रिव्यूज मूवी रिव्यू: एक प्रयोगवादी असरदार फिल्म 'पीहू' रेटिंग**** कई फिल्म फेस्टिवल्स में सराही जा चुकी निर्देशक विनोद कापड़ी की फिल्म ‘ पीहू’ एक दो साल की बच्ची के इर्द गिर्द बुनी गई एक रोमांचक कहानी पर बनी शानदार फिल्म है । फिल्म की इकलौती किरदार पीहू यानि मायरा विश्वकर्मा महज दो साल की है । एक रात पहले उस By Shyam Sharma 16 Nov 2018 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn
रिव्यूज मूवी रिव्यू: उल्टा सीधा हास्य 'होटल मिलन' रेटिंग 0 लेखक निर्देशक विशाल मिश्रा की फिल्म ‘होटल मिलन’ एक ऐसे उल्टे सीधे हास्य पर आधारित है, जिसे देखते हुये कुछ सोचने समझने की जरूरत नहीं। कुणाल राय कपूर एक ऐसे पंडित का बेरोजगार बेटा है जिसे बाप अपने जैसा पंडित बनाना चाहता है लेकिन कुणाल को पंडताई म By Shyam Sharma 16 Nov 2018 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn
रिव्यूज मूवी रिव्यू: अलग दिखाई देते सनी 'मौहल्ला अस्सी' रेटिंग** छह साल बाद पर्दे का मुंह देख पाने में निर्देशक चन्द्रप्रकाश द्विवेदी की फिल्म ‘ मौहल्ला अस्सी’ आखिर सफल हो ही गई। साहित्यकार काशीनाथ के अपन्यास पर आधारित काशी का अस्सी ये फिल्म समय की मार से थोड़ी जर्जर तो हुई लेकिन अपनी बात कहने में सफल है। फिल By Shyam Sharma 16 Nov 2018 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn
रिव्यूज मूवी रिव्यू: अति साधारण 'राष्ट्रपुत्र' रेटिंग* चन्दशेखर आजाद सही मायने में क्रांतिकारियों में आजादी की अलख जलाने वाले थे लेकिन इतिहासकारों ने उन्हें नजरअंदाज किया। देश आजाद तो हो गया लेकिन आज जिस प्रकार देश भ्रष्टाचारियों और बईमानों के हाथों में गुलाम बना हुआ है। कुछ लोग जवान पीढ़ी को ड्रग के By Mayapuri Desk 09 Nov 2018 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn
रिव्यूज मूवी रिव्यू: रिकॉर्ड बनाने वाली, कमजोर फिल्म 'ठग्स ऑफ हिंदोस्तान' रेटिंग** अमिताभ बच्चन और आमिर खान एक साथ किसी फिल्म में। दर्शकों का दोनों को एक साथ देखने का उत्साह चर्म पर। लेकिन फिल्म देखने के बाद हर दर्शक सिर खुजाता या उगंलिया मरोड़ता बाहर निकलता हुआ अपने आपको ठगा महसूस करता है। बात हो रही हैं यशराज बैनर और निर्देशक By Shyam Sharma 09 Nov 2018 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn
रिव्यूज मूवी रिव्यू: औसत दर्जे का हास्य 'जैक एंड दिल' रेटिंग** एक फिल्म बनाने में कितने दिन कितने लोग और कितना पैसा लगता है, फिर भी लोग बाग न जाने क्यों ऐसी फिल्में बनाते रहते हैं जिनका कोई सिर पैर नहीं होता। निर्देशक सचिन पी कर्नाड की कॉमेडी फिल्म ‘जैक एंड दिल’ एक ऐसी ही फिल्म है जिस पर ये बातें फिट बैठती By Shyam Sharma 02 Nov 2018 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn
रिव्यूज मूवी रिव्यू: हल्का फुल्का हास्य 'इक्कीस तारीख शुभ मुहूर्त' रेटिंग** आज भी मिडिल क्लास परिवारों की समस्या लड़की की शादी में दहेज को लेकर है । निर्देशक पवन के चौहान ने ये समस्या अपनी फिल्म ‘इक्कीस तारीख शुभ मुहूर्त’ में हल्के फुल्के हास्य के तहत दर्शाई है। नार्थ में मध्यम श्रेणी के परिवारों में देखा सकता है कि शाद By Shyam Sharma 02 Nov 2018 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn
रिव्यूज मूवी रिव्यू: कुछ भी कहने में असमर्थ 'गांव द विलेज नो मोर' रेटिंग** आज गांव शहरों में तब्दील हो रहे हैं जो गांव को शहर बनाने पर तुले हुये हैं। इस थॅाट को लेकर निर्देशक गौतम सिंह ने फिल्म‘ गांव ‘द विलेज नो मोर’ बनाई। फिल्म में कल्पना की है कि किस प्रकार किसी गांव में जब शहर घुसने लगता है तो वहां क्या परिवर्तन होत By Shyam Sharma 26 Oct 2018 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn
रिव्यूज मूवी रिव्यू: बेटियों की समस्याओं से अवगत करवाती 'द जर्नी ऑफ कर्मा' रेटिंग*** लड़कियों को लेकर हमारे देश में कुछ समस्याएं हमेशा बनी रहती हैं, जैसे भ्रूण हत्या, लड़कियों की पढ़ाई आदि। हालांकि कुछ वर्षों के दौरान इन समस्याओं में काफी सुधार आया है बावजूद इसके आज भी सरकार तथा ढेर सारे एनजीओ इन्हें लेकर लोगों को जाग्रत करते रहते By Shyam Sharma 26 Oct 2018 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn