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1959 की 'अनाड़ी' में क्रिसमस और न्यू इयर के जश्न को दिखाया गया जमकर

ताजा खबर: राज कपूर, नूतन, ललिता पवार अभिनीत फ़िल्म 'अनाड़ी' 1959 की एक दिल छू लेने वाली हिंदी फिल्म है जिसने लाखों लोगों के दिलों पर आज भी घर कर रखा है.

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1959 Anari
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राज कपूर, नूतन, ललिता पवार अभिनीत फ़िल्म 'अनाड़ी' 1959 की एक दिल छू लेने वाली हिंदी फिल्म है जिसने लाखों लोगों के दिलों पर आज भी घर कर रखा है. महान निर्देशक हृषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में दिग्गज एक्टर राज कपूर और दिग्गज एक्ट्रेस नूतन, ललिता पवार के अलावा शुभा खोटे, मुकरी, नाना पलसेकर, रूबी मेयर, कुक्कू मोरे ने अभिनय किया था.

राज कपूर ने फिल्म में निभाई एक संघर्षरत चित्रकार राजकुमार की भूमिका

अनाड़ी (1959) - IMDb

राज कपूर ने एक संघर्षरत चित्रकार राजकुमार की भूमिका निभाई है, जो बेहद ईमानदार लेकिन गरीब है. वो जिस मकान में किराए पर रहता है उसकी मालकिन मिसेस डीसुज़ा (ललिता पवार) राज को बहुत स्नेह करती है और उसे राज के जरूरत से ज्यादा मासूम और बेवकूफ होने के कारण चिंता रहती है.एक दिन, राज को सड़क पर पैसों से भरा एक बटुआ मिलता है, लेकिन वह उसे उसके मालिक रामनाथ सोहनलाल (मोतीलाल) को लौटा देता है.उसकी ईमानदारी से प्रभावित होकर रामनाथ ने राजकुमार को अपने कार्यालय में क्लर्क की नौकरी दे देता है.

फिल्म में रोमांचक मोड़ तब आता है जब राजकुमार को रामनाथ के घर में काम करने वाली लड़की से प्यार हो जाता है.हालाँकि, बाद में उसे पता चला कि वह वास्तव में रामनाथ की भतीजी आरती (नूतन) है.एक रहस्यमय हत्या की घटना तब सामने आती है जब राजकुमार पर रामनाथ की कंपनी में बनने वाले दवा खाने के बाद उसकी मकान मालकिन की हत्या करने का संदेह होता है.और तब राजकुमार को जेल भेज दिया जाता है.आखिर रामनाथ, स्वीकार करता है कि मिसेस डीसूज़ा के मौत का जिम्मेदार वो है राजकुमार नहीं.आखिर आरती उर्फ भोले भाले और मासूम राज को दुनिया से बचा कर रखने का वादा करती है.

फिल्म में शंकर-जयकिशन, मन्ना डे के यादगार गानों के साथ एक बहुत ही संगीतमय लाइनअप है.इस फ़िल्म के कुछ सबसे प्रसिद्ध ट्रैक है  "किसीकी मुस्कुराहटों पे हो निसार, दिल की नज़र से, नाइंटीन फिफ्टी सिक्स, वो चांद खिला, वो तारे हँसे', सबकुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी, तेरा जाना, बनके पंछी गाये प्यार का तराना."

यह फ़िल्म भारी रूप से सफल रही और इसने कई फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते.राज कपूर ने 1960, में इस फ़िल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता.ललिता पवार ने सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार जीता. शंकर-जयकिशन ने सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक का पुरस्कार जीता.शैलेन्द्र ने सर्वश्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार जीता.यह उन दुर्लभ फिल्मों में से एक थी जिसमें ललिता पवार ने सकारात्मक भूमिका निभाई थी.इस फ़िल्म ने 1959 प्रेसीडेंट्स सिल्वर मेडल फॉर बेस्ट फीचर फिल्म इन हिन्दी भी जीता.इस फिल्म में एक्टर मोतीलाल ने  नूतन के चाचा का रोल निभाया.हकीकत में वे नूतन की माता शोभना समर्थ के साथ रहते थे.फिल्म को तमिल और तुर्की भाषा में बनाया गया था.

इसे 16 जनवरी 1959 को रिलीज़ किया गया था.फिल्म ईमानदारी, प्रेम और दूसरों की भलाई करते जाने वाले विषयों को खूबसूरती से प्रदर्शित करती है, जिससे यह एक कालातीत क्लासिक बन जाती है जो आज भी दिलों को छूती है.इस फ़िल्म में क्रिसमस और न्यू इयर का एक बेहद सुंदर दृश्य गीत भी है. हस्तनिर्मित सजावट से सजाए गए एक होटल नुमा कमरे में  मासूम राजकुमार उर्फ राज को नर्तकियों (हेलन और डांस ग्रुप) का एक दल घेर लेता है और क्रिस्मस और न्यू इयर का जश्न खूब धूमधाम से मनाया जाता है.यह गीत-नृत्य था,  'नाइंटीन फिफ्टी सिक्स' जिसे लता मंगेशकर और मन्ना डे ने गाया.इस फ़िल्म में राज कपूर और नूतन सिर्फ को-स्टार नहीं थे बल्कि हकीकत में दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे.पूरी फिल्म महज 15 लाख रुपए के टाइट बजट में बनी थी. ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है. 65 साल बाद भी लोग फिल्म के बारे में बात करते हैं!

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