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24 जुलाई 2025 को रिलीज़ हुई हिंदी सिनेमा की बेहतरीन फिल्म ‘मसान’ ने अपने 10 साल पूरे कर लिए हैं. विक्की कौशल (Vicky Kaushal), श्वेता त्रिपाठी (Shweta Tripathi), ऋचा चड्ढा (Richa Chadha) और पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) अभिनीत यह बेहतरीन फिल्म आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय है. हाल ही में इस उपलक्ष पर एक खास मीटअप का आयोजन किया गया. इसमें निर्देशक नीरज घेवान (Neeraj Ghaywan), निर्माता मनीष मुंद्रा (Manish Mundra) और फिल्म से जुड़े कई अहम चेहरे नज़र आए.
नीरज घेवान
‘मसान’ के निर्देशक नीरज घेवान फिल्म की 10वीं वर्षगांठ का जश्न मनाते दिखे.
जमील ख़ान
‘मसान’ की 10वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में जमील ख़ान, जो गुल्लक वेब सीरीज़ में नज़र आए थे, इस इवेंट में शामिल हुए. यह मुलाकात सिर्फ एक जश्न नहीं थी, बल्कि फिल्म के निर्माण से जुड़ी भावनाओं और यादों का साझा मंच भी थी.
मनीष मुंद्रा
निर्माता मनीष मुंद्रा भी मसान के 10 साल पूरे होने पर बेहद खुश नज़र आए.
विक्की कौशल की भावुक पोस्ट
विक्की कौशल के लिए ‘मसान’ सिर्फ एक फिल्म नहीं थी—यह उनका डेब्यू था, उनके सपनों का पहला कदम. इस मौके पर विक्की ने इंस्टाग्राम पर कुछ भावुक तस्वीरें साझा कीं, जिनमें निर्देशक नीरज, सह-कलाकार श्वेता त्रिपाठी, और फिल्म के क्रू के साथ बीते पलों की झलकियां थीं. उन्होंने लिखा, “एक दशक हो गया! बहुत कुछ सीखने को, बहुत कुछ आगे बढ़ने को. हर चीज़ के लिए शुक्रिया! मुसाफ़िर हैं हम भी, मुसाफ़िर हो तुम भी. किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी.”
श्वेता त्रिपाठी की रील में बसी 'मसान' की आत्मा
श्वेता त्रिपाठी, जिन्होंने फिल्म में शालू गुप्ता का किरदार निभाया था, ने भी इस खास मौके पर एक मनमोहक रील शेयर की, जिसमें शूटिंग के दौरान के कुछ प्यारे पल, हंसी-ठिठोली और भावनात्मक झलकियाँ शामिल थीं. उनकी पोस्ट ने यह साबित कर दिया कि ‘मसान’ उनके लिए कितनी ख़ास है.
फिल्म ने रचा था इतिहास
‘मसान’ का प्रीमियर कान फिल्म फेस्टिवल 2015 में हुआ था, जहां इसे दो प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले—FIPRESCI अवॉर्ड और Promising Future Prize. फिल्म की संवेदनशीलता, गहराई और यथार्थवाद ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी खूब वाहवाही बटोरी थी.
कहानी
फिल्म की कहानी वाराणसी में बसे दो युवाओं की है, जो सामाजिक बंधनों और व्यक्तिगत त्रासदियों से जूझते हैं. एक तरफ दीपक (विक्की कौशल) है, जो डोम परिवार से ताल्लुक रखता है और जलती चिताओं के बीच प्यार की उम्मीद करता है; दूसरी तरफ देवी (ऋचा चड्ढा) है, जो अपने अतीत से छुटकारा पाना चाहती है. इन दो कहानियों का आपस में जुड़ना फिल्म का सबसे सुंदर और दिल छू लेने वाला हिस्सा है.
ऐसे जीता दर्शकों का दिल
फिल्म का गाना ‘तू किसी रेल सी गुजरती है, मैं किसी पुल सा थरराता हूँ’ गाना बहुत फेमस हुआ. साथ ही फिल्म का संवाद "साला ये दुख काहे खत्म नहीं होता है बे?", हमारे पिताजी कहते हैं, जो खीर नहीं खाया, वह मनुष्य योनि में पैदा होने का पूर्णतः फायदा नहीं उठाया! और “आप अकेले रहते हैं? नहीं हम पिताजी के साथ रहते है, पिताजी अकेले रहते है” ख़ासा पसंद किये गए.
एक दशक बाद भी ‘मसान’ की गूंज वैसी ही है—धीमी, लेकिन असरदार. इस फिल्म ने साबित कर दिया कि सादगी में भी बहुत ताक़त होती है और सिनेमा का असली काम दर्शकों को सोचने पर मजबूर करना होता है. विक्की कौशल, श्वेता त्रिपाठी और पूरी मसान टीम ने जो दुनिया रची, वह आज भी उतनी ही प्रासंगिक, भावुक और ज़िंदा है.
मसान के बारे में यह कहना गलत नहीं होगा कि यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, एक एहसास है—जो हर बार देखने पर दिल को थोड़ा और छू जाता है.
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