Birthday Special Bindu: मेरा असली रूप तो दर्शकों ने आज तक देखा ही नहीं चित्रकार अपने कोरे कैनवास पर तूलिका से हल्के गहरे रंग लगाकर, चित्र में निखार ले आता है. इस तरह जैसे सूर्य की किरणों से कमल का फूल रूप, वर्ण और गंध से फूट पड़ता है. (कालिदास ने 'कुमार संभव' में पार्वती के बारे में यही लिखा है.) By Mayapuri Desk 17 Apr 2024 in गपशप New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 चित्रकार अपने कोरे कैनवास पर तूलिका से हल्के गहरे रंग लगाकर, चित्र में निखार ले आता है. इस तरह जैसे सूर्य की किरणों से कमल का फूल रूप, वर्ण और गंध से फूट पड़ता है. (कालिदास ने 'कुमार संभव' में पार्वती के बारे में यही लिखा है.) उसी तरह नवयौवन के द्वारा उस (पार्वती) का चैरस शरीर निखर उठा. उसमें ऊंचाई-निचाई के भाव प्रकट हो गये. उस नवयौवन काम की चर्चा करते हुए उन्होंने आगे कहा है, 'मदिरालस नयनों में वह चंचल, गंडस्थल में पांडुवर्ण, वक्षस्थल में कठिन, कटि प्रदेश में क्षीण, जघन स्थल में स्थूल बनकर स्त्रियों के शरीर में नाना भाव से स्थित है.' खिले हुए चतुरस शरीर के उभार में एक गीत होता है, लय होती है, जो निःसर्ग सुकुमार सहज भाव से प्रकृट सामने आता है और देखने वालों को एकबारगी ही प्रभावित करता है. और आज मुझे बरबस ऐसे ही शरीर की, एकछत्र अधिकारिणी की याद आती है. गहरे उभार वाला-कटावदार शरीर, अनजाने ही तंग कर जाने वाली कशिश, नस-नस में छलकती शोखी, आंखों में उमड़ती मस्ती, यौवन, मस्त दिलकश अदायें और हृदयहारी अभिनय करने वाली इस वीनस का नाम है-'बिन्दु'. बिन्दु के बहुचर्चित हंगामेदार इशारे, लटके, झटके-अभिनय, जिसके सब दीवाने हैं. आपने सोचा होगा कभी कि ऐसी खूबसूरत बिन्दु की खोज किसने की? कौन है वह शख्स, जिसने बिन्दु की खूबियों को परखा? और यही मेरा पहला प्रश्न था, जो मैंने बिन्दु से पहली मुलाकात में पुछा. प्रश्न के उत्तर में बिन्दु ने बताया: 'उस शख्स का नाम है राज खोसला!' 'लेकिन आपकी पहली फिल्म तो 'आया सावन झूम के' थी न ? मैंने पूछा. 'जी हां, यह मेरी पहली प्रदर्शित फिल्म थी. वैसे सबसे पहले मुझे राज खोसला जी ने ही अनुबंधित किया था.' 'सुना है आप लक्ष्मीकांत जी की साली है?' 'जी हां! आपको कोई ऐतराज है?' 'जी नहीं, जी नहीं! मेरा मतलब यह है कि इस रिश्ते की वजह से आप को फिल्मों में बड़ी आसानी से प्रवेश मिल गया. शायद राज खोसला जी ने भी आपका चुनाव इसीलिए किया?' 'नहीं जनाव ! हकीकत कुछ और ही है. फिल्मों में प्रवेश पाने के लिए मैंने बहुत प्रशंसकों के मन में ऐसे सवाल पैदा होते है. व मुझसे पत्रों द्वारा पूछते भी है. चलिए आपके द्वारा आज मैं सबको जवाब पहुंचा देती हूं. सुनिए, मैं अभिनेत्री हूं, खल-भूमिकायें निभाती हूं. कैबरे डांस प्रस्तुत करती हूं. वैप भी बनती हूं, लेकिन क्या जो कुछ मैं या मेरी जैसी अन्य अभिनेत्रियां चाहती हैं. वही का वही, ज्यों का त्यों अपने अभिनय में प्रस्तुत कर पाती है ? कई बार किरदार पात्र या रोल जिसको हम परदे पर उतारते है उसे हूबहू पेश करने में बहुत कुछ त्यागना पड़ता है. कुछ जोड़ना भी पड़ता है. कुछ बदलना भी पड़ता है. और तो और उस चिरपरिचित अभिनय एक्टिंग का सहारा भी लेना पड़ता है जो बरसों से फिल्मी-परदे पर होता आया है मैं नहीं जानती कि मैं कहां तक आपके प्रश्न का सही उत्तर दे पाई हूं. फिर भी मैं कभी-कभी यह सोचा करती हूं कि जो रूप मैं पेश करती हूं, उसमें मेरा अपना है? क्या मेरा अभिनय सर्वथा मेरा है या किसी और का भी इसमें हिस्सा है.' पूर्व लेख Issue No.11Page No.6 Bindu Read More: राजकुमार राव स्टारर Vicky Vidya Ka Woh Wala Video इस डेट को होगी रिलीज भूल भुलैया 3 मे विद्या बालन-माधुरी दीक्षित के बीच होगा डांस मुकाबला? बिग बॉस 17 के बाद ईशा मालवीय और समर्थ जुरेल का हुआ ब्रेकअप? ऋचा चड्ढा ने हीरामंडी में अपनी भूमिका के लिए मीना कुमारी से ली प्रेरणा हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Latest Stories Read the Next Article