कपूर परिवार हमेशा से अपने अथिति सत्कार के लिए जाना जाता है। उनकी पार्टियां एक ऐसा इवेंट्स रही हैं, जिसे कोई एक बार अटेंड कर ले तो वो कभी इसे नहीं भूल सकता। वे अपने सभी मेहमानों पर उस तरह का स्नेह और प्यार बरसाते रहे है, जिसकी अन्य बड़े नामों ने नकल करने की कोशिश की है, लेकिन कोई भी ऐसा नहीं कर पाया सिवाय सुभाष घई के, जो खुद राज कपूर से प्रेरित थे, और एक बार सुभाष घई द्वारा होस्ट की गई होली पार्टी का हिस्सा बने रणधीर कपूर ने कहा था, “अगर मेरे पिता राज कपूर के बाद कोई शख्स है, जिसे शोमैन कहा जा सकता है, तो यह शख्स सिर्फ सुभाष घई ही हैं” और अगर कोई एक कपूर है जो सबसे विनम्र सच्चा, ईमानदार और सबसे प्यारा मेजबान रहा है, तो यह हमेशा से रणधीर कपूर रहे है, जिन्हें 80 और 90 के दशक के छोटे लड़के और लड़कियों और पुरुषों और महिलाओं डब्बू कहा करते हैं।
रणधीर ने कहा, “आप अब आर. के परिवार का हिस्सा हैं और आपका हमेशा यहाँ वेलकम है'
रणधीर कपूर के अथिति सत्कार के साथ मेरा पहला ब्रश ऋषि कपूर और नीतू के भव्य शादी के रिसेप्शन में था। मैं स्क्रीन में एक न्यूकमर रिपोर्टर था और मुझे इस रिसेप्शन को कवर करने के लिए मेरा पहला बड़ा काम मुझे सौंपा गया था। आर.के स्टूडियो के गेट पर पहुंचने तक मैं बहुत असहज और बेचैन था, जहां रिसेप्शन था। जब मैंने बाहर की भारी भीड़ देखी और सितारों और मशहूर हस्तियों को अपनी पॉश कारों को स्टूडियो में ले जाता देखा, तो मैं और अधिक घबरा गया था। मैंने गेट से लौट जाने का लगभग तय कर लिया था और तब मैंने रणधीर कपूर को अपना नाम पुकारते हुए सुना और उन्होंने मुझे अंदर आने के लिए कहा कहा कि मैं उनका एक सम्मानित अतिथि हूँ। यह एक ऐसी चीज थी जिसकी मुझे कम से कम उम्मीद थी और जो रिसेप्शन में मेरे मौजूद होने का संकेत थे जहां कई अन्य पत्रकारों को राज कपूर, शशि कपूर और कपूर परिवार के अन्य पुरुष द्वारा बाहर धकेला जा रहा था। मैं रिसेप्शन के दौरान काफी नशे में हो गया था कि मैंने नीलम होटल दादर में अपना खुद का सेलिब्रेशन जारी रखा और अगली सुबह ही घर वापस आया था। और अपने होश में आने के तुरंत बाद मैंने रणधीर को फोन किया और एंट्रेंस में मेरा वेलकम करने के लिए के लिए उनको धन्यवाद कहा, रणधीर ने कहा, “आप अब आर. के परिवार का हिस्सा हैं और आपका हमेशा यहाँ वेलकम है और मैं आपका स्वागत करने के लिए वहां हमेशा रहूंगा और यह ध्यान में रखूगाँ कि आप पार्टी समाप्त होने तक सहज और खुश महसूस करे” वह एक ऐसी फीलिंग थी जिसे मैंने पहले कभी अनुभव नहीं किया था।
मैं शांति सागर और आनंद सागर के कार्यालयों नटराज स्टूडियो में नियमित रूप से डब्बू से मिलता रहता था। उन्होंने शांति के लिए फिल्म ‘आखिरी डाकू’ में काम किया था, जिसे प्रकाश मेहरा ने निर्देशित किया था और लेखकों की एक नई टीम ने लिखा था, जो खुद को घला-भल्ला कहते थे। घई को जल्द शोमैन सुभाष घई कहा जाने लगा था। रणधीर ने आनंद सागर के साथ अपनी दूसरी फिल्म ‘हमराही’ में काम किया था और सागर परिवार को उच्च सम्मान दिया था। यह जुहू में ‘हॉलिडे इन होटल’ में शांति सागर की बेटी सीता की शादी का रिसेप्शन था और हॉल में सभी सबसे प्रसिद्ध हस्तियाँ मौजूद थी। लेकिन डब्बू अपने हाथों को जोड़े हुए द्वार पर खड़े रहे और सभी मेहमानों का स्वागत किया। जब मैंने उनसे पूछा कि वह मेजबान की भूमिका क्यों निभा रहे हैं, तो उन्होंने अपने ही तरीके में जवाब देते हुए कहा, ‘मालिक की बेटी की शादी है, हम को सेवा तो करनी ही पड़ेगी न?’ और वह प्रवेश द्वार पर खड़े रहे और आधी रात के बाद तक मेहमानों का स्वागत करते रहे और रिसेप्शन के खत्म होने के बाद अपनी शराब की बोतल उठा के ले गए। मैं राज कपूर के अंतिम संस्कार में था और और तमाशबीन भीड़ द्वारा भीड़ में फंसा हुआ था और मैं पुलिस से मदद करने को कह रहा था, और वह मेरी मदद करने की कोशिश नहीं कर रहे थे, बल्कि इसकी बजाए उन्होंने मुझे फालतू कहा था और वह मुझसे पूछ रहे थे कि मुझे अंतिम संस्कार के लिए किसने आमंत्रित किया था। यह तब था जब मैं वास्तव में डर गया था और जब तक उन्होंने मुझे अपने दोस्तों को सौंप नहीं दिया, तब तक उन्होंने मुझे अपने साथ रखा और उसके बाद वह अंतिम संस्कार करने के लिए चले गए थे। मैं शोक की उस भीड़ में कुचल दिया जा सकता था यदि डब्बू अप्रत्याशित रूप से मेरे बचाव में नहीं आते तो।
मुझे राज कपूर से लेकर उनके भाइयों शम्मी और शशि और उनके परिवारों तक, सबसे बहुत प्यार मिला है
यह फिल्म ‘हिना’ की एक विशेष स्क्रीनिंग थी जिसे उनके पिता के निधन के बाद उनके द्वारा निर्देशित किया गया था। उन्होंने और ऋषि ने आर. के में फिल्म की एक विशेष स्क्रीनिंग की थी। मैं कम से कम शो का निमंत्रण पाने की उम्मीद कर रहा था, लेकिन डब्बू और ऋषि दोनों ने व्यक्तिगत रूप से मुझे मेरी पत्नी उषा और मेरी बेटी स्वाति को स्क्रीनिंग के लिए आमंत्रित किया और राज कपूर के बंगले देवनार कॉटेज में यह पार्टी राखी गई थी और मेरी पत्नी, जिनके लिए यह पहली बड़ी पार्टी थी, तो डब्बू ने उनकी और मेरी बेटी की व्यक्तिगत रूप से सब चीज कि देखभाल की थी। दोनों भाइयों ने भी हमें गेट तक छोड़ा और अपनी अच्छाई के साथ उन्होंने हमें घर छोड़ने के लिए एक कार की व्यवस्था भी की थी। मुझे ये मिनट डिटेल क्यों याद आ रही हैं? यह केवल इसलिए है क्योंकि मैंने अपने सभी 50 वर्षों में इंडस्ट्री में किसी को भी कपूर कि तरह मेहमान नवाजी करते नहीं देखा है जिन्होंने अपने सभी मेहमानों के साथ समान प्रेम और सम्मान के साथ व्यवहार किया है। मुझे राज कपूर से लेकर उनके भाइयों शम्मी और शशि और उनके परिवारों तक, हर कपूर से बहुत प्यार और सम्मान मिला है, वो भी बिना किसी पक्षपात के और मैं यह जरुर कह सकता हूं कि डब्बू सबसे अच्छे मेजबान है। मुझे नहीं पता कि उन्हें यह उपहार अपने पिता से विरासत में मिला है की नहीं, लेकिन जहां भी और जिस से भी उन्होंने इसे सीखा है या नहीं भी सीखा है, यह सच है कि वह एक आदर्श मेजबान है, वह इसे पूर्णता के लिए अभ्यास करते होंगे।
मैंने डब्बू को नशे में भी उनके सबसे अच्छे रूप में देखा है, बल्कि मैंने उन्हें तब भी कभी भी किसी के साथ भी चाहे वह छोटा हो या बड़ा दुर्व्यवहार करते नहीं देखा। इसके विपरीत, वह तब अधिक विनम्र और कृतज्ञ हो जाते है, जब वह अपने पसंदीदा ब्लैक लेबल व्हिस्की के कुछ पेग लेते है। मैंने उन्हें बीयर, वोदका या रम पीते कभी नहीं देखा, जिसके बारे में उन्होंने एक बार कहा था, “यह उन लोगों कि ड्रिंक्स है जो पीने की वैल्यू को नहीं जानते, पियो तो, शान से पीयो, नहीं तो कम से कम शराब कि तौहीन मत करो, ये देवों का सबसे प्यारा तोहफा है।” रणधीर कपूर पिछले दस वर्षों के दौरान वह पहले वाले डब्बू कपूर नहीं रहे है। आर. के स्टूडियो को बेचने के लिए उन्हें अपने भाइयों के साथ एक भागीदार बनना पड़ा और फिर एक के बाद एक अपने करीबी और प्यार करने वालों को वह खोते गए और यहां तक कि जब वह अपने दुखों का सामना करने की कोशिश कर रहे थे, तो उन्होंने कुछ ही समय पहले अपने सबसे छोटे भाई राजीव को खो दिया और उन्होंने खुद के ‘अकेले’ हो जाने की बात की जिसे देख कर दिल टूट गया हैं।
सौभाग्य से उनके लिए उनकी बेटियों करिश्मा और करीना ने उनके 74वें जन्मदिन का जश्न मनाने के लिए कुछ करीबी परिवार के लोगों के साथ छोटा सा ‘गेट टूगेदर’ रखा था। मुझे आशा है कि वे उनकी मुस्कुराहट को वापस ली आयेगे हैं और उन्हें खुशी का अहसास वापस से दिलाएगें। यदि आप मुझसे पूछें कि वह अपने पिता के मास्टरपीस ‘जोकर’ की तरह है। वह सबसे कठिन बाधाओं का सामना करते हुए भी हंसते रहे है। लेकिन किसी को उस अदृश्य मुखौटे को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए जिसे वह वर्षों से पहने हुए है और असली चेहरे को प्रकट करना चाहिए जिसे उसके सभी खुश और दुखी विचारों के साथ जाना जाता है और देखें कि उसे मुस्कुराने और उसके दिल को हंसाने के लिए क्या कुछ अच्छा किया जा सकता है जो मुझे लगता है कि उसका दिल बहुत से दुखो से भरा हुआ है। मुझे यह देखकर बहुत दुख होता है कि उसे खुश होने के लिए उस समय भी खुश होना पड़ता है जब उसके बारे में सारी सच्चाई अभी भी उसके अदृश्य मुखौटे के पीछे छिपी है।
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