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ताजा खबर: गोविंद निहलानी (जन्म: 19 दिसंबर 1940) एक भारतीय फिल्म निर्देशक, सिनेमैटोग्राफर, पटकथा लेखक और निर्माता हैं. वह विशेष रूप से हिंदी सिनेमा में समानांतर सिनेमा आंदोलन के लिए जाने जाते हैं. अपने शानदार करियर में उन्हें छह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और पांच फिल्मफेयर अवॉर्ड्स मिल चुके हैं.
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प्रारंभिक जीवन
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गोविंद निहलानी का जन्म 19 दिसंबर 1940 को कराची, सिंध प्रांत (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था. वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान उनका परिवार भारत आ गया.उन्होंने वर्ष 1962 में बेंगलुरु स्थित श्री जया चामराजेंद्र पॉलिटेक्निक (वर्तमान में गवर्नमेंट फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट) से सिनेमैटोग्राफी में स्नातक की पढ़ाई पूरी की.
सिनेमैटोग्राफर के रूप में पहचान
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गोविंद निहलानी ने अपने करियर की शुरुआत दिग्गज सिनेमैटोग्राफर वी.के. मूर्ति के सहायक के रूप में की. इसके बाद उन्होंने स्वतंत्र रूप से कैमरा संभाला और जल्दी ही अपनी अलग पहचान बना ली.उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में श्याम बेनेगल के साथ उनका लंबा और ऐतिहासिक सहयोग शामिल है. ‘अंकुर’, ‘निशांत’, ‘मंथन’, ‘भूमिका’ जैसी फिल्मों में उनकी सिनेमैटोग्राफी ने यथार्थवाद को नई भाषा दी.
करियर
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गोविंद निहलानी ने अपने करियर की शुरुआत प्रसिद्ध सिनेमैटोग्राफर वी. के. मूर्ति के सहायक के रूप में की. इसके बाद उन्होंने स्वतंत्र रूप से सिनेमैटोग्राफर के तौर पर काम शुरू किया. वह निर्देशक श्याम बेनेगल की शुरुआती फिल्मों से लगातार जुड़े रहे और सामाजिक विषयों पर आधारित सशक्त फिल्मों के लिए पहचाने गए.
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उन्होंने ऑस्कर विजेता फिल्म ‘गांधी’ (1982) की सिनेमैटोग्राफी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस फिल्म में उन्होंने बिना श्रेय लिए सेकेंड यूनिट डायरेक्टर के रूप में भी काम किया और महात्मा गांधी के विशाल अंतिम संस्कार जैसे महत्वपूर्ण दृश्यों की शूटिंग में अहम योगदान दिया.
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निर्देशन की शुरुआत
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गोविंद निहलानी ने निर्देशन की शुरुआत कानूनी ड्रामा फिल्म ‘आक्रोश’ से की, जिसमें ओम पुरी, नसीरुद्दीन शाह, स्मिता पाटिल और अमरीश पुरी मुख्य भूमिकाओं में थे. इस फिल्म की पटकथा प्रसिद्ध मराठी नाटककार विजय तेंदुलकर ने लिखी थी.
‘आक्रोश’ ने वर्ष 1981 में नई दिल्ली में आयोजित भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का गोल्डन पीकॉक अवॉर्ड जीता.इसके बाद उन्होंने 1983 में ‘अर्ध सत्य’ का निर्देशन किया, जो एस. डी. पानवलकर की कहानी पर आधारित थी और आज भी भारतीय सिनेमा की सबसे प्रभावशाली फिल्मों में गिनी जाती है.
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इसके बाद आई ‘अर्ध सत्य’ (1983), जिसे आज भी भारतीय सिनेमा की सबसे प्रभावशाली फिल्मों में गिना जाता है. पुलिस हिंसा, सिस्टम और नैतिक द्वंद्व को जिस गहराई से इस फिल्म में दिखाया गया, उसने सिनेमा की परिभाषा ही बदल दी.
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अन्य महत्वपूर्ण कार्य
वर्ष 1996 में उनकी लिखी फिल्म ‘द्रोहकाल’ की कहानी को कमल हासन ने तमिल फिल्म ‘कुरुथिपुनल’ के रूप में रूपांतरित किया, जो बाद में 68वें अकादमी अवॉर्ड्स में भारत की आधिकारिक प्रविष्टि बनी.1997 में गोविंद निहलानी ने प्रसिद्ध बंगाली लेखिका महाश्वेता देवी के चर्चित उपन्यास ‘हज़ार चौरासी की मां’ को इसी नाम की फिल्म में रूपांतरित किया.
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राष्ट्रीय और फिल्मफेयर सम्मान
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गोविंद निहलानी को उनके योगदान के लिए अब तक
6 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
5 फिल्मफेयर अवॉर्ड
से नवाजा जा चुका है. ये सम्मान न सिर्फ उनकी कला की गुणवत्ता को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी साबित करते हैं कि गंभीर सिनेमा भी इतिहास रच सकता है.
फिल्म्स
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FAQ
Q1. गोविंद निहलानी कौन हैं?
Ans: गोविंद निहलानी भारतीय फिल्म निर्देशक, सिनेमैटोग्राफर, पटकथा लेखक और निर्माता हैं, जो खासतौर पर हिंदी सिनेमा के समानांतर (पैरलल) सिनेमा आंदोलन के लिए जाने जाते हैं.
Q2. गोविंद निहलानी का जन्म कब और कहां हुआ था?
Ans: उनका जन्म 19 दिसंबर 1940 को कराची (तत्कालीन सिंध प्रांत, अब पाकिस्तान) में हुआ था.
Q3. भारत में उनका परिवार कब आया?
Ans: 1947 के भारत-पाक विभाजन के दौरान उनका परिवार भारत आ गया था.
Q4. गोविंद निहलानी ने फिल्म की पढ़ाई कहां से की?
Ans: उन्होंने 1962 में बेंगलुरु के श्री जया चामराजेंद्र पॉलिटेक्निक (वर्तमान गवर्नमेंट फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट) से सिनेमैटोग्राफी में स्नातक किया.
Q5. गोविंद निहलानी ने अपने करियर की शुरुआत कैसे की?
Ans: उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रसिद्ध सिनेमैटोग्राफर वी. के. मूर्ति के सहायक के रूप में की थी.
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