मॉस्को पहुँचे, तो मज़ेदार बात यह हुई कि उनके पास वीज़ा नहीं था। सोवियत यूनियन की पहचान सख्त नियमों के लिए मशहूर थी और आज भी है, लेकिन राज कपूर को बिना किसी पूछताछ के इमिग्रेशन से पास कर दिया गया। यह वही दौर था जब उनकी फिल्में रूस में नई-नई पहुंच रही थीं और लोगों ने उन्हें स्क्रीन के ज़रिए अपने दिलों में बसा लिया था।
उनकी फिल्मों का जादू असल में 1951 की फिल्म आवारा से शुरू हुआ। भारत में रिलीज़ होने के तीन साल बाद जब यह फिल्म सोवियत थिएटर्स में दिखाई गई, तो वहाँ लोगों की दीवानगी देखते ही बनती थी। करीब 6 करोड़ 40 लाख टिकट बिके, और यह सोवियत इतिहास की तीसरी सबसे ज़्यादा देखी गई विदेशी फिल्म बन गई। इतनी बड़ी संख्या आज भी सुनकर यकीन करना मुश्किल है। (Raj Kapoor mentioned by Putin)
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खास बात यह थी कि फिल्म को रूसी भाषा में डब किया गया था ताकि दर्शक कहानी समझ सकें, लेकिन उसके गानों को जस का तस रखा गया। 'आवारा हूँ' जैसी धुनें, रूसी घरों में रोज की बात हो गई । लोगों ने बिना भाषा समझे उसकी भावना को पकड़ लिया। राज कपूर की आवाज़, उनका इमोशन और शंकर–जयकिशन की धुनों ने पूरी पीढ़ी को छू लिया।
राज कपूर का किरदार आम आदमी की जद्दोजहद, मेहनत और उम्मीद की कहानी बन गई । रूस उस समय युद्ध की विभीषिकाओं से उभर रहा था और वहाँ के लोग ऐसी कहानियों में अपने दिल का दर्द और मन की बातें देख लेते थे। धीरे-धीरे राज कपूर की कल्ट फिल्में, 'श्री 420', 'संगम', 'तीसरी कसम', 'आह' 'अनाड़ी' 'जिस देश में गंगा बहती है' 'चोरी चोरी' 'मेरा नाम जोकर', 'बॉबी' 'सत्यम शिवम सुन्दरम' 'प्रेम रोग' ने इस प्यार को और मजबूत कर दिया।
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राज कपूर के फिल्मों के गीत, जैसे 'आवारा हूँ, मेरा जूता है जापानी, डम डम डिगा डिगा, प्यार हुआ इकरार हुआ, रामैया वस्तावैया, छलिया मेरा नाम, ऐ भाई जरा देख के चलो, एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल, दोस्त दोस्त ना रहा, मेरा नाम राजू घराना अनाम, सजन रे झूठ मत बोलो, मुड़ मुड़ के ना देख, किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, बोल राधा बोल, जाने कहाँ गए वो दिन, जीना यहाँ मरना जैसे और भी बहुत सारे गाने सोवियत घरों में आज भी बजते है।
राज कपूर के साथ रूस का ये रिश्ता सिर्फ सिनेमा तक सीमित नहीं रहा। कई साल बाद, 2011 में जब स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह मॉस्को पहुंचे थे , तो क्रेमलिन के प्रेज़िडेंशियल ऑर्केस्ट्रा ने 'आवारा हूँ' बजाकर उनका भव्य स्वागत किया था। यह किसी औपचारिक नियम का हिस्सा नहीं था, यह रूस की उस भावनात्मक याद का संकेत था जो दशकों बाद भी नहीं मिट सकी थी। (Vladimir Vysotsky song reference)
रूस के लिए राज कपूर कभी भी केवल एक भारतीय कलाकार नहीं रहे थे, वे एक सांस्कृतिक पुल बन चुके थे। उन्होंने भारत और सोवियत यूनियन को दिलों की भाषा में एक साथ जोड़ दिया था। उनकी लोकप्रियता मॉस्को से लेकर जॉर्जिया तक फैल गई थी। रूस की गलियों में आज भी कई जगह पुराने घरों में उनकी तस्वीरें मिल जाती हैं।
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माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कपूर परिवार से मुलाकात के दौरान कहा था कि राज कपूर असल मायने में भारत के सॉफ्ट पावर के पहले दूत थे। जब दुनिया में सॉफ्ट पावर जैसा शब्द चलता भी नहीं था, तब राज कपूर इसे दुनिया के सामने साबित कर चुके थे।
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ऋषि कपूर ने भी अपने दौर में, रूस में जाकर उसी मोहब्बत को महसूस किया था, जो उनके पिता राज कपूर के लिए उन्होने बचपन में देखा था। । ऋषि कपूर ने बताया था कि 1974, 1976, 1978 और 1980 के ताशकंद और मॉस्को फिल्म फेस्टिवल के दौरान लोग उनके पापा को देखकर रो पड़ते थे, उनका हाथ पकड़कर चूम लेते थे, और उन्हें ऐसे देखते थे जैसे उन्हे कोई अपना खोया हुआ परिवार मिल गया हो।
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आज भी रूस में भारतीय फिल्मों का एक खास वफादार दर्शक वर्ग है। राज कपूर के बाद अगर किसी और भारतीय कलाकार ने रूस में अपना दबदबा कायम किया है तो वह है मिथुन चक्रवर्ती। मिथुन की फ़िल्म 'डिस्को डांसर' ने भी 80 के दशक में रूस में बड़ी लोकप्रियता पाई। फिर 90 से लेकर 2000 के दशक में शाहरुख खान के लिए वही प्यार देखने को मिला। 'कभी खुशी कभी ग़म' और 'देवदास' वहाँ दोबारा रिलीज़ भी हुईं। (Putin recalls Soviet-era India connections)
राज कपूर ने भारतीय कलाकारों के लिए रूस में जो सम्मान जगाया था, वो आज भी जारी है। खासतौर पर, कपूर खानदान की आने वाली तीन पीढ़ियों को भी रूस उतना ही प्यार और सम्मान प्रदान करता है जो राज कपूर को नवाजा जाता था।
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कुछ साल पहले मॉस्को एयरपोर्ट पर करीना कपूर को देखकर कुछ बुज़ुर्ग महिला फैंस ने कहा था, "आप राज कपूर की पोती हैं ना?" और यह कहकर वे करीना से लिपटना चाहते। इससे साफ पता चलता है कि तीन पीढ़ियों बाद भी पहचान की जड़ें वहीं जुड़ी हुई हैं। (Raj Kapoor legacy in Russia)
2023 में रूस के एक बड़े टीवी चैनल ने राज कपूर पर खास डॉक्यूमेंट्री चलाई थी । सेंट पीटर्सबर्ग में उनके नाम पर मिनी फिल्म फेस्टिवल भी रखा गया था । रूस के युवा सोशल मीडिया पर आज भी आवारा हूँ की धुन को रीमिक्स बनाकर शेयर किया जाता हैं।
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और यही वजह है कि पिछले दिनों जब रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने दिल्ली में राज कपूर का नाम लिया, तो बात सिर्फ एक अभिनेता की नहीं थी। यह कहानी एक सांस्कृतिक रिश्ते की थी जिसे फिल्मों ने बनाया, भावनाओं ने सँभाला और लोगों ने पीढ़ियों तक निभाया।
आज जब रूस और भारत नई साझेदारियाँ बना रहे हैं, नए समझौते हो रहे हैं, तो राज कपूर की याद यह साबित करती है कि देश भले बदल जाएँ, पर दिल के रिश्ते कभी पुराने नहीं होते।
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