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हाल ही में विक्की कौशल के साथ ‘ छावा’ और जुनैद खान के साथ ‘लवयापा’ (Loveyapa) में नज़र आए एक्टर आशुतोष राणा (Ashutosh Rana) 22 सालों के बाद थियेटर पर वापसी कर रहे हैं. वह इस बार अपने सबसे बड़े प्ले 'हमारे राम' में नज़र आ रहे हैं. इस प्ले में उन्होंने रावण का किरदार निभाया है. प्ले में अपनी अदायगी से उन्होंने चारो तरफ हाहाकार मचा दिया हैं. उनके द्वारा पहली बार निभाये गए रावण के किरदार को अंधाधुंध सफलता मिल रही है और साथ ही इसकी चरों ओर प्रशंसा की जा रही है. हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू दिया जहाँ उन्होंने प्ले 'हमारे राम' में अपने किरदार, राम की महिमा, रावण के गुण, अपने ड्रीम रोल और आने वाले प्रोजेक्ट के बारे में खुलकर बात की. क्या कुछ कहा आपने, आइये जानते हैं.
‘हमारे राम’, आप जब भी यह शब्द सुनते हैं, तो सबसे पहले आपके दिमाग में क्या आता है? हमारे राम के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
मर्यादा पुरुषोत्तम राम का चित चरित्र और चिंतन इतना बड़ा और विशाल है कि उन्होंने युगों पहले एक मनुष्य के रूप में जन्म लिया और उसके बाद आज भी वह प्रासंगिक है. जितने उनके चरण पूजनीय है, उतने ही उनके आचरण भी पूजनीय है. अगर हम उनके चरणों की पूजा करते हैं, तो हमें उतना ही उनके आचरण की पूजा भी करनी चाहिए. अगर हम ऐसा करते है तो हमारा जीवन बहुत लाभकारी होगा.
संतों ने भी कहा है, कि एक राम दशरथ के पुत्र हैं, एक राम घट-घट में बैठे हैं, एक राम का चेहरा व्यापक है, और एक राम सर्वव्यापी हैं इसलिए हर व्यक्ति, राम एक ही है, लेकिन हर व्यक्ति का देखने का नजरिया अलग है. कहने का मतलब यह है कि जिस दृष्टिकोण से वह उनकी शख्सियत को देख रहा है, वह उसी दृष्टिकोण से उनकी शख्सियत का अनुभव और उसे व्यक्त कर रहा है. मैं बात करूं अपने प्ले की तो अब तक हमने 162 शो किए हैं, यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है, और मुझे लगता है कि दर्शकों ने इसे बहुत प्यार दिया है, इसे बहुत सराहना और समर्थन दिया है. इसी वजह से ही हम देशभर में 162 शो कर पाए हैं.
आप 'हमारे राम' नाटक कर रहे हैं. मंच पर नाटक करते हुए टेक के मौके बहुत कम होते है, एक बार आप किरदार में चले गए तो बस चले गए. जबकि फिल्मों में आप टेक ले सकते हैं. आपने अब तक इस प्ले के 162 शो के लिए है. आपके लिए यह कितना चुनौतीपूर्ण रहा और आप इसे कितना आसान बनाते हैं?
देखिए, इस दुनिया में कुछ भी आसान नहीं है. हर चीज, हर घटना, हर कार्य चुनौतियों से भरा है. यह हम पर निर्भर करता है कि कुछ लोग उन चुनौतियों को दिखाते हैं और कुछ लोग उन चुनौतियों को छिपाते हैं. लेकिन इस दुनिया में बात करना भी आसान नहीं है क्योंकि हम दो साल की उम्र में बोलना सीख जाते हैं, लेकिन क्या बोलना है, कब बोलना है, कैसे बोलना है, किससे बोलना है, हम अपना पूरा जीवन यह सब सीखने में बिता देते है. हर चीज चुनौतियों से भरी है और चुनौतियों के साथ-साथ हम उत्साहित भी होते हैं. अगर हम उस प्रक्रिया पर ध्यान दें तो, हमारा हर कदम उत्साह से भरा होता है.
थिएटर में हम रिहर्सल करने के बाद स्टेज पर आते हैं. जबकि फिल्मों में हमें तुरंत री-टेक की सुविधा मिलती है. बात ये है कि रिहर्सल करने के बाद आपका बेस्ट आता है और फिल्मों में अगर आपने 10 टेक दिए हैं, तो बेस्ट टेक देखा जाता है. वहीँ मंच पर आप सिर्फ अपनी गलती के लिए ज़िम्मेदार नहीं है, आपका साथी कलाकार क्या कर रहा है, आपको यह भी देखना होगा. इसके अलावा मैं कहूँ तो प्ले करते हुए एक और चीज़ होती है उस पल हुई गलतियाँ है, जब आप बोल कुछ और रहे हो और आपका साथी इसे समझ कुछ और ले. इस तरह की गलतियों से बचने के लिए आपको निरंतर अभ्यास करते रहना होगा. फिर गलतियाँ हमें डरायेंगी नहीं.
जब हम आपको देखते है तो सोचते है कि आप भगवान राम की भूमिका बहुत अच्छे तरीके से निभा सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी आपने रावण का किरदार निभाया है. ऐसा क्यों?
इसके पीछे कारण यह है कि अगर मैं भगवान राम की भूमिका निभाता तो मैं राम का बार-बार नाम नहीं ले सकता था. जबकि रावण की भूमिका निभाते हुए मैं ये कर सकता हूँ. इस बहाने मुझे राम का नाम लेने की आज़ादी मिल रही है. वहीँ कलयुग के बारे में कहा जाता है कि कलयुग सिर्फ़ नाम पर आधारित है. कलयुग में नाम की पूजा करने से, नाम का स्मरण करने से आप राम का नाम पा सकते हैं. अगर आप राम की भूमिका निभाते हैं तो यह बहुत अच्छी बात है.
इसके बारे में एक कहानी है. एक बार भगवान राम समुद्र तल पर बैठे थे, वे स्नान करने जा रहे थे, इसलिए उन्होंने अपना धनुष रेत में गाड़ दिया और थोड़ी देर बाद उन्होंने देखा कि उसमें से खून निकल रहा है. वे चौंक गए, उन्होंने लक्ष्मण से उसे हटाने के लिए कहा. जैसे ही उसने धनुष हटाया तो देखा कि वहां एक मेंढक था, जिस पर धनुष की नोक रखी हुई थी. उसने मेंढक से कहा कि तुम बोलने में इतने माहिर हो, लेकिन जब मैंने धनुष से दबाया तो तुम क्यों नहीं बोले? मेंढक ने बहुत अच्छी बात कही. उसने कहा कि अगर दुनिया मुझे दबाती तो मैं तुमसे बोलता राम. लेकिन जब राम ने मुझे दबा दिया है तो मैं किससे बोलूंगा? इसका मतलब है कि तुम राम की भूमिका निभाते हुए राम का स्मरण नहीं कर सकते और हम कलयुग में हैं. तो रावण की भूमिका निभाते हुए मैं भी हम सब की तरह अपने मन में, अपने चरित्र में राम का चिंतन कर रहा हूँ.
आप रावण का किरदार निभा रहे हैं, आपने कई बार कहा भी है कि हम सब जानते हैं कि रावण के कई पहलू हैं, वो बहुत बुद्धिमान और बहादुर है, उसने भगवान शंकर को भी खुश किया है. रावण का कौन- सा पहलू है जो आपको बहुत पसंद आता है जब आप उसे स्क्रीन पर या थिएटर में निभाते हैं?
मेरा मानना है कि हम सब को आदत हो गई है कि हम खंड में अखंड देखना चाहते हैं. मैं कभी भी किसी किरदार को खंड के तौर पर नहीं देखता, चाहे वो मेरे जीवन में हो या जब मैं उन्हें मंच पर या फ़िल्म में पेश करता हूँ. जब किसी के कुछ किरदार समाज के प्रति नकारात्मक होते हैं, और कुछ किरदार समाज के प्रति सकारात्मक होते हैं. तो, हम उन किरदारों को नायक और खलनायक में बाँटदेते हैं , लेकिन मेरा मानना है कि जो व्यक्ति किसी के मन में खलनायक के तौर पर है, उसी समय, उसे नायक के तौर पर पूजा भी जा रहा होगा. नायक और खलनायक के बीच तुलना ये है कि उसमें कितने लोग शामिल हैं. अगर उससे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को फ़ायदा हो रहा है, तो हम उसे हीरो मान लेते हैं, और अगर हमें पता चले कि वो ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के दर्द का कारण है, तो हम उसे विलेन मान लेते हैं. अगर हम उसे विलेन कहते है तो वह एक नकारात्मक चेतना बन जाता है.
जब आप शबरी, अहिल्या, तारा को उनके नज़रिए से देखेंगे तो आपको भगवान श्री राम एक मित्र के तौर पर मिलेंगे. लेकिन जब आप सुलोचना और रावण के नज़रिए से जाएँगे तो कहीं न कहीं आपको राम नकारात्मक लगेंगे. अगर आप राम के सम्पर्क में आ रहे है और फिर भी सकरात्मक नहीं हो रहे तो तो कहीं न कहीं आप और मैं राम के बारे में सोचना शुरू कर देते हैं.
जब आप अपने आपको रावण की वेशभूषा में देखते है तो आपको क्या लगता है कि आप रावण है?
ये बात दर्शक ही बताएंगे कि उन्हें मेरे अन्दर एक्टर दिख रहा है या करेक्टर. इसका फैसला करने का हक़ दर्शक को है मुझे नहीं. दर्शक के फीडबैक पर ही मैं आगे अपने किरदार पर काम कर पाउँगा.
इस प्ले 'हमारे राम' के अलावा सिनेमाघरों में आपकी दो और फिल्में लवयापा और छावा है. क्या इसके अलावा भी कुछ और प्रोजेक्ट है?
जी हाँ, मेरी इन 2 फिल्मों के अलावा एक और फिल्म 21 फर वरी को आ रही है, ये कौशलजी बनाम कौशल. यह जियो हॉटस्टार पर आएगी. इसमें भी आपको अलग-अलग किरदार देखने को मिलेंगे. अगर आपको चारों किरदारों में आशुतोष ही दिखेगा तो समझ जाना कि मैं एक बुरा एक्टर हूँ. लेकिन अगर आपको चारों में आशुतोष नहीं दिखते हैं, तो आप कह सकते हैं कि आपने आशुतोष को खुशियाँ दी हैं और उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ दी हैं.
आपके करीबी दोस्त आमिर खान ने कहा कि आप बहुत अच्छा बोलते हैं और आप जल्दी मिलते नहीं हैं. क्या आप नेता बनने की सोच रहे है?
नहीं. मैं अभी और एक्टिंग करना चाहता हूँ, मुझे बहुत सारे किरदार करने हैं. मैंने रावण का किरदार किया है, मैं आगे चाणक्य, वासुदेव कृष्ण और विवेकानंद का किरदार करना चाहता हूँ. इसके अलावा ऐसे बहुत सारे किरदार हैं जो मैं करना चाहता हूँ.
आपको बता दें कि राम राज पर किताब लिख चुके अभिनय के महारथी और ज्ञानी एक्टर आशुतोष राणा, बचपन से ही रावण का किरदार निभाना चाहते थे और 'हमारे राम' प्ले के द्वारा उनका ये सपना पूरा हो गया है. इस प्ले के गानों में सिंगर सोनू निगम, शंकर महादेवन और कैलाश खेर ने अपनी आवाज दी हैं.
BY- Priyanka Yadav
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