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28 जुलाई, 2025 को हिंदी सिनेमा की जानी-मानी अभिनेत्री कुमकुम (kumkum) की 5वीं पुण्यतिथि (5th Death Anniversary) मनाई गई. अपने दौर में सौम्यता, प्रतिभा और सुंदरता की मिसाल रहीं कुमकुम का असली नाम ज़ैबुनिस्सा (Zaibunnissa) था. वे न सिर्फ एक अदाकारा थीं, बल्कि एक युग थीं, जिसने भारतीय सिनेमा में अपना अमिट स्थान बनाया.
गुरुदत्त की खोज, जो बन गईं सदाबहार अदाकारा
22 अप्रैल 1934 को बिहार के शेखपुरा में जन्मीं ज़ैबुनिस्सा, जिन्हें दुनिया 'कुमकुम' के नाम से जानती है, हिंदी सिनेमा में गुरु दत्त (Guru Dutt) की खोज मानी जाती हैं. गुरु दत्त को फिल्म आर-पार (1954) के गीत 'कभी आर कभी पार' के लिए एक नई महिला कलाकार की तलाश थी, और यहीं से कुमकुम का सफर शुरू हुआ. इस छोटे से गीत ने उन्हें इंडस्ट्री में पहचान दिलाई और फिर वे 'प्यासा', 'मिस्टर एंड मिसेज 55' जैसी फिल्मों का हिस्सा बनीं.
50 के दशक की चमकती अदाकारा
कुमकुम ने अपने करियर में 115 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया. वे 'मदर इंडिया', 'नया दौर', 'कोहिनूर', 'मिस्टर एक्स इन बॉम्बे', 'सन ऑफ इंडिया', 'उजाला', 'दो आंखें बारह हाथ', 'ललकार', 'राजा और रंक', 'गीत', 'गंगा की लहरें', 'आंखें', 'श्रीमान फंटूश', 'एक सपेरा एक लुटेरा', 'बसंत बहार', 'एक कंवारा, एक कंवारी', 'जलते बदन', 'किंग कॉन्ग' जैसी यादगार फिल्मों का अहम हिस्सा रहीं. वे उस दौर की उन चंद अभिनेत्रियों में थीं, जिन्होंने सशक्त सहायक भूमिकाएं भी पूरी गरिमा और प्रभाव के साथ निभाईं.
भोजपुरी सिनेमा की पहली नायिका
कुमकुम ने न केवल हिंदी सिनेमा बल्कि भोजपुरी सिनेमा में भी ऐतिहासिक भूमिका निभाई. वे पहली भोजपुरी फिल्म 'गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो' (1963) की नायिका थीं, जो आज भी क्लासिक मानी जाती है.
धर्मेंद्र की पहली हीरोइन
1960 में जब धर्मेंद्र ने फिल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' से बॉलीवुड में अपने अभिनय करियर की शुरुआत की, तब उनकी पहली हीरोइन कुमकुम थीं. उस समय तक कुमकुम कई फिल्मों में काम कर चुकी थीं और इंडस्ट्री में एक सम्मानित नाम बन चुकी थीं. धर्मेंद्र ने एक इंटरव्यू में भावुक होकर कहा था. “कुमकुम जी ने मुझे मेरे शुरुआती दिनों में बहुत सहारा दिया. मैंने उनसे सीखा कि नए कलाकारों के प्रति विनम्र और सहयोगी कैसे रहना चाहिए. मैं कभी नहीं भूल सकता कि वे मेरे प्रति कितनी दयालु और स्नेहिल थीं. उन्होंने मुझे घर जैसा महसूस कराया, मेरे परिवार के बारे में बात की, मेरी ज़िंदगी में रुचि दिखाई और शॉट्स के दौरान मेरी मदद की. मैं हमेशा उनका ऋणी रहूंगा.”
शादी के बाद फिल्मों को कहा अलविदा
अपना सुनहरा करियर पीछे छोड़कर कुमकुम ने 1975 में लखनऊ के सज्जाद अकबर खान से शादी कर इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया. इसके बाद उन्होंने सादगीपूर्ण जीवन जिया और फिल्मी चकाचौंध से दूरी बना ली.
गोविंदा को मानती थीं बेटा
फिल्मी दुनिया से दूर होने के बाद भी कुमकुम का रिश्ता फिल्म अभिनेता गोविंदा के साथ बना रहा. वे उन्हें अपना बेटा मानती थीं. दरअसल गोविंदा की मां निर्मला देवी, कुमकुम की सौतेली बहन थीं. इस पारिवारिक संबंध ने कुमकुम और गोविंदा के बीच एक आत्मीय रिश्ता बना दिया था.
सादगी, कला और गरिमा की जीवित मिसाल थीं कुमकुम जी. हिंदी सिनेमा की इस अनमोल रत्न को 'मायापुरी' परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि. आपकी मुस्कान और अभिनय की चमक हमेशा परदे पर जीवित रहेगी.
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