Madhuri Dixit: बमनपुरी गांव की माधुरी जो बन गई माधुरी दीक्षित मैंने पहली बार माधुरी को तब देखा था जब वह एक छोटी बच्ची थी जो स्थानीय गणपति उत्सवों में नृत्य कर रही थीं। उन्होंने लड़कियों के डिवाइन चाइल्ड हाई स्कूल से अध्ययन किया जहा उन्हें सर्वश्रेष्ठ छात्रों में से एक माना गया, By Mayapuri Desk 15 May 2024 | एडिट 15 May 2024 11:11 IST in ताजा खबर New Update Madhuri Dixit Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Follow Us शेयर ताजा खबर: मैंने पहली बार माधुरी को तब देखा था जब वह एक छोटी बच्ची थी जो स्थानीय गणपति उत्सवों में नृत्य कर रही थीं। उन्होंने लड़कियों के डिवाइन चाइल्ड हाई स्कूल से अध्ययन किया जहा उन्हें सर्वश्रेष्ठ छात्रों में से एक माना गया, जिन्होंने अपनी पढ़ाई, खेल और मनोरंजन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था। उन्होंने कथक का भी कोर्स किया था और महाराष्ट्र सरकार से नृत्य में एक प्रमुख पुरस्कार भी जीता था। वह सभी ननों और टीचर्स और यहां तक कि स्टाफ की भी फेवरेट थी, जो स्कूल के बच्चों और केयरटेकर की जरूरतों की भी देखभाल करती थी। - उनका परिवार एक कमरे के एक फ्लैट में कृष्ण निवास नामक एक जगह पर रहता था, जिसे मूल रूप से बमनपुरी कहा जाता था और इसे बाद में जे. बी. नगर में बदल दिया गया क्योंकि मारवाड़ी कम्युनिटी ने गांव की जिम्मेदारी संभाली थी और कई बंगले और सिंगल और डबल मंजिलों वाली इमारतें बनाई थीं जो केवल मारवाड़ी लोगों के लिए थीं जो डिसिप्लिन के बारे में बहुत दृढ़ थे और अगर मुझे जे. बी. नगर के बारे में एक बात याद है, तो यह हर बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर एक बोर्ड लगा होता था जिसपर लिखा था कि, “फिल्म लोगों के लिए कोई फ्लैट नहीं हैं” लेकिन माधुरी के पिता, शंकर दीक्षित, जो एक इंजीनियर थे, इस जगह पर एक फ्लैट लेने में कामयाब रहे। शंकर, उनकी पत्नी स्नेहलता, जो एक शास्त्रीय नृत्यांगना और एक गायिका थीं, और उनके चार बच्चे भारती, अजीत, रूपा और माधुरी थे, जिनमे माधुरी सबसे छोटी थीं। भारती और अजीत ने डॉक्टर बनने कि पढाई की और अमेरिका चले गए जहां उन्होंने कई साल बिताए, रूपा एक लीडिंग पेंटर और इंटीरियर डिजाइनर थीं, माधुरी पारले कॉलेज (जिसे अब सताये कॉलेज कहा जाता है) में माइक्रोबायोलॉजी में बीएससी की पढ़ाई कर रही थीं। यह उस समय में था कि शंकर की अपने भाइयों के साथ’ कुछ गलतफहमियां होने के कारण वह एक सीरीयस फाइनेंसियल प्रोव्ब्लेम में पड़ गए थे। वह इस समस्या से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ रहे थे जो उन्हें मिल गया था लेकिन इसके परिणामस्वरूप उन्होंने अपने परिवार को भी परेशानी में डाल दिया था। जे. बी. नगर में गोविंद मूनिस रहते थे जिन्होंने राजश्री प्रोडक्शंस के लिए फिल्में लिखी थीं। उन्होंने एक बार श्री और श्रीमती दीक्षित से पूछा था कि क्या वे माधुरी को हिंदी फिल्मों में भेजने के इच्छा हैं। दीक्षितों ने शायद ही कभी हिंदी फिल्में देखी हों, लेकिन जिस तरह से मूनिस ने उनसे माधुरी के बारे में बात की थी, उससे लगता है कि उन्होंने माधुरी के लिए राजश्री द्वारा बनाई गई फिल्म के बारे में जरुर सोचा होगा, जिसके बारे में मूनिस ने बताया था कि वह एक फिल्म बनाने वाली कंपनी थी, जो हर तरह से बहुत अलग थी। और इसी तरह से माधुरी ने पश्चिम बंगाल के एक अभिनेता तापस पाल के साथ अपनी पहली फिल्म ‘अबोध’ की। फिल्म को हालांकि जनता या आलोचकों द्वारा भी सराहा नहीं गया। माधुरी हालांकि एक बहन के रूप में भी भूमिकाएं पाने में भाग्यशाली रही। एकमात्र साहसी फिल्म उन्होंने शेखर सुमन के साथ “मानव ह्त्या” की थी। फिल्म में माधुरी के साथ एक बलात्कार का दृश्य था जो फिल्म का मुख्य आकर्षण था। हालांकि, नियति ने माधुरी के लिए अन्य योजनाएँ बनाई हुई थीं और यह राकेश श्रेष्ठा नामक एक ग्लैमर फोटोग्राफर थे, जिसने माधुरी की कुछ ग्लैमरस तस्वीरें लीं और उन्हें सुभाष घई को दिखाया, जो न केवल उनकी तस्वीरों से मोहित हुए थे, बल्कि उन्होंने उन्हें अपने प्रोडक्शन हाउस के लिए साइन भी कर लिया था। और उनकी खूबसूरती को प्रदर्शित करने के लिए जैसे उनके पैर में पायल, उनके हाथ और उंगलियाँ में सबसे खुबसूरत विदेशी आभूषणों और उनका चेहरा एक सपने जैसा लग रहा हो, आदि के लिए उनके उपर ‘स्क्रीन’ में आठ पेज लगाए गए थे। और उन विज्ञापनों से माधुरी को हिंदी फिल्मों की दुनिया में एक शानदार एंटरी मिली थी। एक हीरो के रूप में अनिल कपूर के साथ उन्हें फिल्म ‘तेजाब’ के लिए एन.चंद्र द्वारा साइन किए जाने तक उन्होंने कुछ अच्छी फिल्में भी की थीं। वह सुभाष घई की फिल्म ‘राम लखन’ (उस समय की सबसे बड़ी फिल्म) के लिए भी शूटिंग कर रही थीं। उनके पिता शंकर मेरे बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे और मुझे अब भी नहीं पता कि वह मुझे हमेशा यह क्यों कहते थे कि मैंने महात्मा गांधी की तरह लिखता हूँ। हम तब बीच पर बैठे थे जब माधुरी शूटिंग कर रही थी। वह अक्सर मेरे साथ माधुरी के बारे में अपनी सभी राय साझा करते थे। जब हम एक बार बात कर रहे थे, तो उन्होंने कहा था, “तेजाब के बाद अली, माधुरी एक बड़ी स्टार होंगी। और ‘एक दो तीन’ में उसका डांस उसे काफी बेहतर बना देगा।” मैंने प्रार्थना की कि मेरे दोस्त शंकर की अपनी बेटी ‘माधुरी’ के लिए जो भविष्यवाणी की है वह सही हो। कुछ महीनों के अंदर, ‘तेजाब’ रिलीज हो गई और माधुरी के गाने और डांस नंबर, ‘एक दो तीन’ का क्रेज हर तरफ फैल गया था, ‘तेजाब’ सुपरहिट थी, और अनिल कपूर एक स्टार थे, एन. चंद्र को भी एक सबसे सफल निर्देशकों में से एक के रूप में स्वीकार किया गया था। और माधुरी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की रानी बन गई थी, जब तक उन्होंने शादी करने का फैसला नहीं किया तब तक उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा था और डॉ. श्रीराम नेने से शादी करने और उनके साथ अमेरिका के डेनवर में शिफ्ट होने की घोषणा करने के लिए पहली बार एक बड़ी पार्टी का आयोजन किया, जहा फिल्म जगत की कई बड़ी हस्तियाँ मौजूद थी। मैं अब उनकी काम बेक फिल्मों के बारे में बात नहीं करूंगा जो उनकी पहले कि फिल्मों पर कोई धबा नहीं हैं क्योंकि मैं उनकी डांसिंग क्वीन कि इमेज अपने दिल में हर फीलिंग के साथ जिंदा रखना चाहता हूँ। उस माधुरी और आज कि माधुरी में इतना सारा फर्क हैं, लेकिन उसकी हँसी में वही जान है जो किसी की भी जान ले सकती हैं। माधुरी का सबसे खूबसूरत दृश्य माधुरी के नॉन-स्टॉप शूटिंग शेड्यूल से ब्रेक के बाद यह एक लंबा समय था। वह देर से उठी थी और अपनी माँ द्वारा बनाई गई चाय पी रही थी (एकमात्र ऐसी चाय जो उन्हें पसंद है)। और इस बिच माँ और बेटी दोनों एक खिड़की के पास बैठी हुई हैं जिसके सामने देव आनंद का बंगला हैं। वह अपने बेदाग सफेद रंग के पजामे और टॉप में हैं। और उनके चेहरे पर किसी भी प्रकार का कोई मेकअप नहीं है और वह एक खुबसूरत सपने की तरह दिख रही है। वह अपनी माँ की गोद में सर रखे लेटी हुई है और माँ और बेटी दोनों के चेहरे पर एक दिव्य मुस्कान है। माँ नारियल के तेल की एक बोतल लाती है और अपनी खूबसूरत बेटी के लम्बे बालो पर तेल से चम्पी करना शुरू कर देती है। और बेटी को देख कर ऐसा लगता है जैसे मानो वह स्वर्ग की गोद में लेटी हो। और वह एक छोटी बच्ची की तरह अपनी मां से बात करती है और मराठी में कहती है, “आई मामाच्या घरी कधी जाऊया। आज जाऊया न गा” (माँ, हम अंकल के घर कब जाएंगे, चलो आज चलते है ना) शंकर राव और मैं इस अद्भुत दृश्य को देखते रहते हैं और मैं विश करता हूँ की मैं शंकर राव जैसा भाग्यशाली होता और इस दृश्य को बार-बार देखता। Madhuri Dixit Read More: बिश्नोई गैंग ने की सलमान से माफी मांगने की मांग, कहा-'मंदिर में आकर..' 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