ताजा खबर: इम्तियाज अली और एआर रहमान जोकि 'रॉकस्टार', 'हाईवे' और 'तमाशा' जैसे हिट एल्बमों के पीछे की जोड़ी हैं. वहीं इम्तियाज अली और एआर रहमान अमर सिंह चमकीला के लिए एक बार फिर एक साथ आए जिन्होंने फिल्म में अपना जादू बिखेरा. लेकिन कई बार एआर रहमान न सिर्फ म्यूजिक में योगदान देते हैं बल्कि फिल्म को ऊंचा उठाने के लिए अपने सुझाव भी शेयर करते हैं. इस बीच इम्तियाज अली ने एआर रहमान के बारे में बात करते हुए बताया कि "रहमान सर एक पंजाबी एल्बम बनाने को लेकर कितने ज्यादा एक्साइटेड थे. यही नहीं फिल्म को लेकर ए आर रहमान ने निर्देशक को जरुरी सलाह भी दी थी.
चमकीला को लेकर काफी एक्साइटेड थे ए आर रहमान
इम्तियाज अली ने ए आर रहमान के साथ अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए बताया, "पहली मुलाकात में उन्होंने मुझसे पूछा, हम क्या अलग करने जा रहे हैं?" तो मैंने कहा, आपको क्या लगता है हमें क्या करना चाहिए? तो उन्होंने कहा, क्या हम इस तरह का संगीत थिएटर कर सकते हैं? जहां लोग सीधे कैमरे से बात कर रहे हैं, वे सीधे कैमरे के सामने गा रहे हैं. और यह मेरे लिए एक सुनहरा अवसर था. क्योंकि मेरे दिमाग में यह था कि जब लोग यह फिल्म देखने आएंगे, तो उन्हें चमकीला के बारे में कुछ भी पता नहीं होगा और फिल्म का यह कर्तव्य है कि वह लोगों को बताए कि चमकीला कौन था. ताकि वे उसकी कहानी का आनंद ले सकें, वे उसकी परवाह करें. तो अगर आप देखें, जैसे ही फिल्म शुरू होती है, पहला गाना, पंजाब के कई तरह के लोग हैं जो सीधे कैमरे के सामने गा रहे हैं. कुछ लोग कह रहे हैं कि वह एक अच्छा इंसान था. कुछ लोग कह रहे हैं कि वह एक भयानक इंसान था. वह अश्लील थ; वह घटिया था. कुछ लोग कह रहे थे कि वह एक मसीहा था, तरह-तरह की बातें. इस तरह जीवन के बारे में विभिन्न अवधारणाएं, विभिन्न सत्य और असत्य, और चमकीला का मिथक सामने आता है. इसलिए संगीत थिएटर पहली चीज़ थी जो उन्होंने कही. फिर एक और गाना है जिसका नाम है नरम कालजा, जहाँ हम महिलाओं को कैमरे के सामने गाते हुए देखते हैं. इसलिए हमने उस शैली को अपनाया, और हम इससे बहुत खुश थे”.
चमकीला बनाने पर ए आर रहमान ने इम्तियाज अली को कही थी ये बात
इम्तियाज अली ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, "रहमान सर ने यह भी कहा कि इसे भारी-भरकम फिल्म न बनाएं और यह मेरी सोच के बिल्कुल अनुरूप था कि कोई दुखद फिल्म न बनाई जाए और ऐसा इसलिए था क्योंकि चमकीला का संगीत कभी दुखद नहीं था; वह हमेशा जश्न मनाता था. इसलिए मैंने सोचा कि चलो कोई दुखद फिल्म न बनाएं और इसे चमकीला कहें. यह गलत होगा. हालांकि कहानी में दुखद घटनाएं भी हैं, लेकिन इसकी शुरुआत आपके नायक की हत्या से होती है. और फिर यह इस तरह खत्म भी होती है कि आपको उनका दर्द थोड़ा-बहुत महसूस होता है. लेकिन मैं चमकीला की जिंदगी के प्रवाह के साथ खुशनुमा तरीके से, मस्ती भरे अंदाज में आगे बढ़ना चाहता था".
पंजाबी गायक अमर सिंह चमकीला की भूमिका में दिखे दिलजीत
निर्देशक इम्तियाज अली की फिल्म की कहानी 1980 के दशक के पंजाबी गायक अमर सिंह चमकीला के जीवन पर आधारित है. जिनकी साल 1988 में हत्या कर दी गई थी. फिल्म का निर्देशन इम्तियाज अली द्वारा किया गया है. फिल्म में दलजीत चमकीला के किरदार में नजर आएं, जबकि परिणीति चमकीला की पत्नी अमरजोत का किरदार निभाती दिखी.
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