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काली, त्रिपुरा और कामाख्या देवी को समझने के लिए आप चाँद के अलग-अलग चरण को समझिये, जब अमावस्या होती है तो समझ ले कि माँ काली है और जब पूर्णिमा हो, तो समझ ले कि त्रिपुरा देवी है. वहीँ कामाख्या देवी अपना रूप बदलती रहती है. कभी वह त्रिपुरा देवी बनकर अपनी पूजा करवाती है तो कभी काली बनकर. इसके अलावा उसके अन्दर दुर्गा, कामेश्वरी और चंडी भी होती है.
कामाख्या देवी को समझने के लिए आप समझे कि जैसे कोई यंग लड़की अपनी पसंद के लड़के से शादी करके अपनी पहली रात बीताती है तब वह बहुत खुश होती है. वह उसका खुशनुमा पल होता है. उस समय आप उससे जो भी मांगेंगे, वह आपको देगी. लेकिन अगले ही पल वह तलवार बन जाती है. ठीक ऐसे ही कामाख्या देवी भी है. कामाख्या देवी के विभिन्न रूप हैं.
written by PRIYANKA YADAV
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