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कायोज ईरानी (Kayoze Irani) के निर्देशन में बनी फिल्म ‘सरज़मीन’ (Sarzameen) जियो सिनेमा पर रिलीज हो चुकी है. इस देशभक्ति से प्रेरित फिल्म में पृथ्वीराज सुकुमारन (Prithviraj Sukumaran), काजोल (Kajol) और इब्राहिम अली खान (Ibrahim Ali Khan) अहम भूमिकाओं में नजर आए हैं. ‘सरज़मीन’ के जरिए कायोज ईरानी डायरेक्शन ने डेब्यू किया है. फिल्म को धर्मा प्रोडक्शंस ने प्रोड्यूस किया है. हाल ही में कायोज और पृथ्वीराज ने एक मीडिया हाउस से बात की. जहाँ उन्होंने फिल्म से जुड़े अपने अनुभव बांटे. आइये जानते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा....
जब देशभक्ति विषय पर पहले भी कई फिल्में बनी हैं, तो 'सरजमीन' की खासियत क्या है जो इसे बाकियों से अलग बनाती है?
कायोज - सही कहा आपने कि फिल्म में देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम मौजूद है लेकिन ये फिल्म केवल एक पैट्रियोटिक फिल्म नहीं है. ये असल में एक इमोशनल थ्रिलर है, जिसमें एक पिता, एक बेटा और एक मां के बीच के संबंधों को दिखाया गया है. इसकी कहानी मानवीय भावनाओं के इर्द-गिर्द घूमती है. कश्मीर इस फिल्म का बैकड्रॉप है, लेकिन असली संघर्ष परिवार के भीतर का है. यही बात मुझे इस फिल्म की ओर खींच लाई. मैं इस फिल्म की तरफ आकर्षित हुआ क्योंकि इसमें फैमिली ड्रामा था. मैंने एक ऑडियंस की तरह रहकर सोचा.
आपने जब पहली बार ‘सरज़मीन’ की कहानी सुनी, तो क्या ऐसा था जिसने आपको फौरन इसका हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया?
पृथ्वीराज - करीब 2022 में जब मैं विदेश में एक फिल्म की शूटिंग कर रहा था, तब करण जौहर ने मुझे इस फिल्म की स्क्रिप्ट भेजी. मैंने स्क्रिप्ट पढ़ते ही उसी दिन उन्हें कहा, “मैं ये फिल्म करना चाहता हूँ.” तब मुझे ये भी नहीं पता था कि कौन-कौन इस फिल्म में है या डायरेक्टर कौन हैं. जब मुझे बताया गया कि कायोज़ डायरेक्ट कर रहे हैं तो मैंने उनकी एक शॉर्ट फिल्म देखी जो मुझे बेहद पसंद आई. मुझे लगा कि ये एक बेहद सेंसिटिव और इंसानी भावना से जुड़ी कहानी है इसलिए मैं इस फिल्म से जुड़ा.
फिल्म की कास्टिंग प्रोसेस कैसी रही? किरदारों के लिए कलाकारों का चयन करते समय किन बातों का ध्यान रखा गया?
कायोज - करण सर ने मुझे बताया कि हमें सबसे पहले पृथ्वीराज सर के पास जाना चाहिए. जैसा पृथ्वी सर ने बताया कि उन्होंने पहले जब स्क्रिप्ट पढ़ी तो उन्होंने उसी दिन इसे हां कर दी. मुझे इतनी जल्दी विश्वास नहीं हुआ लेकिन वो सच था. फिर हम काजोल मैम के पास गए और मैंने उन्हें स्टोरी बताई और सर को फोन भी किया था कि शायद काजोल मैम मना कर दें लेकिन जब शाम को उनका फोन आया कि मुझे स्क्रिप्ट पसंद आई और मैं फिल्म करूंगी. इब्राहिम की कास्टिंग के लिए एक दिन मैं ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ के सेट पर गया तो इब्राहिम रणवीर सिंह के लिए स्टैंडिंग कर रहे थे. मुझे वो कैमरे पर बहुत अच्छे लग रहे थे, इसलिए मैंने उन्हें अपनी फिल्म में ले लिया.
‘सरज़मीन’ को लेकर आपकी दृष्टि क्या रही — क्या इसे सिर्फ एक पॉलिटिकल थ्रिलर कहना सही होगा या यह इससे कहीं अधिक है?
कायोज - नहीं, मेरी यह फिल्म इमोशनल थ्रिलर है. मैं चाहता हूँ कि जब दर्शक फिल्म से बाहर निकलें, तो उनकी आंखों में आंसू हों. फिल्म का ट्रेलर देखकर ही पता लग गया होगा कि फिल्म में काफी इमोशन्स है.
सेट पर जब आप एक्टिंग कर रहे होते थे, तो डायरेक्टर वाला माइंडसेट कैसे अलग रखते थे? दोनों भूमिकाओं को संतुलित करने का आपका तरीका क्या था?
पृथ्वीराज - जब से मैं निर्देशक बना हूँ, मेरे लिए यह करना सबसे आसान काम रहा है. मैंने यह बात अपनी पहली फिल्म से पहले भी कई बार कही है. यहां तक कि सेट पर भी मैं सिर्फ एक अभिनेता के रूप में ही होता हूँ. मुझे सभी फेस की जानकारी रहती थी. लेकिन एक एक्टर के तौर पर मुझे कुछ वैसा नहीं सोचना बस एक एक्टर की तरह रहना और तकनीशियनों के बारे में न सोचना और बस डायरेक्टर आए, मुझे सीन समझा कर चले जाए और फिर मैंने अभिनय किया.
‘सरज़मीन’ आपके डायरेक्शन करियर की पहली फिल्म है — बतौर AD (असिस्टेंट डायरेक्टर) से डायरेक्टर बनने तक का यह सफर कितना चुनौतीपूर्ण, सीखने वाला और भावनात्मक रहा?
कायोज - मैंने 18-19 साल की उम्र में बतौर AD काम शुरू किया था और ये एक लंबा सफर रहा है. मैंने खुद को इस इंडस्ट्री में साबित करने के लिए बहुत मेहनत की है. ये मेरे लिए अब तक का सबसे एक्साइटिंग दौर है. ‘सरज़मीन’ पर मेरा सबसे खराब दिन भी किसी और फिल्म के सबसे अच्छे दिन से बेहतर था. यह हमारी तकरीबन 3 साल की मेहनत है जो अब आप लोगों के सामने है. मुझे करण जौहर ने एक बार कहा था, “अब ये फिल्म तुम्हारी नहीं, ऑडियंस की है.” ये बात हमेशा याद रहेगी.
आपने करण जौहर जैसे दिग्गज के साथ भी काम किया है — बतौर प्रोड्यूसर उनके साथ जुड़कर काम करने का अनुभव कितना सहयोगात्मक और सीखने वाला रहा?
कायोज - करण सर डायरेक्टर- प्रोड्यूसर हैं. वो अपनी राय ज़रूर देते हैं, लेकिन कभी उस पर जोर नहीं डालते. उन्होंने मुझसे कहा था, “अगर तुम गड़बड़ भी करोगे, तो मैं साथ खड़ा रहूंगा और अगर सफल हुए तो तुम्हारे साथ सेलिब्रेट करूंगा.” यही सबसे बड़ी बात थी. मैं धर्मा प्रोडक्शन के साथ काम करके बहुत खुश हूँ.
क्या डायरेक्शन का अनुभव आपके अभिनय को बेहतर बनाने में मददगार रहा? क्या इससे आपको एक बेहतर एक्टर बनने में मदद मिली?
पृथ्वीराज - एक अभिनेता के रूप में और एक अभिनेता होने की प्रक्रिया ने मुझे एक निर्देशक के रूप में काफी मदद की है. मैं अपने एक्टर्स से बेस्ट पाने की कोशिश करता हूँ. जिसके लिए मैं खुद भी अपना बेस्ट देने की पूरी कोशिश करता हूँ. फिल्म निर्माण की तकनीकी के बारे में जो भी ज्ञान मेरे पास है, वह एक अभिनेता होने में भी मदद करता है. क्योंकि आपको शूटिंग की पूरी प्रक्रिया के बारे में पता होगा, इसलिए आप उसके हिसाब से काम करते हैं.
हिंदी में परफॉर्म करते हुए भाषा की बारीकियों को पकड़ना कितना ज़रूरी होता है, और आपने इसे कैसे साधा?
पृथ्वीराज - मैंने सैनिक स्कूल में पढ़ाई की है, जहां हिंदी सिखाई जाती थी. मैं हिंदी पढ़ और लिख सकता हूँ. मैं मलयालम, इंग्लिश और तमिल में फ्लूएंट हूँ और तेलुगू भी थोड़ा बोल लेता हूँ. हालांकि हिंदी उच्चारण में सुधार के लिए मैं डिक्शन कोच विकास के साथ काम करता हूँ. उन्होंने मेरे लिए ‘औरंगज़ेब’ से लेकर ‘सरज़मीन’ तक हर फिल्म में मदद की है.
फिल्म के संगीत में इतने दिग्गज गायकों की मौजूदगी अपने आप में बड़ी बात है — क्या इस क्रिएटिव कोलैबोरेशन के पीछे कोई खास सोच थी?
कायोज - हमने जिनसे भी संपर्क किया, उन्होंने तुरंत हां कर दी. बी प्राक सर ने कहा, “शाम को ही डब कर लेते हैं.” श्रेया घोषाल, सोनू निगम, विशाल मिश्रा, जावेद अली – सभी का साथ मिलना सौभाग्य की बात है. हमने यह म्यूज़िक यशराज स्टूडियो में बनाया और मैं इसे लेकर बेहद भावुक था.
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