BIRTHDAY: अपनी इन कई बेहतरीन नगमों की वजह से हमेशा याद आएंगे ख़य्याम

हिंदी सिनेमा में अपने शानदार गानों से लोगों के दिलों में जगह बनाने वाले मशहूर संगीतकार मोहम्मद जहूर खय्याम का सोमवार को निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। खय्याम की शख्सियत का अंदाजा उनके बेहतरीन संगीत से लगाया जा सकता है।

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Khayyam will always be remembered because of these many great songs

हिंदी सिनेमा में अपने शानदार गानों से लोगों के दिलों में जगह बनाने वाले मशहूर संगीतकार मोहम्मद जहूर खय्याम को हर कोई जनता हैं. खय्याम की शख्सियत का अंदाजा उनके बेहतरीन संगीत से लगाया जा सकता है। उन्होंने ‘इन आंखों की मस्ती के दीवाने हज़ारों हैं' और ‘कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है' जैसे कई सदाबहार गानों में संगीत दिया था। फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने करीब 40 साल काम किया और लगभग 35 फिल्मों में संगीत दिया। उनके हर एक गाने ने लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई, जिसकी वजह से वो हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे। 

ख्य्याम साहब को याद करते हुए आइए हम आपको उनके कुछ बेहतरीन नगमों से रूबरू करवाते हैं....

'कभी कभी मेरे दिल में'

ये खूबसूरत गाना आज ही लाखों लोगों के लफ्जों में शुमार है। ये गाना अमिताभ बच्चन और राखी अभिनीत फिल्म 'कभी कभी' का है। इस खूबसूरत नगमें को गायक मुकेश जी गाया था।

‘ऐ दिले नादान'

'खय्याम' जी का ये गाना साल 1983 में आई फिल्म 'रजिया सुल्तान' का है। 'ऐ दिले नादान' गाने में मशहूर गायिका लता मंगेशकर ने अपनी आवाज दी थी।

'इन आंखों की मस्ती के'

बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा रेखा जी की पहचान फिल्म 'उमराव जान' के इस गाने से भी होती है। ये फिल्म साल 1981 में आई थी। 'इन आंखों की मस्ती के' गाने को आज भी काफी लोग पसंद करते हैं।

'आंखों में हमने आपके'

ये गाना फिल्म 'थोड़ी सी बेवफाई' का है। ये फिल्म साल 1980 में आई थी। इस फिल्म में 'खय्याम' साहब ने संगीत दिया था। 'आंखों में हमने आपके' गाने में सुरों के सरदार किशोर कुमार ने अपनी आवाज दी थी।

'फिर छिड़ी रात'

ये खूबसूरत नगमा साल 1982 में आई फिल्म 'बाजार' नसीरुद्दीन शान और स्मिता पाटिल की फिल्म 'बाजार' का है। इस फिल्म में 'खय्याम' के संगीत ने लाखों दिलों को जीता। 'फिर छिड़ी रात' गाने में लता मंगेशकर और तलत अजीज जी ने अपनी आवाज दी थी।

'करोगे याद तो'

ये नगमा भी फिल्म 'बाजार' का ही है। साल 1982 में इस फिल्म का गानों ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। 'करोगे याद तो' गाने में भूपिंदर सिंह ने अपनी आवाज दी थी।

'बहारो मेरा जीवन भी संवारो'

आखिरी खत राजेश खन्ना की डेब्यू फिल्म थी। इस फिल्म के सॉन्ग ''बहारो मेरा जीवन भी संवारो'' के लिरिक्स कैफी आजमी ने लिखे। खय्याम इसके म्यूजिक डायरेक्टर थे। लता मंगेशकर ने इसे अपनी आवाज दी।

‘वो सुबह कभी तो आएगी’

फिल्म 'फिर सुबह होगी' के गाने ‘वो सुबह कभी तो आएगी’ के लिए साहिर लुधियानवी ने खय्याम की सिफारिश की थी। इस गाने को मुकेश और आशा भोंसले ने अपनी आवाज़ दी थी।

'कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता'

साल 1981 खय्याम के लिए बेहद शानदार साबित हुआ। उनकी तीन एल्बम हिट हुई थी। ''कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता'' उनके सबसे बेस्ट सॉन्ग में से एक है।

‘आजा रे ओ मेरे दिलबर आजा’

फिल्म नूरी के इस गाने को लता मंगेशकर और नितिन मुकेश ने गाया था।

‘हज़ार राहें मुड़ के देखी’

थोड़ी सी बेवफाई एकमात्र मूवी है जिसमें खय्याम ने गुलजार संग काम किया था। दोनों के काम को खूब पसंद किया गया। इस फिल्म का गाने आज भी लोगों के दिलों में बसे हैं।

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