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दशहरा एक ऐसा त्यौहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जिसे भारत में सैकड़ों वर्षों से मनाया जाता रहा है. यह रावण पर भगवान राम की जीत के अवसर पर मनाया जाता है. इस दिन, लोग रावण के पुतले बनाते हैं, उन्हें जलाते हैं और बड़े उत्साह और भक्ति के साथ यह त्यौहार मनाते हैं. इस त्यौहार और इसके उत्साह के बारे में बात करते हुए जागृति-एक नई सुबह के आर्य बब्बर, कुमकुम भाग्य की राची शर्मा, वसुधा की प्रिया ठाकुर, कुंडली भाग्य की शालिनी महल, भाग्य लक्ष्मी की ऐश्वर्या खरे और कैसे मुझे तुम मिल गए के अर्जित तनेजा जैसे ज़ी टीवी के कलाकारों ने बताया कि दशहरा का त्यौहार उनकी जिंदगी में क्या मायने रखता है.
ज़ी टीवी के जागृति-एक नई सुबह में कालीकांत ठाकुर का रोल निभा रहे आर्य बब्बर ने कहा,
"इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि दुनिया में बुराई है, लेकिन मेरा मानना है कि हर अंधेरे के बाद रोशनी जरूर होती है. उम्मीद है कि न्याय की जीत होगी और सभी बुराइयां खत्म होंगी और अच्छाई फलेगी-फूलेगी. रावण पर भगवान राम की जीत हमें अपने भीतर की बुराइयों पर विजय पाने और अपने जीवन में सही बात के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है. यह खुद को नए स्वरुप में ढालने, मन में विचार करने और यह विश्वास रखने का समय है कि अंत में साहस और सदाचार की जीत होगी. इस मौके पर मैं घर पर बनने वाले स्वादिष्ट पकवानों का भी मजा लेता हूं, जैसे जलेबी, खीर, बेसन के लड्डू, रबड़ी, हलवा, पूरी और चना. चूंकि यह नवरात्रि के बाद का दिन है, इसलिए यह हमेशा खास होता है, जब मैं अपने परिवार के साथ सुकून भरा वक्त बिताता हूं."
ज़ी टीवी के कुमकुम भाग्य में पूर्वी का रोल निभा रहीं राची शर्मा ने कहा,
"दशहरा मेरे दिल में एक खास जगह रखता है क्योंकि इस त्यौहार से मेरी बहुत सारी यादें जुड़ी हुई हैं. मुझे याद है कि जब मैं छोटी थी, तब मैं अपनी फैमिली के साथ नवरात्रि के पूरे 9 दिन इंदौर में रामलीला देखने के लिए पास के पंडालों में जाती थी और 10वें दिन यानी दशहरा (जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है) पर, हम रावण, उसके भाई कुंभकर्ण और उसके बेटे मेघनाथ का पुतला जलते हुए देखने के लिए खुले मैदान में जाते थे. मेरा मानना है कि यह त्यौहार लोगों को एक साथ लाता है, और एकता, नेकी, साहस और नैतिक अखंडता के मूल्यों को बढ़ावा देता है. सभी को दशहरा की शुभकामनाएं!"
ज़ी टीवी के वसुधा में वसुधा का रोल निभा रहीं प्रिया ठाकुर ने कहा,
"मेरे शहर हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश में, दशहरा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और यह हमेशा मेरे लिए सबसे प्रतीक्षित त्यौहारों में से एक रहा है. वहां होने वाली रामलीला और रावण दहन से सारा माहौल उत्साह से भर जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. मेरे लिए, दशहरा हमारे भीतर की कश्मकश और नकारात्मकता पर विजय पाने का समय है. यह सिर्फ एक त्यौहार नहीं है - यह हमें अपने हर काम में अच्छाई, सच्चाई और ईमानदारी अपनाने की याद दिलाता है. मैं इस साल इसे अपने परिवार के साथ मनाने और इस त्यौहार के मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हूं. आप सभी को दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं!"
ज़ी टीवी के कुंडली भाग्य में शनाया का रोल निभा रहीं शालिनी महल ने कहा,
"दशहरा हमेशा से एक ऐसा त्यौहार रहा है जो एक प्रभावशाली संदेश देता है - चाहे हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, सच्चाई और नेकी हमेशा जीतेगी. मैं अपने परिवार के साथ रामलीला देखने और बुराई की हार के प्रतीक रावण को जलते हुए देखने की यादों को संजोकर रखती हूं. यह उन मूल्यों के बारे में सोचने का वक्त है जिनके अनुसार हम जीते हैं. नकारात्मकता को त्यागें और सकारात्मक बदलावों को अपनाएं. जहां हम दशहरा मना रहे हैं, वहीं मुझे लगता कि यह सभी के जीवन में रोशनी, खुशी और शक्ति लाएगा. आप सभी को एक शानदार दशहरा की शुभकामनाएं!"
ज़ी टीवी के भाग्य लक्ष्मी में लक्ष्मी के रोल में नजर आ रहीं ऐश्वर्या खरे ने कहा,
"दशहरा के शुभ अवसर पर, हमें अपने जीवन में इस त्यौहार के महत्व की याद दिलाई जाती है. यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जो हमें हर मुश्किल में सही बात के लिए मजबूती से खड़े रहने के लिए प्रेरित करता है. मुझे याद है जब मैं भोपाल में थी, तब मेरे पिता हम सभी को राम लीला और रावण दहन देखने ले जाते थे, और इसके बाद हम अपने पूरे परिवार के साथ डिनर करते थे. मैं, मेरी बहनें और कजिन्स घूमने-फिरने, स्थानीय व्यंजनों का लुत्फ उठाने और एक-दूसरे के साथ समय बिताने के लिए बहुत उत्साहित रहते थे. ये सभी त्यौहार बहुत सारी अच्छी यादें वापस लाते हैं और मुझे अपने घर और माता-पिता की याद दिलाते हैं. जो इस त्यौहार को अपनों के साथ मनाने वाले हैं, उन्हें खुशहाल, समृद्ध और आनंदमय दशहरा की शुभकामनाएं."
ज़ी टीवी के शो कैसे मुझे तुम मिल गए में विराट का रोल निभा रहे अर्जित तनेजा ने कहा,
"दशहरा हमेशा मुझे दिल्ली में बिताए अपने बचपन के दिनों की याद दिलाता है, जब मैं अपने परिवार के साथ भव्य रामलीला देखने जाता था जहां रोशनी और जयकारों के बीच रावण का पुतला जलता था. इस साल, दशहरा पर मैं अपने दोस्तों के साथ डिनर पर जाऊंगा. हालांकि मेरे बचपन से अब तक, वक्त काफी बदल गया है, लेकिन बुराई पर अच्छाई की जीत का सार वही है. यह हमेशा चिंतन, जश्न मनाने और आभार जताने का पल होता है."
By Shilpa Patil
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