ज़रा सोचिए, अभी-अभी पैदा हुआ मासूम बच्चा, जिसे इस दुनिया में आए बस एक दिन ही हुआ हो, लेकिन उसकी पहली किलकारी से पहले ही उसकी नन्हीं उंगलियों पर स्याही लगाकर उसके फिंगरप्रिंट्स पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज कर लिए जाएं और उस पर अपराधी का ठप्पा लगा दिया जाए. हैरानी की बात है ना? लेकिन यह चित्ता समुदाय की कड़वी सच्चाई है, जिसके हर बच्चे की ज़िंदगी शुरू होने से पहले ही उसका भविष्य तय कर दिया जाता है.
अपने दर्शकों की प्रतिक्रिया जानने के लिए शुरू किए गए अनोखे अभियान 'हमारा परिवार' के जरिए मिली दर्शकों की राय से प्रेरणा लेते हुए ज़ी टीवी अब कहानी कहने के पारंपरिक ढांचे को तोड़ते हुए दर्शकों को एक ऐसी दुनिया में ले जाने को तैयार है, जिसे टेलीविजन पर बमुश्किल ही दिखाया जाता है. इसमें कमजोर और बेसहारा लोगों पर अत्याचार करने की बरसों से चली आ रही प्रथा पर रोशनी डाली गई है. झारखंड के जामतारा जिले के एक काल्पनिक गांव मोक्षगढ़ में रची-बसी कहानी जागृति - एक नई सुबह, व्यवस्था की जड़ों में समाया अन्याय दिखाती है, जिसने चित्ता समुदाय के लोगों को दरकिनार करके उन्हें हमेशा के लिए गुमनामी के अंधेरे में धकेल दिया है. यहां बच्चों के पैदा होते ही उन पर अपराधियों का ठप्पा लगा दिया जाता है, उन्हें शिक्षा से दूर रखा जाता है और शिकार जैसे पेशे तक सीमित कर दिया जाता है. और इस इलाके में अपनी हुकूमत चलाने वाले दबंग ज़मींदार उनका शोषण करते हैं.
गुरुदेव भल्ला प्रोडक्शंस के निर्माण में बना 'जागृति - एक नई सुबह', 7 साल की बच्ची जागृति का हिम्मत से भरा सफर दिखाता है. चित्ता समुदाय में पैदा होने के बावजूद वो आंख बंद करके खुद पर थोपे गए गुमनाम भविष्य को मानने से इनकार कर देती. बेहद तेज तर्रार और उम्मीदों एवं हौसलों से भरी जागृति अपने लोगों को अपराधी करार देने के नाजायज़ रिवाज पर सवाल उठाती है. अपनी तेज नजरों और जबर्दस्त जोश के साथ वो एक ऐसे भविष्य का सपना देखती है, जो अत्याचार और अन्याय की जंजीरों से आज़ाद हो. उसकी उत्सुकता और इंसाफ की चाहत अक्सर उसे मुश्किल में डाल देती है क्योंकि वो उन नियमों को मानने से इंकार करती है, जिन्हें बहुत पहले उसकी बिरादरी के लोग अपनी किस्मत मान बैठे हैं. अपने मासूम मगर दमदार सवालों के साथ जागृति एक ऐसी चिंगारी भड़काती है, जो उसकी बिरादरी की इज़्ज़त और हक की लड़ाई में बदल जाती है. नई कलाकार अस्मि देव, जागृति के रोल में बेहद असरदार हैं, जिन्हें शो के प्रोमो से ही नोटिस किया जाने लगा है.
इस शो से 8 साल बाद टेलीविजन पर वापसी करने जा रहे पॉपुलर एक्टर आर्य बब्बर इसमें कालीकांत ठाकुर के अभूतपूर्व अवतार में नजर आएंगे. वो गांव का सबसे अमीर और सबसे ताकतवर आदमी है. कालीकांत बेहद ज़ालिम, भ्रष्ट और औरतों से नफरत करने वाला इंसान है, जो अपने अवैध धंधों को बेरोकटोक चलाने के लिए पुलिस और जंगल के अधिकारियों को रिश्वत देता है. जब भी अधिकारी उसका तस्करी का माल पकड़ते हैं, तो चित्ता समुदाय के किसी निर्दाेष आदमी को इसका इल्ज़ाम खुद पर लेना पड़ता है. कालीकांत की दबंगई और बेरहमी से चित्ता समुदाय का शोषण उस अंधेरी और क्रूर दुनिया का चेहरा दिखाती है, जिसे जागृति ने चुनौती देने की ठानी है.
ज़ी टीवी के चीफ चैनल ऑफिसर मंगेश कुलकर्णी ने कहा,
"हमारे अनोखे ऑडियंस फीडबैक मेकैनिज़्म हमारा परिवार के जरिए बेहद करीब से अपने दर्शकों के दिलों की आवाज सुनने के बाद हम अपने आने वाले शो 'जागृति - एक नई सुबह' के जरिए अपने दर्शकों को एक बिल्कुल अलग दुनिया में ले जा रहे हैं, जो टेलीविजन पर बमुश्किल ही दिखाई जाती है. ये कहानी एक नन्हीं बच्ची के नजरिए से व्यवस्था की नाइंसाफी दिखाती है, जो एक ऐसी सताई हुई बिरादरी से है, जिन पर पैदा होते ही अपराधियों का ठप्पा लगा दिया जाता है. उसके मासूम सवाल अपने बुनियादी हक की मांग करते हैं, जो यकीनन दर्शकों के दिलों के तार छेड़ देंगे और वो उसका साथ देंगे. जहां जागृति धीरे-धीरे विरोध की एक असरदार आवाज बनती है, वहीं यह शो दर्शकों को उसकी उम्मीदों, सशक्तिकरण और आज़ादी की तलाश में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता है. एक दिलचस्प कहानी और दमदार परफॉर्मेंस के साथ यह शो ज़ी टीवी के शानदार कार्यक्रमों में एक दिलचस्प नया फ्लेवर जोड़ता है."
प्रोड्यूसर गुरुदेव भल्ला ने कहा,
"मैं 'जागृति - एक नई सुबह' के जरिए एक बार फिर ज़ी टीवी के साथ साझेदारी करके बेहद उत्साहित हूं. ये दिलचस्प कहानी एक ऐसी दुनिया में झांकती है, जहां एक बिरादरी के लोगों को जन्म से ही नाजायज़ तरीके से मुजरिम करार दिया जाता है. शिक्षा से महरूम और कालीकांत ठाकुर के जुल्मों-सितम के सताए चित्ता समुदाय को व्यवस्था के भेदभाव का सामना करना पड़ता है. उनकी इस दुर्दशा को सामने लाने के लिए हमारे पास वाकई कुछ दमदार कलाकार हैं जो बड़ी असरदार परफॉर्मेंस दे रहे हैं. यदि हमारा शो सामाजिक असमानता के इस मुद्दे पर चर्चा छेड़ता है और लंबे समय तक असल जिंदगियों को प्रभावित करता है, तो हम मानेंगे कि वाकई हमारी मेहनत रंग लाई है."
आर्य बब्बर कहते हैं,
"मैं 8 साल बाद जागृति - एक नई सुबह जैसे दिलचस्प शो के साथ टेलीविजन पर वापसी करने को लेकर बेहद उत्साहित हूं. ऐसी टैलेंटेड टीम के साथ काम करना बेहद खुशी की बात है. अपनी बोली और अपने हाव-भाव को परफेक्ट बनाने के लिए मैं पूरी गहराई से अपने रोल में उतर चुका हूं. कालीकांत ठाकुर का किरदार मेरा अब तक का सबसे पेचीदा और दिलचस्प नेगेटिव रोल है. मुझे उस पल का बेसब्री से इंतजार है, जब दर्शक हमारी इस दमदार कहानी का अनुभव करेंगे."
अस्मि देव ने कहा,
"जागृति का रोल निभाना सपना सच होने जैसा है. यह शो बेमिसाल है और ऐसी टैलेंटेड टीम के साथ काम करना वाकई एक इनामी चुनौती है. जागृति मेरी उम्र की लड़की है लेकिन वो उन अधिकारों से महरूम है, जो मुझे मिले हैं. इससे मुझे हमारे समाज में मौजूद अन्याय और भेदभाव को समझने में मदद मिली. इसने मुझे उन मौकों की अहमियत बताई जो हमें शिक्षा से मिलते हैं. मैंने अपने किरदार को निभाने में अपना जी-जान लगा दिया है. मुझे उस वक्त का बेसब्री से इंतजार है जब दर्शक हमारी इस कहानी का जादू देखेंगे."
तो इंसाफ की तलाश में जागृति के इस सफर में आप भी शामिल हो जाइए क्योंकि 'जागृति - एक नई सुबह' शुरू हो रहा है 16 सितंबर से, रोज रात 8ः30 बजे, सिर्फ ज़ी टीवी पर.
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