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फिल्म रिव्यू- धड़क 2
स्टार कास्ट- तृप्ति डिमरी, सिद्धांत चतुवेर्दी, जाकिर हुसैन, सौरभ सचदेवा
निदेशक- शाजिया इकबाल
समय- 146 मिनट
रेटिंग- 2.5 स्टार
Dhadak 2 Movie Review: बॉलीवुड एक्टर सिद्धांत चतुर्वेदी (Siddhant Chaturvedi) और तृप्ति डिमरी (Triptii Dimri) की फिल्म 'धड़क 2' (Dhadak 2) आज, 1 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी हैं. एक गहन प्रेम कहानी के साथ-साथ धड़क 2 जातिवाद जैसे गंभीर मुद्दे को भी दर्शाती है. सिद्धांत चतुर्वेदी और तृप्ति डिमरी की फिल्म धड़क का सीक्वल है जोकि साल 2018 में रिलीज हुई थी.फिल्म को दर्शकों की ओर से ठीक- ठाक रिस्पॉस भी मिल रहा हैं. ऐसे में अगर आप इस फिल्म को देखने का प्लान बना रहे हैं तो आज हम आपको बताएंगे कि यह फिल्म कैसी है. आइए जानते हैं इस फिल्म का रिव्यू.
कहानी
कहानी भीम नगर के एक दलित लॉ छात्र नीलेश (सिद्धांत चतुर्वेदी) और वकीलों के एक प्रभावशाली परिवार की ब्राह्मण लड़की विधि (तृप्ति डिमरी) पर केंद्रित है. उनकी राहें पहली बार तब मिलती हैं जब सिद्धांत का किरदार एक शादी में ढोल बजाने वाले की भूमिका निभा रहा होता है और फिर एक लॉ कॉलेज में, जहाँ यह आगे चलकर एक कोमल प्रेम में बदल जाता है जो साझा व्याख्यानों और बहसों के बीच पनपता है. हालाँकि, उनकी प्रेम कहानी एक दुखद मोड़ लेती है जब विधि नीलेश को अपनी बहन की शादी में आमंत्रित करती है, जहाँ उसे अपने परिवार द्वारा उनके रिश्ते को बेरहमी से अस्वीकार करते हुए देखना पड़ता है, जो आधुनिक समाज और मानदंडों के मुखौटे में रहने के बावजूद समाज में व्याप्त गहरे जातिगत पूर्वाग्रहों को उजागर करता है.
एक्टिंग
नीलेश के रूप में सिद्धांत चतुर्वेदी ने शानदार अभिनय किया है. उनकी आंखें और सामान्य व्यवहार स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि वे नीलेश को जी रहे हैं. जिन दृश्यों में उन्हें बेरहमी से पीटा जाता है या वे चुपचाप टूट जाते हैं, उनका दर्द फिल्म का भावनात्मक केंद्र बन जाता है. फिल्म में सिद्धांत चतुर्वेदी के अभिनय में एक व्यक्तिगत जुनून देखते हैं. तृप्ति डिमरी सिद्धांत का बखूबी साथ देती हैं. उन्होंने प्यार और सामाजिक अपेक्षाओं के बंधनों के बीच फंसी एक महिला का किरदार बखूबी निभाया है. नीलेश के पिता के रूप में विपिन शर्मा बेहतरीन हैं. नीलेश की माँ के रूप में अनुभा फतेहपुरा भी कमाल करती हैं. सौरभ सचदेवा एक बार फिर कट्टर शंकर के रूप में अपनी क्षमता दिखाते हैं. आदित्य ठाकरे और प्रियांक तिवारी ने सहायक की भूमिका में खरे उतरे हैं.
डायरेक्शन
शाजिया इकबाल ने 'धड़क 2' में एक अहम सामाजिक मुद्दे को ईमानदारी से पेश करने की कोशिश की है. हालांकि, फिल्म थोड़ी धीमी शुरुआत करती है. किरदारों की पृष्ठभूमि समझाने में बहुत ज़्यादा समय लेने से कहानी का प्रभाव थोड़ा कम हो जाता है. कॉलेज में नीलेश के पिता के अपमान जैसे कुछ भावुक दृश्य ज़रूरी होते हुए भी दर्शकों को अंदर से झकझोर नहीं पाते. फ़िल्म का संगीत कहानी से मेल खाता है.जुबिन नौटियाल और श्रेया घोषाल का "बस एक धड़कन" जैसे गाने एक हल्का सा दर्द जगाते हैं, जबकि अरिजीत सिंह का "दुनिया अलग" उनकी ख़ास आत्मीयता को दर्शाता है. साउंडट्रैक ध्यान आकर्षित करने के लिए चीखता नहीं, बल्कि आपके दिलों में चुपचाप बस जाता है.
निष्कर्ष
'धड़क 2' एक सम्मोहक, भावनात्मक रूप से समृद्ध फिल्म है जो एक प्रेम कहानी के स्वरूप को यथार्थवाद और गहराई के साथ उभारती है. दमदार अभिनय और एक महत्वपूर्ण संदेश के साथ, यह बॉलीवुड रोमांस की दिशा में एक कदम आगे है. हालाँकि यह हर पहलू में श्रेष्ठ नहीं है, लेकिन एक संवाद शुरू करने और एक सामाजिक संदेश देने में सफल होती है जो आज भी प्रासंगिक है.
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