Birthday Special Hasrat Jaipuri: एक सच्चे शायर की हसरते कभी मरती नहीं

मैंने अब्बास साहब के दफ्तर में उनके बारे में कई कहानियाँ सुनी थीं जहां राज कपूर के साथ काम करने वाले बहुत से लोग शाम को ड्रिंक करते थे क्योंकि अब्बास साहब को काम के दौरान डिस्टर्ब होना पसंद नहीं था,

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By Asna Zaidi
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Hasrat Jaipuri

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गपशप: मैंने अब्बास साहब के दफ्तर में उनके बारे में कई कहानियाँ सुनी थीं जहां राज कपूर के साथ काम करने वाले बहुत से लोग शाम को ड्रिंक करते थे क्योंकि अब्बास साहब को काम के दौरान डिस्टर्ब होना पसंद नहीं था, और मैंने देखा था कि कैसे अब्बास साहब ने नशे में धुत राज कपूर को अपने ऑफिस से बहार निकले को कहा था क्योंकि उनका कहना था कि, “मेरे पास शराबी लोगों पर बर्बाद करने का फ़ालतू टाइम नहीं है”.

हसरत जयपुरी ने लिखी थी कई हिंदी और उर्दू की कविताएं

डॉ.हसरत जयपुरी की कहानियों ने उनके संघर्ष के दिनों के बारे में बात की गई थी जब उन्होंने हिंदी और उर्दू में कविताएँ लिखी थीं. कहानियों में इस बात पर चर्चा की गई थी की कैसे उन्होंने थोड़ी सैलरी के लिए बीईएसटी बस कंडक्टर के रूप में न केवल काम किया था, बल्कि अपनी नौकरी का आनंद भी लिया था क्योंकि वह उन महिलाओं के बारे में कुछ कविताएं लिख सकते थे जो उनकी ड्यूटी के दौरान उनसे टकराई थीं.

डॉ.हसरत जयपुरी के बारे में बात, जीवन में उनके रोमांटिक स्वभाव और यहाँ तक कि उनकी कविता में भी थी, जो ज्यादातर रोमांस, जीवन और जीवन के बारे में अच्छी बातों के बारे में लिखी गई थी. बात यह थी कि उन्हें पृथ्वीराज कपूर द्वारा कैसे खोजा गया था जिन्होंने उन्हें अपनी फिल्म "बरसात" शुरू करने से ठीक पहले अपने बेटे राज कपूर के पास भेजा था. और राज कपूर ने उन्हें किस तरह देखा और अगले 45 वर्षों और उससे अधिक समय तक अपनी सभी फिल्मों के संगीत की कमान संभालने के लिए उन्हें अपनी टीम में शामिल कर लिया था. टीम में युवा संगीतकार, शंकर और जयकिशन और शैलेंद्र और हसरत शामिल थे. यह टीम आरके बैनर तले बनी फिल्मों का मुख्य आकर्षण थी.

मुझे उस समय हसरत से मिलने का सौभाग्य नहीं मिला था जब उसके नाम ने मेरे दिमाग पर जादू कर दिया था. लेकिन मैं हिंदी फिल्म संगीत में दिलचस्पी रखने वाले एक ग्रुप का हिस्सा था, जिसने राज कपूर के कौन से गीत शैलेंद्र द्वारा लिखे गए थे और उनमें से किस्मे हसरत की रचनाएँ थीं, इस पर चर्चा और बहस करने में घंटों बिताए थे. इसका निष्कर्ष यह था कि जितने अधिक दार्शनिक गीत शैलेन्द्र के थे और उतने ही रोमांटिक और जीवंत गीत हसरत की कलम से लिखे गए थे. मुझे लगता है कि राज कपूर के करियर में दो कवियों के काम की बात जरुर आती होगी भले ही अन्य लोग इतने सालों के बाद भी जारी क्यों न हो.

हसरत से मिलना मेरी हसरत बन गई थी जब मैं शैलेंद्र से मिलने की सारी उम्मीद खो चुका था, जिसके बारे में मैं इतना जानता था और अब कुछ भी नहीं जानता. शैलेन्द्र के बारे में एक ही बात मुझे पता चली कि वह जुहू होटल में लिखते था और जिस कोने और जिस टेबल पर बैठ कर वह लिखा करते थे वह जॉन नामक एक पुराने वेटर ने मुझे दिखाई थी. मेरे पास यह देखने का भी कोई रेयर चांस नहीं था कि शैलेंद्र वास्तव में कैसे दिखते थे. लेकिन मुझे शैलेन्द्र के बारे में देव साहब के मुह से सुनते हुए बहुत खुशी हुई, देव साहब ने मुझे यह भी बताया कि उन्होंने उनकी क्लासिक फिल्म, "गाइड" के लिए कुछ बेहतरीन हिंदी गाने भी लिखे थे.

और फिर वह दिन आया जब मैं हसरत से मिला. एक नया टीवी चैनल जो तभी शुरू हो रहा था, उसने मुझसे हसरत जयपुरी के साथ बातचित फिक्सअप करने और शूट करने का अनुरोध किया था. मैं कुछ समय के लिए हिचकिचाया क्योंकि मुझे पता था कि मैं खुद कवि से व्यक्तिगत रूप से पहले कभी नहीं मिला था, लेकिन मैं एक मौके की तलाश में जरुर था. मैंने कवि को फोन किया और मैं सांताक्रूज में सौ साल पुराने सेक्रेड हार्ट चर्च के सामने स्थित उनके घर "कैलास" पहुंचा.

वह हसरत जयपुरी वैसे नहीं थे जैसी मैंने कभी उनकी कल्पना की हुई थी. वह बूढे और कमजोर दिख रहे थे और मुझे अभी भी नहीं पता है कि महान हसरत जयपुरी जमीन पर क्यों बैठे थे. वह टीवी टीम के लिए बहुत मददगार साबित हुए थे क्योंकि उन्होंने अपने और अपने साथियों के बारे में वे सारी जानकारी उन्हें दी थी जो वे चाहते थे. कुछ बातें उन्होंने उन्हें ऐसी भी बताईं जिन्हें मैं जानता भी नहीं था.

लेकिन उस प्रबुद्ध शाम को एक नोट पर समाप्त होने के लिए नियत किया गया था. जब टीवी टीम ने इंटरव्यू खत्म कर लिया और वहा से निकलने ही वाली थी, तो कवि ने मुझे हल्के से रोका और कहा, “अली साहब, ये लोग कुछ पैसे देते है ना?" मैं समझ नहीं पाया कि उनका क्या मतलब था क्योंकि मुझे टीवी चैनल के साथ काम करने का अनुभव नहीं था, लेकिन इससे पहले कि मैं कुछ सोच पाता, कवि ने मुझसे टीवी टीम से 2000 रुपये लेने के लिए कहा. और कवि के सम्मान से अधिक मेरे रिलीफ के लिए मैंने टीवी टीम को उन्हें पैसे देने के लिए कहा, उन्होंने तुरंत पैसे दे दिए गए, लेकिन उन टिप्पणियों को पारित करने से पहले नहीं, जो उस कवि के लिए बहुत प्रशंसा योग्य नहीं थीं जिनके बारे में उन्होंने महसूस किया था कि वे पैसे के लिए शूट कर रहे थे. और जिस तरह से कवि ने मुझे धन्यवाद दिया वह उन कई दृश्यों में से एक है जो मेरे दिमाग या मेरी स्मृति में हमेशा फ्रेश रहेंगे. हसरत जयपुरी के साथ वो मेरी पहली मुलाकात उनसे आखिरी मुलाकात भी थी.

हसरत जयपुरी की कहानियों ने मुझे यह भी बताया कि जयकिशन की मृत्यु के बाद और राज कपूर की फिल्म "मेरा नाम जोकर" के फ्लॉप होने के बाद उनका जीवन कैसे खराब हो गया था. उन्हें राज कपूर द्वारा कुछ अन्य गीतों को लिखने के लिए बुलाया गया था, लेकिन चीजें पहले जैसी नहीं रही थीं और उनके कुछ प्रशंसक यहां तक कहते हैं कि उनके भतीजे जिन्होंने 90 के दशक की शुरुआत में इसे बड़ा बना दिया था, उन्हें उनकी इस बुरे दौर से बाहर निकलने और उन्हें प्रोत्साहित करने या प्रेरित करने की कोशिश तक नहीं की, जिसमें वे फिसल गए थे.

उन्होंने अंततः अपनी आत्मा को छोड़ दिया और कहा जाता है कि उनकी अधिकांश हसरतों के बिना उनका निधन हो गया था. कुछ हफ्ते पहले, एक दोस्त ने मुझे हसरत के बारे में एक और कहानी सुनाई थी. उनकी पत्नी ने उनके जीवित होने पर कुछ प्रॉपर्टी में पैसा लगाया था और यहां तक कि एक बंगले का भी निर्माण किया था जिसका नाम "हसरत" था. मैं आशा करता हूं, प्रार्थना करता हूं कि जो कुछ मेरे दोस्त ने उनके बारे में मुझे बताया था वह सब सच ही हो. मैंने हजारों महत्वाकांक्षाओं और इच्छाओं को पीड़ित होते और मरते देखा है. मुझे उम्मीद है कि ये उनमें से कुछ नहीं हैं.

ज़िन्दगी है एक सफ़र सुहाना, लेकिन ज़िन्दगी का सफ़र इतना सुहाना भी नहीं होता, ज़िन्दगी जीना अगर लिखने जैसा होता तो हो सकता है की ज़िन्दगी का सफ़र सुहाना होता, लेकिन ज़िन्दगी का सफ़र उन्हीको समझ में आ सकता है जिनको ज़िन्दगी जीने का तजुर्बा होता है.

Hasrat Jaipuri

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