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Shakti Samanta Death Anniversary: एक रात आनंद बक्शी-शक्ति सामंत बारिश में माचिस जला रहे थे

Shakti Samanta Death Anniversary: हुआ यूं था कि माचिस जलती थी और कभी पागल हवा उसे फूँक देती थी तो कभी अल्हड़ सावन उसे बुझा देता था यूं तो शायद ही कोई ज़िंदा शख्स होगा जिसे संगीत पसंद न आता होगा.

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By Mayapuri Desk
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Special story about Shakti Samant on his Death Anniversary

Shakti Samanta Death Anniversary

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Shakti Samant Death Anniversary: हुआ यूं था कि माचिस जलती थी और कभी पागल हवा उसे फूँक देती थी तो कभी अल्हड़ सावन उसे बुझा देता था यूं तो शायद ही कोई ज़िंदा शख्स होगा जिसे संगीत पसंद न आता होगा. या ये ज़रूर है कि संगीत को पसंद करने की सबकी पसंद अलग-अलग होती है. किसी को एक गाने में म्यूजिक पसंद आता है, किसी को अपने पसंदीदा गायक के गाने अच्छे लगते हैं तो कोई कोई विरला गीत यानी लिरिक्स को प्राथमिकता देता है.

ऐसे ही लिरिक्स लवर हमारे जाने माने फिल्ममेकर शक्ति सामंत भी थे. वह अपनी फिल्मों में म्यूजिक क्वालिटी पर बहुत ध्यान देते थे. फिर चाहें वह हावड़ा ब्रिज हो, कश्मीर की कली हो या आराधना, उनकी हर फिल्म के गाने और उन गानों के बोल बहुत अर्थपूर्ण होते थे. इसी के चलते एक रोज़ शक्ति सामंत आनंद बक्शी से कह रहे थे कि उनकी आने वाली फिल्म के लिए एक सेड सांग लिख कर दे दें. लेकिन बक्शी साहब उस वक़्त एक पार्टी में थे तो शक्ति सामंत बाहर इंतज़ार करने लगे. जब आनंद बक्शी बाहर आए तो बहुत तेज़ बारिश हो रही थी. इतनी तेज़ कि इक पल को खुले में टिकना नामुमकिन था.

उसी वक़्त आनंद बक्शी ने एक सिगरेट निकाली और तभी शक्ति सामंत अपनी गाड़ी में घुस गए. अब बक्शी साहब जैसे ही सिगरेट सुलगाने के लिए माचिस जलाएं, वैसे ही हवा और बारिश की मिली भगत से तीली बुझ जाए. ऐसा दो तीन बार हुआ तो अचानक बक्शी साहब चिल्लाए और शक्ति सामंत को गाड़ी में से एक पेन और कागज़ लाने के लिए कहा. आनंद बक्शी जैसे महान गीतकार के दिमाग में उस सेड सांग की रूपरेखा बन चुकी थी. उनकी बुझती तीली, बरसता सावन और तूफानी सी हवा अपना काम कर गयी थी. बक्शी साहब की कलम से 1972 का सबसे लोकप्रिय गाने का मुखड़ा लिखा जा चुका था. और वो मुखड़ा कुछ यूँ था - 'चिंगारी कोई भड़के, तो सावन उसे बुझाए, सावन जो अगन लगाए तो उसे कौन बुझाए'

आगे जो गाना बना वो इतिहास रच गया. आगे चलकर इसमें पंचम दा यानी आरडी बर्मन का म्यूजिक घुला, किशोर दा की दर्दभरी आवाज़ मिली और राजेश खन्ना शर्मिला टैगोर की जोड़ी वाली फिल्म अमर प्रेम ने इस गीत को अमर कर दिया.  तो इस तरह एक क्लासिक गाना, एक सदाबहार गीत वजूद में आया और फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास का पन्ना बन गया.

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