अब की बार चुनाव मैदानों से ज्यादा सोशल मीडिया और फिल्मों के ज़रिये लड़ा जाएगा क्या?
संपादकीय चुनाव इतने जटिल नहीं थे और निश्चित रूप से उतने खतरनाक नहीं थे जितना कि लगता है जब से सोशल मीडिया आया है। उसी सोशल मीडिया ने आम चुनावों के दौरान हाथ बढ़ाया जब सोशल मीडिया के साथ भाजपा ने नरेंद्र मोदी को अपने नेता के रूप में चुनावी मैदान में उतारा