Review: महा विद्यालयों में राजनीति के गंदे खेल बताती फिल्म "JNU" गोधरा वाले पीएम बनने का सपना देख रहे हैं...' जैसे विवादित संवादों से भरी फिल्म JNU (जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी) लगातार मीडिया सुर्ख़ियों में रही हैं। अब इस शुक्रवार को यह रिलीज हो गयी है, आइये जानते हैं क्या तानाबाना है इस फिल्म का-... By Sharad Rai 22 Jun 2024 in रिव्यूज New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Follow Us शेयर गोधरा वाले पीएम बनने का सपना देख रहे हैं...' जैसे विवादित संवादों से भरी फिल्म JNU (जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी) लगातार मीडिया सुर्ख़ियों में रही हैं। अब इस शुक्रवार को यह रिलीज हो गयी है, आइये जानते हैं क्या तानाबाना है इस फिल्म का- फिल्म "जहाँगीर नेशनल यूनिवर्सिटी" एक पॉलिटिकल ड्रामा है।फ़िल्म की पृष्ठभूमि में कुछ साल पहले दिल्ली की एक यूनिवर्सिटी में हुई कुछ विवादास्पद घटनाएं भी हैं जिनको मीडिया में बहुत सुर्खियां मिली थी। कहानी छोटे शहर के रहने वाले सौरभ शर्मा (सिद्धार्थ बोडके) की है जो इस विश्वविद्यालय का छात्र है। वहाँ वह वामपंथी छात्रों की गतिविधियों से बेचैन हो जाता है जो राष्ट्र-विरोधी हैं और उनके खिलाफ आवाज उठाता है। सौरभ को अखिलेश पाठक उर्फ बाबा (कुंज आनंद) का सहयोग मिलता है जो यूनिवर्सिटी में वामपंथी वर्चस्व का विरोध करने में उसका मार्गदर्शन करते हैं। इस रास्ते पर सौरभ को ऋचा शर्मा (उर्वशी रौतेला) एक सहायक रूप में मिलती है। वामपंथी गिरोह को सौरभ ने कड़ी चुनौती दी, जिससे वे बेचैन हो गए क्योंकि सौरभ ने यूनिवर्सिटी में एक इतिहास रचते हुए चल रहे चुनावों में से एक जीतकर जेएनयू की राजनीति में प्रवेश किया। काउंसलर के पद पर रहते हुए, वह वामपंथियों के राष्ट्र-विरोधी एजेंडे का विरोध करता है और यूनिवर्सिटी के छात्रों के पक्ष में काम का समर्थन करता है; जिससे उसे छात्रों के बीच लोकप्रियता हासिल होती है। बाबा के सपोर्ट से सौरभ उनके सभी राष्ट्र-विरोधी प्रदर्शनों और संस्थान में हो रही सभी गलत गतिविधि का विरोध करता रहता है। सौरभ विश्वविद्यालय के जॉइंट सेक्रेटरी के पद पर हावी वामपंथी पार्टी के खिलाफ चुनाव जीतता है। जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष के रूप में आरुषि घोष हैं। फीस बढ़ाने के फैसले की घोषणा सरकार द्वारा की गई थी, वामपंथी छात्रों द्वारा जबरदस्त विरोध किया गया। फीस में बढ़ोतरी का समर्थन करने वाले छात्रों को बुरी तरह से पीटा गया, जिसमें एबीवीपी के छात्र भी शामिल थे। बाद में, यूनिवर्सिटी में एक रात एबीवीपी के छात्र एकजुट हुए और वामपंथ के खिलाफ कार्रवाई की। फिल्म के कलाकार हैं उर्वशी रौतेला, रवि किशन, सिद्धार्थ बोडके, पीयूष मिश्रा, विजय राज, रश्मि देसाई आदि। जहां तक अभिनय की बात करें तो किसना कुमार के रोल में अतुल पांडेय और सौरभ शर्मा के चरित्र में सिद्धार्थ बोकडे ने गज़ब की अदाकारी की है। बाबा के रोल को कुंज आनंद ने बखूबी निभाया है। दरअसल यह फ़िल्म ढेर सारे किरदारों से भरी है और सभी एक्टर्स ने अपने हिस्से का काम शानदार ढंग से निभाया है। गुरु जी के रूप में पीयूष मिश्रा ने गहरा असर छोड़ा है। रवि किशन और विजय राज की जोड़ी ने हास्य का रंग भरा है। सायरा के रोल को शिवज्योति राजपूत, नायरा के रोल को जेनिफर और युवेदिता मेनन की भूमिका रश्मि देसाई ने निभाई है। सोनाली सहगल की मात्र झलकियां नज़र आई हैं। फ़िल्म का निर्देशन विनय शर्मा ने बेहतर किया है फ़िल्म का बैकग्राउंड म्युज़िक और डायलॉग इसके हाइलाइट्स हैं। कई संवाद प्रभाव छोड़ते हैं जैसे- गुरु जी पीयूष मिश्रा का संवाद कि लोग कहते हैं कि नेता अच्छा नहीं है और जब खुद राजनीति के मैदान में उतरने की बात होती है तो.." या "जेल जाना क्रांतिकारी की निशानी होता है।" जैसे संवाद छू जाते हैं। दरअसल यह फ़िल्म गंदी राजनीति के खेल में मोहरे की तरह इस्तेमाल होने वाले छात्रो की है। Read More: कार्तिक आर्यन की फिल्म चंदू चैंपियन को लेकर करण जौहर ने दिया रिएक्शन पश्मीना रोशन स्टारर इश्क विश्क रिबाउंड ने पहले दिन किया इतना कलेक्शन! Bigg Boss OTT 3 कटेस्टेंट शिवानी ने चाकू मारे जाने की घटना को किया याद थप्पड़ कांड पर कंगना रनौत ने अन्नू कपूर के कमेंट पर दिया रिएक्शन हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article